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तेलतुंबडे की ज़मानत के ख़िलाफ़ एनआईए की अर्ज़ी पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा न्यायालय

बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में तेलतुंबडे को जमानत दे दी थी।
Anand Teltumbde
फ़ोटो साभार: विकिपीडिया

उच्चतम न्यायालय एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आनंद तेलतुंबडे को दी गई जमानत के खिलाफ राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करने के लिए तैयार हो गया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील का संज्ञान लिया कि जमानत से संबंधित उच्च न्यायालय के आदेश के कार्यान्वयन पर रोक सिर्फ एक हफ्ते के लिए है, लिहाजा मामले में तत्काल सुनवाई किए जाने की जरूरत है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने मेहता से कहा, “हम इस पर शुक्रवार को सुनवाई करेंगे।”

बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले शुक्रवार को एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में तेलतुंबडे को जमानत दे दी थी।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि तेलतुंबडे प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी (भाकपा-माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे और किसी आतंकवादी गतिविधि में शामिल थे।

73 वर्षीय तेलतुंबडे एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कुल 16 आरोपियों में से तीसरे ऐसे आरोपी हैं, जिन्हें जमानत मिली है।

कवि वरवर राव अभी स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर जेल से बाहर हैं, जबकि अधिवक्ता सुधा भारद्वाज को नियमित जमानत दी जा चुकी है।

बंबई उच्च न्यायालय ने हालांकि, तेलतुंबडे को जमानत पर रिहा करने के आदेश के कार्यान्वयन पर एक हफ्ते के लिए रोक लगा रखी है, ताकि मामले की जांच कर रही एनआईए उच्चतम न्यायालय का रुख कर सके।

तेलतुंबडे इस समय नवी मुंबई की तलोजा जेल में हैं। एक विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने पिछले साल उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

तेलतुंबडे ने अपनी याचिका में दावा किया था कि वह 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित हुए एल्गार परिषद के कार्यक्रम में मौजूद ही नहीं थे और न ही उन्होंने कोई भड़काऊ भाषण दिया था।

अभियोजन पक्ष का कहना है कि प्रतिबंधित संगठन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) द्वारा कथित तौर पर समर्थित इस कार्यक्रम में भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके कारण बाद में पुणे के पास कोरेगांव भीमा गांव में हिंसा हुई थी।

इससे पहले, पिछले हफ्ते भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में आरोपी गौतम नवलखा को भी सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने एक महीने के लिए नवलखा को तलोजा जेल से  निकालकर नवी मुंबई में हाउस अरेस्ट के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा पर शर्ते भी लगाईं थीं और कहा था कि हाउस अरेस्ट के दौरान किसी तरह का कोई संचार उपकरण यानी कोई लैपटॉप, मोबाइल, कंप्यूटर आदि कुछ नहीं होगा।

इस दौरान वो किसी भी अवैध गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। ना ही मीडिया से बात करेंगे, साथ ही मामले से जुड़े लोगों और गवाहों से भी बात नहीं करेंगे।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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