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डीयू: कैंपस खोलने को लेकर छात्रों के अनिश्चितकालीन धरने को एक महीना पूरा

प्रशासन की ओर से पूर्ण रूप से कैंपस खोले जाने को लेकर अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है। हालांकि पीजी एवं स्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए शोध कार्य, प्रैक्टिकल तथा प्रोजेक्ट वर्क, और शोध छात्रों के लिए लाइब्रेरी और लैब खोला गया है। लेकिन ऑफलाइन क्लासेज़ पर अभी किसी तरह की चर्चा नहीं है।
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सामान्य तौर पर दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) की छवि अभिजात वर्ग के संस्थान के रूप में है। ऐसा माना जाता है कि यहाँ पढ़ने वाले ज्यादातर छात्र ऐसे वर्ग से आते हैं, जिन्हें सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों से कोई सरोकार नहीं होता। यही कारण है कि मंडल आयोग रिपोर्ट लागू होने के खिलाफ हुए आन्दोलन के बाद यहाँ कोई बड़ा आन्दोलन नहीं हो पाया। लेकिन पिछले दशक में स्थिति बदली है; मसलन एफवाययूपी वापसी के खिलाफ प्रोटेस्ट, रोस्टर आन्दोलन और सीएए-एनआरसी जैसे बड़े आंदोलनों में डीयू की भूमिका महत्वपूर्ण रही है।

डीयू अपनी अभिजातीय छवि को तोड़ते हुए पिछले 30 दिनों से लगातार संघर्षरत है। दरअसल, डीयू के आर्ट्स फैकल्टी में कैंपस सहित तमाम कॉलेजों को खोलने, सेंट्रल लाइब्रेरी को 24 घंटे किए जाने तथा ऑफलाइन क्लासेज़ चलाए जाने को लेकर 8 नवम्बर से तमाम प्रगतिशील छात्र संगठन अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं। जिसमें ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एशोसिएशन (आइसा), स्टूडेंट्स फेडरैशन ऑफ इंडिया (एसएफआई), डीएसयू, कलेक्टिव, केवायएस, सहित अन्य संगठन और छात्र शामिल हैं। इस पूरे आन्दोलन को मजबूत बनाने के लिए छात्रों द्वारा अलग-अलग विषय के जानकारों को बुलाकर परिचर्चा आयोजित की जाती रही है, लाइब्रेरी बनाई गई, बुक स्टाल लगाए गए, किसान आंदोलन की जीत पर एक लंबा मार्च भी निकाला गया।

कल, यानी 7 नवंबर को अनिश्चितकालीन धरने का एक महिना पूरा होने पर AIFRTE के बैनर तले वीसी ऑफिस, गेट नंबर 1 पर डीयू के सभी छात्र संगठनों द्वारा कैंपस खोलने और नई शिक्षा नीति को रद्द करने को लेकर एक बड़ा प्रदर्शन हुआ। जिसके बाद वीसी ने छात्रों से मिलने के लिए तीन दिन बाद का समय दिया। इसके अलावा, कल देर शाम आर्ट्स फैकल्टी पर पहले से चल रहे अनिश्चितकालीन धरना स्थल पर छात्रों द्वारा वीसी का पुतला फूंका गया।

छात्र संगठन आइसा के एक्टिविस्ट आदित्य बताते हैं, “जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कैंपस को बंद हुए डेढ़ साल से ज़्यादा हो गए हैं, पर अभी भी ताला लगा हुआ है। प्रशासन पूर्णतः छात्रों की समस्याओं पर मुंह फेरे हुए है। हम लोगों ने पिछले महीने ही 5-दिनों की भूख हड़ताल रखी थी, जिसके पश्चात डीयू प्रॉक्टर ने हम सभी को आश्वस्त किया था कि दिवाली के बाद एक हफ़्ते में कैम्पस को वापस से खोल दिया जाएगा। लेकिन प्रशासन का यह आश्वासन भी एक जुमला मात्र साबित हुआ। इस प्रकार की जुमलेबाज़ी के ख़िलाफ़ हमने आर्ट्स फ़ैकल्टी पर अनिश्चितक़ालीन धरने की घोषणा की है। इसका आज 30 दिन पूरा हो गया है। हमारी माँग है कि हमारे कैम्पस को पूरी तरह से वापस खोला जाए और जिस प्रकार से भाजपा सरकार द्वारा पूरे देश में शिक्षा के ऊपर लगातार हमले हो रहे हैं, उसे तुरंत बंद किया जाए।”

दरअसल, इस अनिश्चितकालीन धरने से पहले 25-29 अक्टूबर के बीच इन्हीं छात्रों ने भूख हड़ताल किया था। जिसके बाद विवि प्रशासन से आश्वासन दिया था कि दिवाली के बाद कैंपस खोले जाएंगे। लेकिन ऐसा न होने पर छात्रों ने फिर से प्रोटेस्ट करने का फैसला किया।

डीएसयू की प्रिया कहती हैं कि इससे पहले 5 दिनों तक 3 साथियों ने भूख हड़ताल भी की थी। प्रशासन द्वारा कैंपस खोलने को लेकर दिए गए आश्वासन के बाद इस भूख हड़ताल को खत्म कर दिया गया था। लेकिन यूनिवर्सिटी की तरफ से इस पर कोई सुनवाई नहीं की गयी तो 8 नवंबर को अनिश्चितकालीन धरने पर बैठना पड़ा। आज इस धरने को एक महीना पूरा हो गया है, लेकिन प्रशासन की तरफ से कोई भी बात तक करने नहीं आया। इसी बीच हमने सेंट्रल लाइब्रेरी को 24 घंटे खोलने को लेकर भी एक मेमोरेंडम दिया, लेकिन इस पर भी कोई सुनवाई नहीं हुई।

वहीं वीसीएफ के आलम प्रशासन से सवाल करते हुए कहते हैं, “दिल्ली में अब मैट्रो, बस और अन्य तमाम जगह भी खुल चुकी हैं। लेकिन यूनिवर्सिटी को नहीं खोला जा रहा है। जिसके कारण बहुत से छात्र पढ़ नहीं पा रहे हैं। ऑनलाइन शिक्षा के कारण बहुत से छात्रों को एग्जाम देने में दिक्कत आ रही है क्योंकि न तो उनके पास उचित संसाधन है और न ही यूनिवर्सिटी द्वारा कोई लैपटॉप या अन्य उपयोगी संसाधन का इंतजाम किया गया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी से हमारी मांग हैं कि जल्दी से कैंपस को खोला जाये।”

प्रशासन की ओर से पूर्ण रूप से कैंपस खोले जाने को लेकर अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गयी है। हालाँकि पीजी एवं स्नातक के अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए शोध कार्य, प्रैक्टिकल तथा प्रोजेक्ट वर्क, और शोध छात्रों के लिए लाइब्रेरी और लैब खोला गया है। लेकिन ऑफलाइन क्लासेज़ पर अभी किसी तरह की चर्चा नहीं है।

डीयू के नए वीसी योगेश सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू में कहा हैं कि “हमारी स्थिति स्कूलों से बहुत अलग है। स्कूली छात्र स्थानीय होते हैं, जबकि हमारे सभी राज्यों से हैं। हमें उन राज्यों में भी कोविड की स्थिति देखनी होगी। हमने अब प्रैक्टिकल, प्रोजेक्ट, पीएचडी छात्रों, पीजी के लिए शोध और स्नातक अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए खोल दिया है। लेकिन अब हम इसे बहुत जल्द प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष के लिए प्रैक्टिकल और रिसर्च प्रोजेक्ट के लिए खोल सकते हैं। लेकिन मुख्य मुद्दा थ्योरी क्लास का है। हमारे लिए प्रैक्टिकल के लिए ओपन करना बहुत आसान है और हम इसे करेंगे भी।”

डीडीएमए का हवाला देते हुए आगे वे कहते हैं, “अभी सिर्फ 50% क्षमता की अनुमति है। आलम यह है कि कॉलेजों में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं प्रवेश ले रहे हैं। उनके पास उन छात्रों के लिए भी पर्याप्त बुनियादी ढांचा नहीं है। यदि डीडीएमए इसमें ढील देता है और सौ फीसदी की अनुमति देता है, तो हम तुरंत ऑफ़लाइन कक्षाओं की अनुमति देंगे।”

लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में रिसर्च फेलो हैं

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