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दिल्ली: G-20 सम्मलेन से पहले जबरन बेदख़ली का आरोप, स्ट्रीट वेंडर्स ने सौंपा ज्ञापन

आरोप है कि आगामी G-20 शिखर सम्मेलन की तैयारियों के मद्देनज़र शहर के रेहड़ी-पटरी और फेरीवालों को बिना कोई विकल्प दिए हटाया जा रहा है।
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प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार: Pixabay

इस साल सितंबर में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन से पहले, राष्ट्रीय राजधानी में नगर निगम के एनफोर्समेंट सेल द्वारा स्ट्रीट वेंडर्स को उनके कार्यस्थलों से जबरन बेदख़ल किया जा रहा है। इसके ख़िलाफ़ शुक्रवार को दिल्ली नगर निगम (उत्तर) के सामने एक प्रोटेस्ट किया गया।

राजधानी दिल्ली के उत्तरी इलाक़ों जैसे जीटीबी नगर, विश्वविद्यालय और विजय नगर आदि से बड़ी संख्या में वेंडर्स विरोध प्रदर्शन के लिए जमा हुए थे। हालांकि, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने इस प्रदर्शन को तुरंत हटा दिया, और कहा कि जिला आयुक्त ने विरोध के लिए अनुमति को रिजेक्ट कर दिया था। विरोध प्रदर्शन का आयोजन सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) की दिल्ली प्रदेश 'रेहड़ी पटरी खोमचा हॉकर्स' यूनिट ने किया था। हालांकि यूनियन की ओर से फेरीवालों की प्रमुख मांगों को लेकर एक ज्ञापन असिस्टेंट कमिशनर को सौंपा गया।

प्रवर्तन अधिकारियों ने जीटीबी मेट्रो स्टेशन के गेट नंबर एक और दो पर काम करने वाले कुछ लोगों को 15 मार्च से अपना व्यवसाय बंद करने का निर्देश दिया था। ज्ञापन में कहा गया है कि इसी तरह का एक मामला जीटीबी नगर में हुआ था, जहां पिछले महीने वेंडर्स को 6 फरवरी से 28 फरवरी तक अपनी 'रेहड़ी पटरी' न लगाने के लिए कहा गया था।

प्रदर्शनकारियों में से एक 40 वर्षीय पवन कुमार जीटीबी नगर में मोबाइल एकसेसरीज़ की दुकान चलाते हैं, जहां एमसीडी ने वेंडर्स को हटाने के लिए तेज़ी से कार्रवाई की है। कथित तौर पर G-20 शिखर सम्मेलन के नाम पर की जा रही इस कार्रवाई से उन्हें काफ़ी निराशा हुई है।

कुमार ने न्यूज़क्लिक से कहा, “उन्होंने हमें कोई नोटिस नहीं दिया है। इसके अलावा हमारे पास उन्हें समझाने या शिकायत करने के लिए भी समय नही था। हमें यह भी पता नहीं है कि हमें क्यों हटाया जा रहा है। बाद में हमें बताया गया कि G-20 शिखर सम्मेलन के कारण ऐसा हो रहा है। सरकार को हमारी आजीविका के लिए कुछ विकल्प देने चाहिए।”

छह महीने बाद सितंबर में होने वाले G-20 शिखर सम्मेलन की तैयारी राजधानी में पहले ही शुरू हो चुकी है। इस साल, सितंबर से दिसंबर तक होने वाले शिखर सम्मेलन में लगभग 40 देशों के प्रतिनिधिमंडलों की मेज़बानी की जाएगी, क्योंकि कुछ ग़ैर G-20 देशों को भी आमंत्रित किया गया है।

हालांकि, इसकी तैयारियों ने दिल्ली के कामकाजी लोगों के कुछ सबसे कमज़ोर वर्गों को डरा दिया है। स्ट्रीट वेंडर्स और फेरीवालों को हटाने के साथ ही, सरकार ने 260 स्थानों को अतिक्रमण के रूप में भी चिन्हित किया है, जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन से पहले क्लियर किया जाना है।

द हिंदू के मुताबिक़, “एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के अनुसार दिल्ली सरकार के 26 विभाग और केंद्रीय एजेंसियां शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर काम कर रही हैं। द पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट (पीडब्ल्यूडी), दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और एनडीएमसी मुख्य रूप से सिविक इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार और सौंदर्यीकरण के काम से जुड़े होंगे। अनुमान है कि पीडब्ल्यूडी, एमसीडी और एनडीएमसी इस पर क्रमश: 448 करोड़ रुपये, 249 करोड़ रुपये और 78 करोड़ रुपये खर्च करेंगे।”

सीटू के रेहड़ी पटरी खोमचा हॉकर्स यूनियन, दिल्ली प्रदेश के महासचिव शकील अहमद ने आरोप लगाया कि दिल्ली और केंद्र दोनों सरकारों द्वारा पेश किए गए ब्लूप्रिंट में सार्वजनिक भलाई पूरी तरह से ग़ायब है।

उन्होंने कहा, “सवाल यह है कि अगर इन लोगों को उनके कार्यस्थल से बाहर किया जा रहा है, तो सरकार ने उन्हें कौन सा विकल्प उपलब्ध कराया है। ये सभी स्वरोज़गार करने वाले लोग हैं, ये सरकार से नौकरी तक नहीं मांग रहे हैं। लोगों को नौकरी देना तो दूर की बात है, यह सरकार तो उन लोगों का रोज़गार भी छीन रही है, जिन्होंने ख़ुद इसकी व्यवस्था की है।”

अहमद ने कहा कि यह कार्रवाई स्ट्रीट वेंडिंग अधिनियम, 2014 के नियमन का उल्लंघन है, जो यह निर्धारित करता है कि सरकार सर्वेक्षण करने और इन लोगों के व्यवसाय के लिए एक अलग क्षेत्र का निर्माण करने के बाद ही कार्रवाई कर सकती है।

कुछ अनुमानों के मुताबिक़, दिल्ली में लगभग तीन लाख स्ट्रीट वेंडर्स हैं। एमसीडी के आंकड़ों के मुताबिक़, उनमें से केवल 1.25 लाख वैध हैं, जिनमें से 30% महिलाएं हैं।

इस बीच, यूनियन ने कहा कि वह आने वाले दिनों में इस कार्रवाई के ख़िलाफ़ एक बड़े विरोध प्रदर्शन की योजना बना रही है।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर लिंक करें :

Delhi: Street Vendors Submit Memo Against Forceful Eviction by MCD Ahead of G20 Meet

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