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दिल्ली गैंगरेप: निर्भया कांड के 9 साल बाद भी नहीं बदली राजधानी में महिला सुरक्षा की तस्वीर

भारत के विकास की गौरवगाथा के बीच दिल्ली में एक महिला को कथित तौर पर अगवा कर उससे गैंग रेप किया गया। महिला का सिर मुंडा कर, उसके चेहरे पर स्याही पोती गई और जूतों की माला पहनाकर सड़क पर तमाशा बनाया गया है।
No more rape
'प्रतीकात्मक फ़ोटो' साभार: flickr

देश में महिला सुरक्षा की स्थिति ये है कि जिस दिन देश की राजधानी दिल्ली में गणतंत्र का पर्व जोर-शोर से मनाया जा रहा था, दुनिया को भारत के विकास की गौरवगाथा दिखाई जा रही थी, उसी दिन उसी दिल्ली के शाहदरा में इंसानियत शर्मसार हो रही थी। खबरों के मुताबिक कस्तूरबा नगर इलाके में एक महिला को कथित तौर पर अगवा कर उससे गैंग रेप किया गया। इतना ही नहीं आरोप है कि महिला का सिर मुंडा कर, उसके चेहरे पर स्याही पोती गई और जूतों की माला पहनाकर सड़क पर तमाशा बनाया गया है। इस मामले में पुलिस ने अब तक 11 लोगों को गिरफ़्तार किया है। जिसमें नौ महिलाएं भी शामिल हैं।

बता दें कि पुलिस ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत केस रजिस्टर किया है। इसमें गैंग रेप, मार-पीट, यौन हमला, आपराधिक साज़िश के आरोप भी शामिल हैं। पुलिस का कहना है कि इस मामले में नामजद किए गए सभी 11 अभियुक्त अवैध शराब के कारोबार से जुड़े हुए हैं और गिरफ़्तार किए गए लोगों में दो किशोर उम्र के भी हैं जिन पर रेप का आरोप है।

क्या है पूरा मामला?

प्राप्त जानकारी के मुताबिक पीड़िता की उम्र 20 साल बताई जा रही है। साल 2018 में इस महिला की शादी हुई थी और वे दिल्ली के आनंद विहार इलाके में एक किराये के घर में अपने तीन साल के बेटे के साथ रहती हैं।

महिला की बहन ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि पड़ोस के एक लड़के ने पिछले साल नवंबर महीने में खुदकुशी कर ली थी। लड़के का दावा था कि वो उसकी बहन से प्यार करता है। उन्होंने बताया कि "उस लड़के के घर वाले मेरी बहन को अपने बेटे की मौत के लिए जिम्मेदार बताते थे।"

महिला की छोटी बहन ने कहा है कि उन्हें पिछले साल नवंबर से ही डराया-धमकाया और परेशान किया जा रहा था। नवंबर में ही अभियुक्तों में से एक के बेटे ने पीड़िता के द्वारा कथित तौर पर ठुकराये जाने के बाद रेलवे ट्रैक पर खुदकुशी कर ली थी। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, उस परिवार ने कथित तौर पर बदले की कसम खाई थी।

महिला की बहन ने बताया कि बुधवार, 26 जनवरी को वो अपनी बहन को गेहूं देने आ रही थीं। उन्हें पता नहीं था कि कुछ लोग उनका पीछा कर रहे थे। कुछ के हाथों में डंडे थे और एक महिला के हाथ में कैंची भी थी। जब पीड़िता अपनी बहन के घर पहुंची और उन्होंने अपनी बहन को नीचे आने के लिए कहा तभी एक ऑटो रिक्शा में उन्हें अगवा कर लिया गया।

बहन ने कहा - डर के मारे किसी ने नहीं कहा

उन्होंने बताया, "उन्होंने मेरा मोबाइल फोन छीन लिया ताकि मैं पुलिस को इसकी रिपोर्ट न कर सकूं। उन्होंने मेरी आंखों के सामने मेरी बहन को एक ऑटो में अगवा कर लिया। गाड़ी के भीतर ही वे मेरी बहन के बाल काटने लगे। वे लोग उन्हें अपने घर के भीतर ले गए और बंद कर दिया। उनका सिर मुंडा दिया गया। उन्हें बुरी तरह से पीटा गया और ग़लत काम किया मेरी बहन के साथ।"

उन्होंने बताया कि अभियुक्त ने उनके भतीजे को भी अगवा कर लिया था लेकिन वो किसी तरह से उन्हें छुड़ाने में कामयाब रहीं। उन्होंने अपने भतीजे को एक घर में छुपाकर रखा है और उनका कहना है कि उनकी जान को ख़तरा है।

पीड़िता की बहन ने बताया कि जब उनकी बहन के साथ ये सब कुछ हो रहा था तब कोई मदद के लिए नहीं आया। डर से कोई भी पड़ोसी उन्हें बचाने के लिए नहीं आया। उन्होंने बताया कि किसी तरह को पुलिस को इस घटना की जानकारी दे पाईं और पुलिस ने उनकी बहन को छुड़ाया।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार, 27 जनवरी को इस घटना को शर्मनाक बताते हुए केंद्र सरकार से पुलिस को कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश देने की अपील की। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "ये बेहद शर्मनाक है। अपराधियों की इतनी हिम्मत हो कैसे गई? केंद्रीय गृहमंत्री जी और उपराज्यपाल जी से मैं आग्रह करता हूं कि पुलिस को सख़्त एक्शन लेने के निर्देश दें, क़ानून व्यवस्था पर ध्यान दें। दिल्लीवासी इस तरह के जघन्य अपराध और अपराधियों को किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे।"

मालूम हो कि दिल्ली की कानून व्यवस्था केंद्र सरकार के अंतर्गत आती है, जिसमें दिल्ली पुलिस भी शामिल है। दिल्ली पुलिस केंद्र के दिशा निर्देशों पर ही काम करती है और उसी के प्रति जवाबदेह भी है।

पुलिस का क्या कहना है?

पुलिस के मुताबिक इस घटना को निजी दुश्मनी के लिए अंजाम दिया गया है। इस मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं। साथ ही पीड़िता को हर तरह की मदद और काउंसिलिंग मुहैया कराई जा रही है।

इससे पहले शाहदरा क्षेत्र के लिए दिल्ली पुलिस के उपायुक्त आर सथ्यसुदंरम ने सोशल मीडिया के जरिए बताया था, "आपसी रंज़िश के कारण शाहदरा ज़िले में एक महिला पर यौन हमले की दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई है। पुलिस ने चार अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया है और घटना की जांच की जा रही है। पीड़िता को काउंसिलिंग और हर संभव मदद दी जा रही है।"

महिला आयोग ने लिया संज्ञान

दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने इस घटना पर संज्ञान लिया साथ ही पुलिस से कड़ी कार्रवाई की अपील भी की। स्वाति मालीवाल ने इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर लड़की और उसके परिवार के लिए सुरक्षा की मांग की।

मालीवाल ने मीडिया से कहा कि वे पीड़िता से मिली हैं और उसने बताया कि किस तरह से उसके साथ 3 लोगों ने गैंगरेप किया। उसके शरीर पर अमानवीय घाव हैं। उन्होंने कहा कि शराब बेचने वालों ने लड़की का अपहरण कर उससे गैंगरेप किया था।

गौरतलब है कि अभी बीते दिसंबर में ही निर्भया कांड के नौ साल पूरे हुए हैं। ऐसे में आए दिन दुष्कर्म की वारदातें, हर 18 मिनट में बलात्कार का एक मामला, निर्भया कांड के न्यायिक नतीजे से आने वाले व्यापक सामाजिक बदलावों की उम्मीद पर कई सवाल खड़े करता है। इस मामले के बाद महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण को लेकर बड़े-बड़े वादे हुए, क़ानून में संशोधन हुए, महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 2013 में जस्टिस वर्मा कमेटी गठित की गई। सरकारें बदली लेकिन आज नौ साल बाद भी महिला सुरक्षा की तस्वीर नहीं बदली।

आज भी देश के जाने-माने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में लड़कियों को अपनी सुरक्षा के लिए आंदोलन करना पड़ता है। प्रशासन से यौन हिंसा के खिलाफ कार्रवाई के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है। ये हाल सिर्फ बीएचयू का नहीं है, जेएनयू, जामिया समेत देश के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों का है। हाथरस, बिजनौर, मुंबई, हैदराबाद, गुजरात सहित लगभग सभी राज्यों का भी है। अब आप समझ सकते हैं कि देश में कानून सख्त होने के बाद महिलाएं कितनी सशक्त हुई हैं और अपराधी कितने बेखौफ।

नहीं है सुरक्षित देश की महिलाएं

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो यानी एनसीआरबी के आंकड़ों को देखें तो पूरे देश में साल 2020 में बलात्कार के हर दिन औसतन करीब 77 मामले दर्ज किए गए और कुल संख्या 28 हजार 46 रही। इनमें से 295 मामलों में पीड़िताओं की उम्र 18 साल से कम थी। यानी हर 18 मिनट में एक लड़की यौन हिंसा और बलात्कार का शिकार होती है।

जानकारों और खुद महिला आयोग के अनुसार ये संख्या असल मामलों से कहीं दूर है क्योंकि कोरोना और लॉकडाउन के चलते पुलिस और सहायता दोनों महिलाओं से दूर हो गईं थी।

वहीं साल 2019 की बात करें तो प्रतिदिन बलात्कार के औसतन 87 मामले दर्ज हुए और साल भर के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,05,861 मामले दर्ज हुए जो 2018 की तुलना में सात प्रतिशत अधिक थे।

हालांकि महिलाओं से जुड़े अपराधों के ख़िलाफ़ मुहिम चलाने वालों का कहना है कि रेप और यौन हिंसा के हज़ारों मामले पुलिस के पास तक पहुंचते ही नहीं हैं। असल में इसके वास्तविक आंकड़ें कहीं ज्यादा हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जनाक्रोश को सड़कों पर लाने वाला निर्भया कांड, आख़िर देश में महिला सुरक्षा के विमर्श को कितना आगे ले गया? जस्टिस वर्मा कमेटी की सिफ़ारिशें कितनी कारगर रहीं? और आख़िर में सवाल ये भी कि निर्भया कांड के दोषियों को फांसी देने के बाद देश में महिलाओं के ख़िलाफ़ हो रहे अपराधों में कितनी कमी आई?

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