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मणिपुर के मुद्दे पर लोकसभा में गतिरोध बरकरार, हंगामे के बीच तीन विधेयक पारित

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है।
Lok sabha
फ़ोटो : PTI

नयी दिल्ली: लोकसभा में शुक्रवार को भी पिछले कुछ दिन की तरह मणिपुर मुद्दे को लेकर गतिरोध बरकरार रहा और सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित करनी पड़ी। विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ही सदन ने तीन विधेयक पारित किये।

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है।

सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद जब दोपहर 12 बजे आरंभ हुई तो स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही। नारेबाजी के बीच ही कुछ आवश्यक कागजात सदन के पटल पर रखे गए। इसी दौरान शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने ‘भारतीय प्रबंध संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2023’ पेश किया।

विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच लोकसभा ने ‘खान और खनिज (विकास और नियमन) संशोधन विधेयक, 2023’, ‘राष्ट्रीय परिचर्या और प्रसूति विद्या आयोग विधेयक, 2023’ और ‘राष्ट्रीय दंत चिकित्सा आयोग विधेयक, 2023’ को मंजूरी दी।

पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने विपक्षी सदस्यों से सदन चलने देने की अपील की।

उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सांसदों से कहा कि इस पर लोकसभा अध्यक्ष फैसला करेंगे।

विपक्ष के कई सांसद आसन के निकट पहुंचकर नारेबाजी कर रहे थे।

हंगामा नहीं थमने पर उन्होंने 12 बजकर करीब 35 मिनट पर कार्यवाही सोमवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। संसद में शनिवार और रविवार को अवकाश होता है।

इससे पहले, कार्यवाही शुरू होने पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने प्रश्नकाल के तहत विधि एवं न्याय मंत्रालय से संबधित पूरक प्रश्न पूछने के लिए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सांसद ए एम आरिफ का नाम पुकारा। इसी दौरान विपक्षी सदस्य अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की मांग करने लगे और मणिपुर का मुद्दा उठाने लगे।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि 10 मई 1978 को तत्कालीन सरकार के खिलाफ विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था और उस पर उसी दिन चर्चा शुरू हो गई थी।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘‘ नियम के अनुसार 10 दिन का समय होता है। आप (बिरला) जब भी निर्णय लेंगे, हम तैयार हैं।’’

लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्षी सदस्यों से कहा, ‘‘ प्रश्नकाल सबके लिए महत्वपूर्ण समय होता है। यह प्रश्नकाल आपका है। इससे सरकार की जवाबदेही तय होती है... सदन नियम-कानून से चलता है।’’

शोर-शराबा नहीं थमने पर उन्होंने कार्यवाही शुरू होने के दो मिनट के भीतर ही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

कांग्रेस और विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) के अन्य घटक दल मानसून सत्र के पहले दिन से ही मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संसद में वक्तव्य देने और चर्चा कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण दोनों सदनों में कार्यवाही बाधित रही है।

कांग्रेस ने मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर संसद में जारी गतिरोध के बीच बुधवार को लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, जिस पर सदन में चर्चा के लिए मंजूरी दे दी गई थी। उस दिन लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा था कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करने के बाद इस प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तिथि तय करेंगे।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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