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दिल्ली : NSD छात्रों का प्रदर्शन और भूख हड़ताल जारी, कहां हैं चेयरमैन परेश रावल?

ड्रामा स्कूल प्रशासन के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि संस्थान फ़िलहाल भगवान भरोसे चल रहा है। यहाँ न तो परमानेंट डायरेक्टर हैं और न ही छात्रों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त शिक्षक।
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देश के प्रमुख रंगमंच संस्थान नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा यानी एनएसडी के छात्र बीते छह दिनों से स्कूल प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका ये प्रदर्शन 3 अक्टूबर से चल रहा है और अपनी मांगें पूरी होने तक छात्र धरने पर डटे रहने की बात कर रहे हैं। इनमें से एक छात्र 6 अक्टूबर की सुबह से भूख हड़ताल पर भी है। छात्रों का कहना है कि स्कूल के सही तरीके से फंक्शन नहीं करने को लेकर वे लोग 11 मई और 22 सितंबर को एनएसडी के चेयरमैन परेश रावल को ख़त लिख चुके हैं। लेकिन अब तक चेयरमैन के दफ्तर से किसी तरह का कोई जवाब नहीं आया है, और न ही वो छात्रों से मिलने के लिए तैयार हुए हैं। प्रशासन के कुछ लोग फोन के जरिए छात्रों से संपर्क में हैं लेकिन खुले तौर पर अभी तक कोई इन छात्रों से संवाद करने नहीं आया है।

प्रदर्शनकारी छात्रों ने न्यूज़क्लिक से बातचीत में कहा, "संस्थान फिलहाल भगवान भरोसे चल रहा है। यहां न तो परमानेंट डायरेक्टर हैं और नाही छात्रों को पढ़ाने के लिए पूरे शिक्षक। मौजूदा डायरेक्टर रमेश चंद्र गौड़ थिएटर बैकग्राउंड के नहीं हैं, और इसलिए वे रंगमंच के छात्रों की जरूरतों को प्राथमिकता नहीं दे पा रहे हैं। नाटक के प्रोडक्शन के लिए दिया जाने वाला बजट दिन ब दिन कम किया जा रहा है। ऐसे में संस्थान की अकादमिक गतिविधियां बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं।"

प्रदर्शन में शामिल छात्र तमिलारासी ने बताया, "धरने पर बैठे छात्रों की कई मांगें हैं, लेकिन सबसे बड़ी और ज़रूरी मांग है कि संस्थान में तत्काल प्रभाव से परमानेंट डायरेक्टर की नियुक्ति हो, जो थिएटर प्रैक्टिशनर हो और थिएटर के भविष्य को लेकर छात्रों के सामने अपना एक विज़न प्रस्तुत कर सके। जिससे छात्रों को कलात्मक गाइडेंस मिले और क्लासेस की गुणवत्ता भी सुनिश्चित हो सके।"

तमिलारासी के अनुसार फिलहाल संस्थान में कुल 17 शिक्षकों के पद मौजूद हैं, लेकिन सिर्फ 6 शिक्षक ही छात्रों को पढ़ा रहे हैं। यानी 11 शिक्षकों के पद खाली हैं। इसके अलावा उन्हें एकेडमिक इयर में क्या सिलेबस पढ़ाया जाना है और उसे कौन से टीचर पढ़ाएंगे, इसकी जानकारी भी छात्रों के पास नहीं होती। कभी टीचर समय पर नहीं मिल पाते, तो कभी उन्हें क्या पढ़ाना है ये पता नहीं होता, इससे एकेडमिक ईयर के कई दिन ऐसे ही बर्बाद हो जाते हैं।

क्या है छात्रों की प्रमुख मांगें?

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा स्टूडेंट यूनियन ने अपनी मांगों को लेकर एक पत्र भी जारी किया है। जिसमें छात्रों की मांगों को क्रमवार तरीके से विस्तार में बताया गया है। इस पत्र के अनुसार छात्रों की पांच प्रमुख मांगे हैं। जिसमें स्थाई डायरेक्टर की नियुक्ति से लेकर रजिस्ट्रार के बदलाव तक की बातें शामिल हैं।

पर्मानेंट आर्टिस्टिक डायरेक्टर की नियुक्ति- छात्रों के मुताबिक मौजूदा डायरेक्टर रमेश चंद्र गौड़ डायरेक्टर इंचार्ज हैं, वो न तो थिएटर बैकग्राउंड के हैं और नाही संस्थान के स्थाई डायरेक्टर हैं। ऐसे में एनएसडी के अलावा उनके पास कई तरह की जिम्मेदारियां हैं, जिसके चलते छात्रों की अकादमिक गतिविधियां प्रभावित हो रही हैं।

- पर्मानेंट फैकल्टी की नियुक्ति- छात्रों के अनुसार एनएसडी में अभी कुल 6 पक्के फैकल्टी मेंबर हैं। जबकि 11 बचे हुए पद खाली पड़े हैं। फैकल्टी की कमी के कारण छात्रों को कलात्मक गाइडेंस नहीं मिल पा रही है, जो भी क्लास हो रही है, उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

- डायरेक्टर और फैकल्टी की नियुक्ति में पारदर्शिता - छात्रों की मानें तो नियुक्ति की प्रक्रिया से उनका भरोसा खत्म हो गया है। इसलिए वो फैकल्टी और डायरेक्टर के अपॉइन्टमेंट प्रोसेस में पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं। डायरेक्टर और डीन के ऑफिस से मिली जानकारी के अनुसार 2018 के बाद से दो बार फैकल्टी और डायरेक्टर के लिए इंटरव्यू हो चुके हैं। मगर उस आधार पर किसी को नियुक्त नहीं किया गया। छात्रों का ये भी कहना है कि बीते दिनों जो भी फैकल्टी नियुक्त की गई, उनकी क्वॉलिटी पर गंभीर सवाल उठे। इसलिए छात्रों की मांग है कि फैकल्टी की नियुक्ति में बाकायदा फीडबैक मेकैनिज़्म की शुरुआत की जाए।

- अकैडमिक शेड्यूल की प्रॉपर प्लानिंग और डीन का बदलाव- छात्र चाहते हैं कि उन्हें अकैडमिक इयर में क्या पढ़ाया जाना है और उसे कौन से टीचर पढ़ाएंगे, इसकी जानकारी 6 महीने पहले दी जाए। जिससे छात्रों के अकैडमिक इयर के कई दिन बर्बाद न हों। इसलिए छात्रों की मांग है कि नए डीन नियुक्त किए जाएं, जो स्कूल को बेहतर तरीके से चला पाएं।

- रजिस्ट्रार का बदलाव- छात्रों का कहना है कि रजिस्ट्रार की अक्षमता की वजह से स्कूल की रोज़ाना की फंक्शनिंग में दिक्कत आ रही है। छात्रों को नाटक के प्रोडक्शन के लिए दिया जाने वाला बजट कम किया जा रहा है। प्रोडक्शन के लिए सेट मटीरियल या कॉस्ट्यूम के लिए भी समय पर पैसे नहीं दिए जाते, जिससे नाटक की क्वॉलिटी खराब हो रही है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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इसके अलावा जो भी गेस्ट फैकल्टी बच्चों को पढ़ाने के लिए बुलाए जाते हैं, उन्हें ढंग की रुकने की जगह नहीं दी जाती, नाही उन्हें समय पर उनके पैसे दिए जाते हैं। इसलिए वो अगली बार आने से इनकार कर देते हैं। इससे छात्रों की शिक्षा की क्वॉलिटी के साथ समझौता हो रहा है।

संस्थान की प्रतिष्ठा और फंड की कमी

बता दें कि साल 2020 में अभिनेता और पूर्व बीजेपी सांसद परेश रावल को एनएसडी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। इससे पहले यह पद 2017 से खाली था। खास बात ये है कि परेश रावल इसी इंस्टीट्यूट से पढ़ाई भी कर चुके हैं। नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा देश के सबसे लोकप्रिय और प्रतिष्ठत थियेटर इंस्टीट्यूट में शुमार है। ये एक स्वायत्त संस्था है जो भारत सरकार के अंतर्गत आती है। इसे 1959 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा स्थापित किया गया था और साल 1975 में इसे एक स्वतंत्र स्कूल बना दिया गया था। नसीरुद्दीन शाह, संजय मिश्रा, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, रत्ना पाठक शाह, पंकज कपूर, इरफान खान, अनुपम खेर, पंकज त्रिपाठी, आशुतोष राणा, नीना गुप्ता और तिग्मांशु धूलिया जैसे कई दिग्गज कलाकार एनएसडी के पूर्व छात्र रह चुके हैं। हालांकि ये विडंबना ही है कि फिलहाल संस्थान के पास एक स्थाई डॉयरेक्टर तक नहीं है और खबरों की मानें तो बीते कई सालों से संस्थान फंड की कमी को लेकर भी संघर्ष कर रहा है।

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