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दिल्ली दंगा : इशरत जहां का जेल में मारपीट का आरोप, अदालत ने सुरक्षा सुनिश्चित करने का दिया निर्देश  

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने जेल अधिकारियों को इशरत जहां की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया है।
दिल्ली दंगा

दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के कथित आरोप में सख्त गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत गिरफ्तार पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां ने मंगलवार को यहां एक अदालत के समक्ष आरोप लगाया कि मंडोली जेल में कैदियों ने उनके साथ बुरी तरह से मारपीट की और उन्हें लगातार उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। इससे पहले इस तरह के आरोपों में गिरफ़्तार एक्टिविस्ट उमर खालिद ने भी जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए थे। उमर खालिद ने जेल में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया था।  

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने जेल अधिकारियों को इशरत जहां की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने का निर्देश दिया।

अदालत ने जेल अधिकारियों से बुधवार को विस्तृत रिपोर्ट देने और बताने को कहा कि इस मुद्दे के हल के लिए क्या कदम उठाए गए हैं और क्या जहां को किसी अन्य जेल में स्थानांतरित करने की जरूरत है।

जब अदालत ने मंडोली जेल की सहायक अधीक्षक से पूछा कि क्या ऐसी कोई घटना हुई है, तो उन्होंने इसकी पुष्टि की और कहा कि जरूरी कदम उठाए गए हैं।

इस पर अदालत ने जेल अधिकारी से कहा, “वह (जहां) पूरी तरह से डरी हुयी हैं। कृपया तुरंत उनसे बात करें और स्थिति को समझें। उनकी आशंका और डर को दूर करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में विस्तृत रिपोर्ट दायर करें।’’

न्यायाधीश ने जेल अधिकारियों को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जहां को बुधवार को अदालत में पेश करने का भी निर्देश दिया।

जहां ने अदालत में सीधे दलीलें पेश करते हुए कहा कि यह एक महीने के भीतर दूसरी घटना थी और वह लगातार शारीरिक एवं उत्पीड़न के कारण काफी तनाव में हैं।

जहां ने आरोप लगाया, ‘‘ एक महीने में यह दूसरी घटना है। आज सुबह 6:30 बजे, उन्होंने (कैदियों ने) मुझे बुरी तरह पीटा और गालीगलौज की। उनमें से एक ने अपना हाथ भी काट लिया ताकि मुझे झूठी शिकायत करने पर सजा दी जाए। सौभाग्य से, जेल अधिकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी। मैंने लिखित शिकायत भी की है। वे मुझे आतंकवादी कहते रहते हैं। उन्होंने मुझसे कैंटीन में पैसे की भी मांग की।’’

इशरत जहां की ओर से पेश वकील प्रदीप तेवतिया ने आरोप लगाया कि पहले भी कैदियों ने उनके साथ मारपीट की थी, जिसके बाद कैदियों में से एक को दूसरी जेल भेज दिया गया।

सुनवाई के दौरान मौजूदा अधिवक्ता मिस्बाह बिन तारिक ने अदालत से तत्काल कार्रवाई करने और जहां की स्थिति पर तत्काल गौर करने का अनुरोध किया क्योंकि जहां अधिवक्ताओं के बार की सदस्य हैं।

खालिद ने जेल में चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराने का लगाया था आरोप

आपको बता दे उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फरवरी में हुए दंगों से संबंधित एक मामले में गिरफ्तार किए गए जेएनयू छात्रसंघ के पूर्व नेता उमर खालिद ने अपनी पिछली 16 दिंसबर की सुनवाई में अदालत में आरोप लगाया था कि पिछले तीन दिन से उन्हें दांत दर्द की शिकायत है, लेकिन तिहाड़ जेल प्रशासन ने कोई उपचार मुहैया नहीं कराया है।

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने जेल अधीक्षक को जेल नियमों के तहत खालिद को उपयुक्त उपचार मुहैया कराने के निर्देश दिए।

अदालत ने जेल प्रशासन को दो दिन के अंदर एक अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का भी निर्देश दिया।

अदालत ने अपने आदेश में कहा, ' संबंधित जेल अधीक्षक को जेल नियमावली के अनुसार आरोपी (खालिद) को उपयुक्त उपचार मुहैया कराने का निर्देश दिया जाता है। जांच करने के लिए अगले दिन तक यदि दंत चिकित्सक जेल में उपलब्ध नहीं है, तो आवश्यकता पड़ने पर आरोपी को जेल के बाहर किसी दंत चिकित्सक के पास इलाज के लिए ले जाया जा सकता है।'

खालिद ने कहा कि आज जेल में एक दंत चिकित्सक के आने की उम्मीद थी लेकिन वह नहीं आए। ऐसे में दर्द के चलते अगले सप्ताह तक दंत चिकित्सक का इंतजार करने में मुश्किल होगी।

अदालत ने खजूरी खास इलाके में हुए दंगे से संबंधित एक मामले में खालिद की न्यायिक हिरासत की अवधि 14 दिनों के लिए बढ़ा दी थी। खालिद को इस मामले में एक अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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