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दिल्ली: पेंशन जारी न करने का आरोप, निर्माण मज़दूरों ने सीएम आवास के बाहर किया प्रदर्शन

आरोप है कि निर्माण बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों को पिछले वर्ष के नवंबर माह से पेंशन का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उन्हें काफ़ी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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नई दिल्ली : आज यानी 21 मार्च को दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में काम करने वाले निर्माण मज़दूरों ने मुख्यमंत्री आवास के समक्ष प्रदर्शन किया। आपको बता दें कि 60 वर्ष से अधिक आयु वाले पंजीकृत निर्माण-श्रमिकों की पेंशन रिलीज़ न करना इस प्रदर्शन की मुख्य वजह बताई गई।

ऐक्टू से जुड़े 'बिल्डिंग वर्कर्स यूनियन' के बैनर तले इस प्रदर्शन में दिल्ली के हैदरपुर, समयपुर बादली, वज़ीराबाद, संत-नगर, करावल नगर, गांधी विहार, मुस्तफाबाद, संगम विहार, ओखला आदि इलाक़ों में रहने वाले मज़दूर शामिल थे।

कार्यक्रम की शुरुआत सिविल लाइंस ट्रॉमा सेंटर से मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ़ एक जुलूस निकालकर हुई। आरोप है कि निर्माण बोर्ड में पंजीकृत श्रमिकों को पिछले वर्ष के नवंबर माह से पेंशन का भुगतान नहीं किया गया है, जिससे उन्हें काफ़ी आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

प्रदर्शन में शामिल यूनिनन और मज़दूरों ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार निर्माण श्रमिकों की कोई सुध नहीं ले रही है और लगातार घटते रोज़गार और बढ़ती दुर्घटनाओं से दिल्ली के निर्माण मज़दूर त्रस्त हैं।

ऐक्टू से जुड़े 'बिल्डिंग वर्कर्स यूनियन' के महासचिव वीकेएस गौतम ने प्रदर्शन में मौजूद श्रमिकों को संबोधित करते हुए कहा कि, "दिल्ली में रोज़गार की भारी कमी के कारण निर्माण श्रमिक बहुत परेशान हैं। 60 वर्ष से अधिक आयु वाले श्रमिकों की पेंशन को अकारण रोक दिए जाने के कारण मज़दूरों को काफ़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। निर्माण मज़दूरों के लिए बने वेलफेयर बोर्ड में पंजीकरण को लेकर पहले से ही दिल्ली में काफ़ी गड़बड़ियां रही हैं। ऐसे में तकनीकी कारणों के चलते पंजीकरण को बंद किया जाना सरासर गलत है। ऑनलाइन पंजीकरण बंद होने की स्थिति में दिल्ली सरकार को मैन्युअल पंजीकरण प्रक्रिया तत्काल शुरू कर देनी चाहिए।

केंद्र से लेकर दिल्ली सरकार, मज़दूर-अधिकारों के प्रति है उदासीन : ऐक्टू

आज के इस प्रदर्शन को ऐक्टू की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुचेता डे ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा, "कॉर्पोरेट-घरानों को खुश करने के लिए लाए गए श्रम-कोड मज़दूरों को गुलामी की ओर धकेल देंगे। आए दिन दिल्ली में औद्योगिक दुर्घटनाओं में मज़दूरों की हो रही मौतों के बावजूद दिल्ली सरकार मज़दूरों की सुरक्षा के प्रति उदासीनता बनाए हुए है। दिल्ली व केंद्र सरकार, दोनों ने ही ट्रेड यूनियनों के साथ वार्ता करना बंद कर दिया है। यह बहुत दुख की बात है।"

वहीं इसके अलावा प्रदर्शन में यह कहा गया कि ऐक्टू व इससे जुड़ी यूनियनें आगे भी इन मांगों को लेकर संघर्ष जारी रखेंगी।

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