कोविड-19: प्रवासी कामगारों के लिये खाद्य सुरक्षा, नकद आहरण,परिवहन को लेकर याचिका
नयी दिल्ली: तीन कार्यकर्ताओं ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर केंद्र और राज्यों को यह निर्देश देने की मांग की है कि वो देश के कुछ हिस्सों में कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनजर लगाई गई पाबंदियों के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे प्रवासी कामगारों की खाद्य सुरक्षा, नकद आहरण, परिवहन सुविधाएं और अन्य कल्याणकारी उपाय सुनिश्चित करें।
पिछले साल मई में शीर्ष अदालत ने प्रवासी मजदूरों की मुश्किलों पर स्वत: संज्ञान लिया था और कई दिशानिर्देश दिये थे जिनमें प्रवासी कामगारों से किराया न लेने और उनके ट्रेनों या बसों में बैठने तक उन्हें मुफ्त भोजन उपलब्ध कराना शामिल था।
कोविड-19 संक्रमण के फिर से उभरने और उसकी वजह से लागू पाबंदियों का संदर्भ देते हुए कार्यकर्ताओं – अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप चोकर - ने 2020 में वकील प्रशांत भूषण के जरिये स्वत: संज्ञान के मामले में अंतरिम याचिका दायर कर कल्याणकारी उपायों को फिर शुरू किये जाने की मांग की।
बुधवार को दायर की गई ताजा याचिका में कहा गया, “प्रवासी मजदूरों द्वारा 2020 के लॉकडाउन के दौरान जिन मुसीबतों का सामना किया गया वह लगातार कायम खराब आर्थिक स्थिति की वजह से बरकरार हैं और अब कई राज्यों में कोविड का प्रसार रोकने के लिये लगाई जा रही नई पाबंदियों, कर्फ्यू तथा लॉकडाउन की वजह से और बढ़ गई हैं।”
प्रवासी मजदूर फिर “इन नीतियों” का दंश झेल रहे हैं और तत्काल दखल की आवश्यकता है।
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