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डीयू: बृजभूषण के ख़िलाफ़ मार्च निकालने वाले छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया, पुनिया ने कहा ‘शर्मनाक’

“उत्पीड़क खुला घूम रहा है, लेकिन पुलिस उसको पकड़ने की बजाय उन लोगों को पकड़ रही है जो महिला पहलवानों के समर्थन में आ रहे हैं।”
DU Student Protest

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों ने जंतर-मंतर पर धरना दे रहीं महिला पहलवानों के समर्थन और यौन शौषण के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ मार्च किया लेकिन पुलिस ने मार्च शुरु होते ही छात्रों को हिरासत में ले लिया और बसों में भरकर बुराड़ी पुलिस स्टेशन ले गई। इस प्रदर्शन को स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ़ इंडिया (एसएफआई), नेशनल स्टूडेंट यूनियन, क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) और अन्य छात्र संगठनों ने अपना समर्थन दिया था।

ये सभी संगठन, कथित यौन उत्पीड़न के मामले में भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह की तुरंत गिरफ़्तारी को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

छात्र संगठनों ने पुलिस पर, प्रदर्शन कर रहे छात्रों, को पीटने का आरोप लगाया। केवाईएस ने अपने बयान में इसे शर्मनाक बताया और कहा कि "दिल्ली पुलिस जिसने अब तक भाजपा सांसद को गिरफ़्तार नहीं किया है, वह यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे छात्रों को बेरहमी से पीट रही है और बर्बरतापूर्वक हिरासत में लेती है।"

छात्रों को हिरासत में लिए जाने को लेकर ओलंपिक मेडलिस्ट व इस आंदोलन में शामिल पहलवान बजरंग पुनिया ने ट्वीट करते हुए इसे शर्मनाक बताया और लिखा, "दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्राओं ने आंदोलित महिला पहलवानों के समर्थन में एक मार्च निकाला था। उनको पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। उत्पीड़क खुला घूम रहा है, लेकिन पुलिस उसको पकड़ने की बजाय उन लोगों को पकड़ रही है जो महिला पहलवानों के समर्थन में आ रहे हैं। यह बहुत शर्मनाक है।"

 

 

पुलिस हिरासत में ली गईं जेएनयू छात्रसंघ व एसएफआई, दिल्ली अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा, "कई महीनों से महिलाओं का शोषण करने वाले खुले घूम रहे हैं लेकिन पुलिस उन्हें पकड़ नही पा रही है लेकिन कुछ ही क्षणों में छात्रों को हिरासत में ले लिया गया।"

इन सबके बीच आज ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पीटी उषा भी जंतर-मंतर, पहलवानो के धरना स्थल पर पहुंची। हालांकि उन्होंने इससे पहले पहलवानो के धरने को लेकर कुछ बातें कहीं थी जो पहलवानों के समर्थन में आने वाले लोगों को आपत्तिजनक लगी थी जिस वजह उन्हें कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा था।

पीटी उषा ने मीडिया से बात नहीं की लेकिन बजरंग ने मीडिया से कहा, ‘‘पीटी उषा ने हमसे मुलाकात की और अपने समर्थन का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि वह पहले एक एथलीट हैं और फिर एक प्रशासक हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि वह हमें न्याय दिलाने में मदद करेंगी।’’

ज्ञात हो उक्त मामले में पुलिस द्वारा बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही एफआईआर दर्ज की गई लेकिन अब तक सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी नहीं हुई है।

ज्ञात हो कि सांसद बृजभूषण रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख हैं। शीर्ष महिला पहलवानों द्वारा यह गंभीर आरोप लगाया गया है कि वह यौन उत्पीड़न का दोषी है। इसके अलावा, महिला पहलवानों ने यह भी आरोप लगाया था कि सांसद ने मामले को सबके सामने लाने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। कुछ महीने पहले पहलवानों के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के बावजूद सांसद का अब तक पद से इस्तीफा नहीं हुआ है। महिला पहलवानों का आरोप है कि उनके मामले के प्रति सरकार का रवैया पूरी तरह से उदासीन रहा है, जिसके कारण उनको अपनी मांगों के लिए फिर से धरने पर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा है और साथ ही उनको सर्वोच्च न्यायालय का भी दरवाज़ा खटखटाने को मजबूर होना पड़ा है।

केवाईएस ने अपने बयान में केंद्र में सत्ताधारी भाजपा पर भूषण को बचाने का आरोप लगाया। बयान में कहा गया, "बृजभूषण पूर्वी उत्तर प्रदेश से सांसद है। धरना खत्म होने के बाद भाजपा ने इस उम्मीद में सांसद के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की कि मामला अपने आप शांत हो जाएगा। सत्तारूढ़ पार्टी का लक्ष्य अगले आम चुनावों में सांसद की बाहुबली छवि को भुनाना है। इस कारण सांसद के ख़िलाफ़ कई शिकायतों के बावजूद, जिसमें एक नाबालिग की भी शिकायत शामिल है, पुलिस द्वारा प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गई थी। बेहद शर्मनाक है कि पुलिस द्वारा बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद ही एफआईआर दर्ज की गयी लेकिन अब तक सांसद बृजभूषण शरण सिंह की गिरफ़्तारी नहीं हुई है।"

आरोप है कि "केंद्र सरकार द्वारा पहले धरने के बाद गठित की गई कमेटी भी अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में भाजपा सांसद के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के आरोपों पर मौन है। इससे महिला पहलवानों और देश में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति भाजपा का उदासीन और महिला विरोधी रवैया पूरी तरह से बेनकाब हो गया है।"

सभी प्रदर्शनकारी मांग कर रहे हैं कि केंद्र सरकार, तत्काल सांसद को कानून के मुताबिक गिरफ़्तार कराए, ताकि महिला पहलवानों को न्याय मिल सके। साथ ही भविष्य में महिला पहलवानों का कोई यौन उत्पीड़न न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए एक आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) का तत्काल गठन किया जाए।

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