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दिल्ली: रोज़गार की मांग को लेकर केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ युवाओं का हल्ला बोला

इस  विरोध प्रदर्शन का आह्वान भारत की जनवादी नौजवान सभा (DYFI)  की दिल्ली राज्य इकाई ने किया था। इसमें उन्होंने सवाल पूछा कि बजट सत्र के दौरान दिल्ली सरकार ने 12 लाख रोजगार देने का दावा किया था। कहाँ हैं ये 12 लाख लोग जिन्हें रोजगार मिला?
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कहां है मेरा रोजगार? अरविंद केजरीवाल जवाब दो! इसी नारे के साथ दिल्ली के सैकड़ों युवाओं ने दिल्ली मे  विरोध  प्रदर्शन  किया। इस प्रदर्शन में दिल्ली के अलग-अलाग इलाकों से नौजवान  रोजगार के सवाल को लेकर गुरुवार को भारी बरसात के बीच मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने पहुंचे थे। लेकिन पुलिस ने मुख्यमंत्री आवास से पहले ही युवाओं को विकास भवन के पास ही भारी बैरीकेडिंग लगाकर रोक दिया जिसके बाद युवाओं ने वहीं सड़क पर ही धरना लगा दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री कार्यालय से इन्हें बातचीत के लिए बुलाया गया, जिसमें नौजवानों का एक प्रतिनिधिमंडल गया और उन्होंने अपना मांग पत्र सौंप दिया।
 
इस  विरोध प्रदर्शन का आह्वान भारत की जनवादी नौजवान सभा (DYFI)  की दिल्ली राज्य इकाई ने किया था। इसमें उन्होंने सवाल पूछा कि बजट सत्र के दौरान दिल्ली सरकार ने 12 लाख रोजगार देने का दावा किया था। कहाँ हैं ये 12 लाख लोग जिन्हें रोजगार मिला? केजरीवाल जबाव दो।

उत्तर पश्चिम दिल्ली के महावीर एन्क्लैव से इस प्रदर्शन में शामिल होने आए विशाल ने बताया कि वो एमए , बीएड और यहाँ तक कि सीटेट का एग्जाम भी दो-दो बार पास  कर चुके हैं। लेकिन वो आज भी अपने माथे पर बेरोजगारी का तमगा लिए घूम रहे हैं क्योंकि इस सरकार ने उन्हें मौके दिए ही नहीं कि वो अपने काबलियत के हिसाब से काम कर पाएं।

विशाल कहते हैं कि वो एक शिक्षक हैं, लेकिन देशभर में अपने शिक्षा मॉडल को बेस्ट बताने वाले केजरीवाल सरकार ने शिक्षकों की भर्ती किया ही नहीं है। जो दिखता है, वो उनके शिक्षा मॉडल एक झूठे प्रचार से अधिक और कुछ नहीं है, क्योंकि बिना शिक्षक गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा संभव ही नहीं है।
 
उत्तर पूर्व दिल्ली के मुस्तफाबाद से मिर्जा ने भी दिल्ली सरकार के शिक्षा मॉडल की पोल खोलते हुए कहा कि आज शिक्षा और स्कूलों की कमी के कारण बच्चों को कुल दो-दो घंटे के शिफ्ट मे पढ़ाया जा रहा है। ये कौन सा शिक्षा मॉडल है? जहां छह घंटे की पढ़ाई दो घंटे में पूरी कराई जा रही है। इसके साथ ही मिर्जा, जो अपने जिले DYFI के नेता भी हैं, ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार पर गरीब बच्चों को स्कूल से बाहर करने का आरोप लगाया। वो कहते हैं कि सरकारों ने बोर्ड परीक्षा के नाम पर क्रमशः दसवीं और बारवहीं के छात्रों से 1800 और 3000 हजार रुपए वसूले हैं, जबकि केजरीवाल सरकार ने 2020 के चुनावी साल में इसे माफ किया और लोगों से वोट लिया और अगले ही सत्र में उन्होंने भी इसे वसूलना शुरू कर दिया है। हम मांग करते हैं कि इसे तत्काल वापस लिया जाए।
 
दक्षणी दिल्ली से आई रिक्ता कृषणस्वामी ने कहा कि 2016 से दिल्ली में लगातार बेरोजगारी की दर बढ़ रही है जबकि रोजगार के दर में गिरावट आई है। कोरोना काल में सबसे अधिक युवाओं की नौकरी इसी राजधानी दिल्ली में गई। लेकिन रोजगार के नाम पर ये सरकारें कुछ नहीं कर रहीं है। बल्कि कोरना का बहाना बनाकर भर्तियों की प्रक्रिया को ही रोक दिया गया है।

DYFI दिल्ली राज्य सचिव अमन ने दिल्ली सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव में ये ठेका कर्मचारियों को पक्का करने के वादे के साथ आए थे, लेकिन ये लगातार हर विभाग में ठेका कर्मियों की भर्ती कर रहे हैं। आज दिल्ली में 50% स्वीकृत पद खाली पड़े हैं। जिन्हें ये सरकार नहीं भर रही है। इसमें शिक्षक, इंजीनियर,डॉक्टर से लेकर चपरासी तक के पद हैं। ये सरकार देशभर में घूम-घूम कर बड़े-बड़े वादे कर रही है, लेकिन जहां ये सत्ता में हैं, वहाँ अपना एक भी वाद पूरा करने को तैयार नहीं है। सैनी ने कहा कि आज देशभर में ये प्रचार के दम पर शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल को सबसे उत्तम बता रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि आज राजधानी में शिक्षक के अभाव में शिक्षा और स्वास्थ्य कर्मियों के अभाव में अस्पताल अपना दम तोड़ रहे हैं। हम इन्हीं समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से मिलने आए हैं।

युवाओं की क्या हैं मांगे:

1. सरकारी विभागों में खाली पड़े हजारों पदों पर तुरतं भर्ती हो

 दिल्ली के विभिन्न सरकारी विभागों और एमसीडी में 50 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। इन पदों पर बहाली करने के लिए क्या किया? इन पदों पर नियुक्तियाँ कर दी गई होतीं तो आज हजारों युवाओं को रोजगार मिलता और जनता को बेहतर सेवा मिलती।

2. भगत सिंह शहरी रोजगार गारंटी योजना कानून बनाओ!

केजरीवाल सरकार ने इस साल के बजट को रोजगार बजट घोषित किया है। सरकार अगर दिल्ली में बढ़ती बेरोजगारी दर को कम करना चाहती है तो वह विधानसभा में मनरेगा की तर्ज पर भगत सिंह शहरी रोजगार गारंटी योजना कानून तत्काल बनाए। ताकि हर साल अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद युवाओं को रोजगार मिल सके।

3. सभी बेरोजगार युवाओं को प्रतिमाह 5000 रूपये बेरोजगारी भत्ता दो !

डी.वाई.एफ.आई. ने पिछले साल 12 सितम्बर को इस मांग को लेकर विरोध-प्रदर्शन किया, जिसके बाद दिल्ली सरकार ने बेरोजगार युवाओं को भत्ता देने की धोषणा की थी जिसे आज तक लागू नहीं किया गया है। ऊपर से दिल्ली सरकार ने मात्र ग्रेजुएट एवं पोस्ट ग्रेजुएट बेरोजगारों को ही बेरोजगारी भत्ता देने जैसी शर्त लगाकर इस योजना को सीमित कर दिया।

4. निजीकरण और ठेका-प्रथा बंद हो, कच्चे कर्मचारियों को पक्का हो!

आज दिल्ली में हजारों की संख्या में सफाई कर्मी, डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य विभागों में ठेके, अनुबंध आदि के आधार पर कर्मचारियों की भर्ती की जा रही है। ठेकेदारों के भ्रष्टाचार का बोलबाला है। केजरीवाल सरकार ने चुनाव के समय कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने का वादा किया था। सरकार अपने इस वायदे को पूरा करे।

5. स्कूलों में भारी परीक्षा फीस की वसूली बंद करो और स्थायी शिक्षकों की भर्ती करो !

दिल्ली स्कूल मॉडल का दावा करने वाली केजरीवाल सरकार की हकीकत यह है कि दिल्ली के स्कूलों में हजारों शिक्षकों की कमी है। दिल्ली के स्कूलों में 10वीं और 12वीं की परीक्षा फीस के नाम पर हजारों रुपए लिये जा रहे हैं, जिसके कारण हजारों छात्र छात्राओं को मजबूरन पढ़ाई छोड़नी पड़ी।

6.  सरकारी स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूत करो।

7.  दिल्ली मैट्रो में छात्रों के लिए रियारत दर पर मैट्रो पास दिया जाए।

इसे भी देखें : युवाओं का दिल्ली सरकार पर बोला हल्ला, पूछा- 'कहां है हमारा रोज़गार?

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