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कोरोना के दौर में कालाबाजारी का धंधा

जब बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं बहुत सीमित मात्रा में होती हैं तब महामारी आपदा बन जाती है। और ऐसी आपदाओं में कालाबाजारी करने का भी खूब मौका मिलता है। मरने से बचाने के नाम पर कुछ लोगों के अंदर का सबसे भयानक चेहरा सामने आ जाता है।
कोरोना के दौर में कालाबाजारी का धंधा
Image courtesy : Hindustan Times

भारत में अब चार लाख के करीब नए कोरोना संक्रमित मरीज मिलने लगे हैं। भारत में कुल कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दो करोड़ का आंकड़ा पार कर चुका है। इसमें से तकरीबन एक करोड़ 70 लाख मरीज स्वस्थ हो गए हैं और 2 लाख 26 हज़ार मरीजों की कोरोना से मौत हो गई है।

लोग अपनों को खो रहे हैं और कुछ लोग अपनों को बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं । जो लोग अपने लोगों को बचाने की जद्दोजहद में लगे हैं वो किसी भी कीमत पर उनको बचा लेना चाहते हैं और इसी का फायदा वो लोग उठा रहे हैं जो इस आपदा अपने  कारोबार के लिए अवसर के तौर पर देख रहे हैं । ये मौत के कारोबारी मासूम और मजबूर लोगों को ठग रहे हैं। ये लोग मरीज के परिजनों से मन चाहा पैसे मांग रहे हैं , नकली वैक्सीन दे रहे हैं और ऑक्सिजन सिलिंडर पहुंचाने के नाम पर पैसा ऑनलाइन ट्रांसफर करवा कर रफू चक्कर हो जाते हैं।

आपदा में अवसर का पहला वाक्या

दिल्ली पुलिस ने मरीज के परिजनों के शिकायत पर दिल्ली के द्वारका से दो लोगो को गिरफ्तार किया। यह लोग मरीज के परिजनों को 10 हजार रुपए में ऑक्सीजन सिलिंडर के नाम पर फायर एक्सटिंगईशेर ( अग्निशामक यंत्र ) बेच रहे थे । जहाँ ऑक्सिजन सिलिंडर में ऑक्सीजन होता है वहीं फयर एक्सटिंगईशेर ( अग्निशामक यंत्र ) में कार्बन डाई आक्साइड गैस  होती है ।

ऑक्सिजन समय पर ना मिलने से मरीज की मौत हो गई।

मरीज का नाम नरेंद्र और उम्र 32 वर्ष था ।परिजनों ने केस दर्ज किया कि अगर ये दोनों व्यक्ति हमारे साथ धोखा नहीं करते तो हमारे मरीज को समय पर ऑक्सिजन मिल जाता और उसकी मौत नहीं होती।फिलहाल दोनों आरोपी जेल में हैं।

वैसे पूरे देश में अभी ऑक्सिजन की काला बाजारी जोरों पर है।

किसी किसी जगह पर 10 लीटर ऑक्सिजन सिलिंडर की कीमत 35 हज़ार रुपये तक लिया जा रह है। और लोग मजबूरी में इतनी भारी कीमत अदा भी कर रहे हैं

आपदा में अवसर का दूसरा वाक्या

दूसरी घटना ऑनलाइन फ़्रॉड की है, मनीष जैन नाम से एक ट्वीटर हैंडल ने दिल्ली पुलिस को टैग करके अपने व्हाट्सएप चैट के कुछ स्क्रीनशॉट शेयर किया ।जिसमें उनकी बात एक व्यक्ति से हो रही थी जिसने उनसे ऑक्सिजन सिलिंडर पहुंचाने की बात कही लेकिन उसके लिए उसने मनीष से एडवांस पैसे ट्रांसफर करने को बोला। जब मनीष उसकी बात मान गए तो उसने अपना एकाउंट डिटेल्स भेजा और फिर मनीष जैन ने उसको 2500 रुपये ट्रांसफर कर दिए ।

मनीष उसके बाद उसको कॉल और मैसेज करते रहें लेकिन उसने उसके बाद ना तो उनका कॉल उठाया और ना ही मैसेज का जवाब दिया। मनीष ने गुहार लगाई की मेरा मरीज मर जाएगा लेकिन उस धोखेबाज पर इसका कोई असर नहीं हुआ।

बाद में मनीष ने इसकी जानकारी दिल्ली पुलिस को ट्वीट करके दी । दिल्ली पुलिस ने उनके ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि आप अपनी शिकायत cybercrime.gov.in पर दर्ज करें या  [email protected] पर अपनी शिकयत मेल करें या फिर किसी भी तरह की अतिरिक्त सहायता के लिए हमारे हेल्पलाइन नंबर 155260 या 01123469900 पर कॉल करें।

वैसे अगर आपके साथ कभी इस तरह का ऑनलाइन फ्रॉड हो जाये तो  आप  24 घंटे के भीतर अपने बैंक को और पुलिस को इसके बारे में जरूर सूचित करें ताकि आपके पैसे उस फ़्रॉड से वापस निकाले जा सके।

और भारत में किसी भी जगह से आपके साथ हुए साइबर अपराध की  शिकायत को इस cybercrime.gov.in पोर्टल पर दर्ज करा सकते हैं।

आपदा में अवसर का तीसरा वाक्या रेमडीसीवीर वैक्सीन का है।

इस दूसरे लहर में रेमडीसीवीर एक ऐसा वैक्सीन है जो सबसे अधिक मांग में रहा है। हर दूसरा आदमी इसे खोज रहा है। मरीजों के परिजनों को ऐसा लगता है कि उनके मरीज को बस और बस रेमडीसीवीर ही बचा सकता है।

अभी मरीज के परिजनों के लिए रेमडीसीवीर ठीक उस संजीवनी बूटी की तरह है जिसके लिए हनुमान जी ने कितने पर्वतों को लांघ कर संजीवनी बूटी तक पहुँचे और आगे कुछ ना समझ आने पर उन्होंने उस पूरे पर्वत को ही अपने हथेली पर उठा लिया। कोरोना मरीज के परिजन भी इस वक्त रेमडीसीवीर के लिए ये सब करने को तैयार हैं ।

लेकिन वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (W. H.O) ने रेमडीसीवीर को कोरोना मरीजों के लिए कारगर नहीं बताया है उसने बोला कि अभी तक इसके कोई साक्ष्य नहीं मिले हैं जो यह साबित कर सकें कि रेमडीसीवीर कोरोना मरीजों के लिए कारगर है।

लेकिन भारत में अभी रेमडीसीवीर बहुत मांग में हैं लोग इसकी काला बजारी तक कर रहे हैं । एक डोज रेमडीसीवीर वैक्सीन 25 से 30 हज़ार तक में मिल रहा है।जबकि उसकी असल कीमत  22 से 25 गुणा अधिक है।

नकली रेमडीसीवीर बनाने वाली कम्पनी

दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड के कोटद्वार में नकली रेमडेसिवर इंजेक्शन बनाने की दवा कंपनी का भंडाफोड़ करते हुए 7 आरोपियों को गिरफ्तार किया ,196 नकली इंजेक्शन बरामद किया जो बेचने के लिए बिल्कुल तैयार थे और 3000 खाली इंजेक्शन के शीशी भी पुलिस ने मौके से बरामद किया।

यह लोग 25 हज़ार रुपये में एक इंजेक्शन बेचते थे,

इनलोगों ने अब तक 2 हज़ार से अधिक इंजेक्शन बेच दिया

है। उन मरीजों के बारे में सोचिए जिनको यह नकली इंजेक्शन लगे होंगे ? उनके मौत के जिमेदार कौन होगा ?

कोई भी दवा या वैक्सीन आधिकारिक दुकान से ही खरीदें। ब्लैक से खरीदा वैक्सीन या दवा आपके जेब और जान दोनों पर भारी पड़ सकता है ।

आपदा में अवसर का जो चौथा वाक्या है।उस से इस समय हर व्यक्ति को दो चार होना पड़ रहा है । इस वक्त हर व्यक्ति विटामिन सी और जिंक की टैबलेट खा रहा है और इस तरह इसकी मांग अभी बढ़ी हुई हैं और इस आपदा को अवसर में दवाई दूकान वाले बखूबी बदल रहे हैं। वह इन दवाइयों को MRP पर ना बेच कर अपने मन मुताबिक पैसों पर बेच रहे हैं जो कि कानून और दण्डनीय अपराध है । आप इसकी शिकयत आपने नज़दीक पुलिस थाने या राष्‍ट्रीय उपभोक्‍ता हेल्‍पलाइन के वेबसाइट https://consumerhelpline.gov.inया फिर उसके टॉल फ्री नंबर 1800114000 या 14404 पर शिकयत कर सकते हैं ।

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