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दिल्ली उच्च न्यायालय ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र से कहा "पानी सिर के ऊपर चला गया है"

न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह दिल्ली को आवंटित ऑक्सीजन में से शनिवार को ही 490 मीट्रिक टन प्राणवायु की आपूर्ति करे। इसने कहा कि ऐसा न करने पर उसे अवमानना कार्रवाई का सामना करना होगा।
दिल्ली उच्च न्यायालय ऑक्सीजन आपूर्ति के मामले में सुनवाई करते हुए केंद्र से कहा "पानी सिर के ऊपर चला गया है"

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह दिल्ली को आवंटित ऑक्सीजन में से शनिवार को ही 490 मीट्रिक टन प्राणवायु की आपूर्ति करे। इसने कहा कि ऐसा न करने पर उसे अवमानना कार्रवाई का सामना करना होगा।

अदालत ने यहां बत्रा अस्पताल में ऑक्सीन आपूर्ति की कमी की वजह से आठ लोगों की मौत का संज्ञान लिया और सरकार से कहा, ‘‘बस बहुत हो गया।’’

इसने केंद्र से पूछा, ‘‘आपको क्या लगता है कि जब दिल्ली में लोग मर रहे हैं तो हम आंखें बंद कर लेंगे।’’
न्यायालय ने केंद्र से कहा - हमें काम से मतलब है। पानी सिर के ऊपर चला गया है। इसके साथ ही आदेश टालने के केंद्र के आग्रह को उच्च न्यायालय ने ठुकरा दिया।

इसने कहा कि सरकार ने दिल्ली के लिए ऑक्सीजन आवंटन किया है और उसे यह पूरा करना चाहिए।

 यह सुनवाई ऑक्सीजन की कमी के कारण दिल्ली के बत्रा अस्पताल में 8 कोविड-19 मरीजों की मौत  पर हो रही थी।  राजधानी स्थित बत्रा अस्पताल में शनिवार को यहां के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी (जठरांत्र विज्ञान) विभाग के प्रमुख सहित आठ कोरोना संक्रमित मरीजों की ऑक्सीजन की कमी के कारण मौत हो गई।

यह जानकारी अधिकारियों ने दी।

डॉक्टर एस सी एल गुप्ता ने बताया कि पांच अन्य गंभीर मरीजों को बचाने के प्रयास किये जा रहे हैं।

राजधानी के विभिन्न अस्पतालों ने पिछले सप्ताह संकट कालीन संदेश (एसओएस) जारी कर ऑक्सीजन आपूर्ति खत्म होने के कगार पर होने की बात कही थी।

दिल्ली की सरकार भी लगातार कह रही है कि उसे उसके हिस्से का ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है।

न्यायालय ने केंद्र से पूछा, आदेश के बावजूद राजस्थान सरकार ने क्रायोजेनिक टैंकर क्यों नहीं छोड़े

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शनिवार को केन्द्र से पूछा कि अदालत के पिछले आदेशों के बावजूद राजस्थान सरकार ने रोके गए चार क्रायोजेनिक टैंकर क्यों नहीं छोड़े। ये क्रायोजेनिक टैंकर दिल्ली के लिए थे और इनका इस्तेमाल कोविड-19 रोगियों के इलाज में किया जाना है।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने 26 अप्रैल को आश्वासन दिया था कि इन टैंकरों को छोड़ दिया जाएगा। पीठ ने कहा कि इस आश्वासन को पूरा करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएं।

अदालत ने केन्द्र को तीन मई को उसके आदेश पर अमल करने के लिये कहा। अवकाश के दिन विशेष सुनवाई कर रही पीठ ने पूर्वाह्न साढ़े 11 बजे कार्यवाही शुरू की

अस्पतालों को मौजूदा अनुभवों से सीख ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने चाहिए : उच्च न्यायालय

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शनिवार को कहा कि अस्पतालों को कोविड-19 के बढ़ते मामलों की वजह से ऑक्सीजन की हुई कमी से सीख लेकर इस जीवन रक्षक गैस का उत्पादन करने वाले संयंत्र स्थापित करने चाहिए।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा कि कुछ अस्पताल व्यावसायिक पहलुओं पर गौर करते हुए ऑक्सीजन संयंत्र जैसी चीजों पर पूंजीगत निवेश घटा देते हैं जबकि अस्पतालों के लिए खासतौर पर बड़े अस्पतालों के लिए यह आवश्यक है।

पीठ ने कहा, ‘‘ ऑक्सीजन संयंत्र आवश्यक है और उनके पास यह नहीं होना गैर जिम्मेदाराना है।’’

अदालत ने कहा, ‘‘आपको (अस्पतालों को) अपने अनुभवों से भी सीखना चाहिए और संयंत्र स्थापित करने चाहिए।’’

उन्न न्यायालय ने यह टिप्पणी छुट्टी के दिन दिल्ली में ऑक्सीजन और कोविड-19 संबंधी अन्य समस्याओं को लेकर दाखिल कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए की।

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