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दिल्ली : सरकारी लापरवाही से कोरोना योद्धा लगातार हो रहे है शिकार!

वो लोग लगातार संक्रमित हो रहे हैं, जिनपर दूसरे लोगों को इस संक्रमण से बचाने की ज़िम्मेदारी हैं। इसमें देश के डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मी से लेकर पुलिस के जवान और अन्य वो सभी कर्मचारी हैं जो माहमारी में काम कर रहे हैं। शुक्रवार को लक्ष्मी नगर के कैट्स एम्बुलेंस सेवा-102 के 45 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
CATS
Image courtesy: Facebook

देश में कोरोना संक्रमण के मामले लगातर बढ़ रहे हैं। दिल्ली में कोरोना संक्रमित मरीजों की तादाद 6 हजार के पार हो चुकी है। चिंता की बात ये है कि यहां एक बड़ी संख्या में वे लोग भी कोरोना से संक्रमित हुए हैं जो दूसरों को इसके बचाने के लिए रात-दिन लड़ रहे हैं। शुक्रवार को लक्ष्मी नगर के कैट्स एम्बुलेंस सेवा 102 के 45 कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। कर्मचारियों का कहना है कि यह संख्या और बढ़ सकती है।
 
कैट्स एंबुलेंस के कुल 80 कर्मचारियों का टेस्ट हुआ था। जिसमें 45 लोगों को संक्रमण निकला। ये कर्मचारी लगातार लोगों को अस्पताल लाने और ले जाने का काम कर रहे थे और ये खुद संक्रमित हो गए। ये काफी चिंता की वजह है। कुछ के परिवार भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।
बता दें कि पूर्वी दिल्ली के लक्ष्मी नगर इलाके में कॉल सेंटर है और इस एम्बुलेंस कन्ट्रोल रूम में लगभग 80 लोग काम करते हैं। इन कर्मचारियों की जाँच रिपोर्ट आई है, इस रिपोर्ट ने बाकी कर्मचारियों में भय पैदा कर दिया है।  

कर्मचारियों का कहना है कि एम्बुलेंस चलाने वाले ड्राइवर और पैरामेडिकल स्टाफ पीपीई किट और अन्य सामान लेने के लिए इस कंट्रोल रूम में जाते  थे। अब इन कर्मचारियों को भी भी लग रहा है कि कही वो भी तो संक्रमित न हों। कर्मचारियों ने यह भी आरोप लगया कि इस कैट्स कंट्रोल रूम में ही सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं थे। ये इसी लापरवाही का नतीजा है।

कैट्स कर्मचारियों का कहना है कि इतने बड़े स्तर पर कैट्स के ऑफिस में संक्रमण हुआ है, इसके बाद भी बाकी कर्मचारियों को न तो क्वारंटाइन किया जा रहा है और न उनकी जाँच की जा रही हैं। बल्कि उन्हें काम पर बुलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह कर्मचारियों के साथ साथ आम जनता की जान के साथ भी खिलवाड़ हैं।
कैट्स एंबुलेंस स्टाफ यूनियन के नेता जसवंत लकड़ा ने कहा कि 'दिल्ली देश की राजधानी में एक निजी कंपनी GVK - Emri को बचाने के लिए पहले CATS डिपार्टमेंट का किया बंटाधार। अब  कर्मचारियों की जान से खिलवाड़ कर रहे है।'

उन्होंने कहा कि एक तरफ पूरा देश कोरोना योद्धाओ को सम्मानित कर रहा है। लेकिन वही दूसरी तरफ दिल्ली में कैट्स एम्बुलेंस विभाग अपने कर्मचारियों को आधी अधूरी सुविधाएं देकर मृत्यु के द्वार भेज रहा है। लकड़ा ने कहा, ‘निजीकरण जब से हुआ है तभी से कैट्स विभाग, कर्मचारी व अधिकारियों का पतन होना शुरू हो गया।'

कैट्स एम्बुलेंस विभाग का दिल्ली सरकार द्वारा 2016 से निजीकरण कर दिया गया था। अभी एक निजी कंपनी जीवीके को इसकी जिम्मेदारी दी गई है। कर्मचारियों ने इस कंपनी को लेकर कई तरह की शिकायतें की हैं। लेकिन सरकार की ओर से अभी इस पर ध्यान नहीं दिया गया है। अपनी मांगों और शिकायतों को लेकर कर्मचारियों ने 70 से अधिक दिनों तक हड़ताल भी की थी। जिसके बाद सरकार ने कर्मचारियों से उनकी मांगों को लकेर सहमति जताई थी लेकिन अभी तक दिल्ली सरकार ने इस मामले में कुछ किया नहीं है।

जब बाक़ी विभाग अपने उम्रदराज़ कर्मचारियों को काम पर नहीं बुला रहा है, जबकि कैट्स पर आरोप लग रहा है कि 55 साल के कर्मचारियों को फील्ड वर्क पर भेजा जा रहा है। इन कर्मचारियों की लगातार शिकायत रही है कि सरकार इन्हें सुरक्षा नहीं दे रही है।

कई जगह तो एंबुलेंस कर्मचारियों का कहना है कि 'वो लोग कोरोना संक्रमित मरीजों के सीधे संपर्क में आते हैं लेकिन उन्हें सुरक्षा के नाम पर बेसिक सेफ्टी किट भी नहीं दिए गए हैं। बॉडी सूट की बात तो छोड़ ही दीजिए। स्थिति इतनी खराब है कि एंबुलेंस में सुरक्षा के नाम पर न मास्क है न ही दस्ताने और न ही सैनिटाइज़र, गाड़ी में बदबू न आये इसके लिए गाड़ियों में कपूर की गोलियां रखी जाती हैं।’

लक्ष्मी नगर में स्थित कैट्स एंबुलेंस सेवा के दफ्तर में जो कॉल सेंटर था, वो भी जानी-मानी आईटी कंपनी विप्रो को दिया गया था और उसने इसके स्टाफ और प्रबंधन की अन्य जिम्मेदारियां अपनी सहयोगी कंपनी ट्रिनिटी को दे दी। यानी ठेके का भी ठेका दिया गया था।

‘हिंदुस्तान’ अख़बार की ख़बर के मुताबिक "मनमानी और लापरवाही का आलम ये रहा कि इस कंट्रोल रूम के साथ 2016 में एक बैकअप ऑफिस भी बनना था ताकि आपदा के समय मुख्य कार्यालय बंद करने की नौबत आए तो बैकअप ऑफिस से एंबुलेंस जैसी अति आवश्यक सेवा चलाई जा सके। आपदा तो आ गई लेकिन सरकार, प्रशासन और व्यावसायिक कंपनियां अपनी तैयारी पूरी नहीं कर पाईं।"

इसी दौरान दिल्ली पुलिस के करीब 100 जवान भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। जिनमें से 20 पुलिसकर्मी ठीक भी हुए हैं। जबकि कुछ दिनों पहले एक पुलिस कर्मी अमित को समय पर इलाज़ न मिलने से उनकी मौत हो गई थी। इसके साथ ही बीएसएफ के 6 जवान भी दिल्ली में कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इसके आलावा राजधानी में 200 से अधिक पैरा मेडिकल स्टाफ भी कोरोना संक्रमण का शिकार हो चुका है।

आपको बता दें कि पिछले कई दिनों से दिल्ली में कोरोना वायरस की रफ्तार बढ़ गयी है। 1 मई  से 9  मई तक के दिल्ली में रोज़ाना किस तरह केस बढ़ते चले गए।  

table_3.JPGस्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार दिल्ली के 36.5 फीसदी मरीज एक से छह मई के बीच आए हैं। दिल्ली की संक्रमण दर फिलहाल 8 फीसदी हो चुकी है, जो राष्ट्रीय स्तर से करीब दोगुना है।

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