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कोविड-19: मध्यप्रदेश में बढ़ा संकट, ज़िम्मेदारों की लापरवाही ही पड़ी भारी

देश में कोरोना वायरस से संक्रमितों के मामले में मध्यप्रदेश 7वें नंबर पर है। यहां स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के लापरवाही के कारण भोपाल में संक्रमितों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है।
Health PS Pallavi Jain Govil

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पिछले तीन दिनों से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल सहित कई अधिकारी एवं कर्मचारी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। विभाग के कई जिम्मेदार अधिकारियों का सैंपल रिजल्ट पॉजिटिव आया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार भोपाल में 4 अप्रैल तक कोरोना के 18 पॉजिटिव थे, लेकिन 6 अप्रैल तक इनकी संख्या बढ़कर 61 हो गई। आज 7 अप्रैल को दोपहर तक भोपाल में 12 लोगों की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इस तरह भोपाल में कोरोना संक्रमितों की संख्या 73 हो गई है।

मुख्य चिकित्सा और स्वास्थ्य अधिकारी सुधीर कुमार डेहरिया के अनुसार आज सुबह प्राप्त हुई रिपोर्ट के अनुसार 12 नए मरीजों में 5 स्वास्थ विभाग के कर्मचारी हैं और 7 मरीज पुलिस और उनके परिवार के लोग हैं।

मध्यप्रदेश में न केवल स्वास्थ्य विभाग बल्कि पुलिस विभाग में कई लोग कोरोना से संक्रमित हो गए हैं। शनिवार को भोपाल के ऐशबाग थाने में पदस्थ आरक्षक की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उसके बाद से कई पुलिस वाले एवं उनके परिवार के सदस्य कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। यदि भोपाल के कोरोना पॉजिटिव कुल मामलों को देखा जाए, तो इसमें 50 फीसदी मामले स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग एवं उनके परिवारों के हैं। सरकार ने यह निर्णय लिया है कि भोपाल के सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मी और स्वास्थ्य विभाग का अमला अब घरों के बजाय होटल में रहेंगे।

सबसे पहले हेल्थ कॉर्पोरेशन के प्रबंध संचालक व आयुष्मान भारत के सीईओ जे. विजय कुमार की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। उनकी रिपोर्ट के बाद स्वास्थ्य विभाग में उनके साथ बैठक करने वाले कई अधिकारियों का सैंपल लिया गया। और फिर विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जांच में पता चला कि उनका बेटा 16 मार्च को अमेरिका से लौटा था। इस स्थिति में उन्हें अपने बेटे के विदेश से आने की जानकारी उजागर करके खुद को भी सेल्फ क्वारंटाइन रहना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

पॉजिटिव होने के बाद इस मसले पर प्रमुख सचिव ने तर्क दिया कि काम करते समय किसी से वायरस आया होगा। उनका बेटा 16 मार्च को आया था। सरकार ने 10 मार्च को 12 देशों से आने वाले यात्रियों को लेकर अधिसूचना जारी की थी, जिसमें अमेरिका नहीं था। उनका बेटा 16 से 30 मार्च तक क्वारंटाइन रहा। लेकिन यहां सवाल है कि विदेश से लौटने वाले दूसरे लोगों एवं उनके परिवार को क्वारंटाइन करने में सख्ती करने वाला विभाग के प्रमुख ने ही इसे क्यों नहीं पालन किया?

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पल्लवी जैन गोविल के साथ कोरोना को फैलने से रोकने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस सहित कई वरिष्ठ अधिकारी लगातार बैठक करते रहे। ऐसा बताया जा रहा है कि वे बैठकों में खांसती और छींकती भी रहीं, पर किसी ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। जे. विजय कुमार की रिपोर्ट आने के बाद ही विभाग ने अपने सभी बड़े अधिकारियों की जांच ओर ध्यान दिया। इसके बाद एक-दूसरे से संपर्क में आने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ सुरक्षा गार्ड और चपरासियों की भी जांच की गई।

अब तक की जानकारी के अनुसार स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल, आयुष्मान भारत के सीईओ जे. विजय कुमार, स्वास्थ्य (कोरोना ऐपिडेमिक) विभाग की अतिरिक्त संचालक डॉ. वीणा सिन्हा, रंजना गुप्ता, संयुक्त संचालक डॉ. उपेन्द्र दुबे, अतिरिक्त संचालक डॉ. कैलाश बुंदेला, उप संचालक सुनील मुकाती, उप संचालक डॉ. प्रमोद गोयल, उप संचालक डॉ. हिमांशु जैसवार, उप संचालक डॉ. सौरभ पुरोहित, उप संचालक डॉ. रूबी खान, डॉ. साव्या सालम, पीए टू कमिश्नर हेल्थ दीपक देशमुख, जे. विजय कुमार के ड्राइवर कमलेश, क्लर्क राजकुमार गर्ग, सत्येंद्र पारे, आलोक सहित दो दर्जन के करीब लोग कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। इनके अलावा इन अधिकारियों एवं उनके साथ जुड़े कर्मचारियों एवं उनके परिवार के लोग जांच के दायरे में हैं।

चिंतनीय बात है कि पॉजिटिव रिपोर्ट मिलने के बावजूद कई अधिकारी घर में ही आइसोलेट होना चाहते थे। इनका तर्क था कि वे डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक खुद को घर में आइसोलेट किए हुए हैं। शीर्ष अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद ये अस्पतालों में शिफ्ट हुए।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की ऐसी लापरवाही का नतीजा ख़तरनाक साबित हो रहा है। मध्यप्रदेश में अबतक 272 पॉजिटिव केस सामने आए हैं, जिसमें 151 इंदौर के हैं। लेकिन अब जो नए मरीज सामने आ रहे हैं, उनमें भोपाल के मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा है, जिसमें अधिकांश पॉजिटिव केस स्वास्थ्य विभाग एवं पुलिस विभाग के हैं।

इस मामले का मध्यप्रदेश मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है और राज्य सरकार को पत्र लिखकर पूछा है कि समय रहते इन संक्रमित अधिकारियों को अस्पताल में क्यों नहीं भेजा गया।

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