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दिल्ली: केंद्र के अस्पतालों से सफाई कर्मचारियों की छंटनी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन, पुलिस ने लिया हिरासत में

हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी केंद्र सरकार के अस्पतालों में मैनेजमेंट ने सफाई कर्मचारियों को अभी तक बहाल नहीं किया। जिससे नाराज़ कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया।
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दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद बहाली ना होने के कारण कलावती सरन अस्पताल, LHMC, RML और रेकोन अस्पतालों के सफाई कर्मचारियों ने 15 जून बुधवार को सेंट्रल दिल्ली में मार्च निकालने का आह्वान किया था। परन्तु पुलिस ने उन्हें अनुमति नहीं दी और सैकड़ों की तादाद में आए सफ़ाई कर्मचारियों को पुलिस ने मार्च नहीं निकालने को कहा लेकिन जब कर्मचारी पीछे नहीं हटे तो पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और मंदिर मार्ग थाने में ले गई। जहाँ देर शाम उन्हें रिहा किया गया। 

आज के इस विरोध प्रदर्शन में मजदूरों का साथ देते हुए छात्र संगठन आईसा ने भी इस प्रदर्शन में हिस्सा लिया। पुलिस द्वारा सफाई कर्मचारियों समेत ऐक्टू और आइसा के छात्रों को मन्दिर मार्ग थाने में बन्द कर के रखा हुआ है। इसके खिलाफ पुलिस थाने के अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन चल रहा है।

मज़दूर संगठन ऐक्टू दिल्ली के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा संचालित इन अस्पतालों में लगभग 300 से ऊपर सफाई एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों की छटनी कर दी गई है। इस गैरकानूनी छँटनी के खिलाफ ऐक्टू के नेतृत्व में कालावती सरन अस्पताल, LHMC, RML और रेकोन अस्पतालों में लगातार आंदोलन चल रहा है। हाई कोर्ट की तरफ से भी इन कर्मचारियों को वापस रखने के पक्ष में फैसला सुनाया है। इसके बावजूद अस्पताल प्रशासनठेकेदार और सरकार इन्हें काम पर वापस नहीं रख रहे हैं। ये वही कर्मचारी हैंजिन्होंने पूरे कोरोना काल के दौरान अपना जीवन दांव पर लगाकर आम जनता की सेवा की। लेकिन शर्मनाक है कि इन कर्मचारियों को पक्का करने के बजाय सरकार इन्हें काम से ही निकाल रही है। ठेकेदार द्वारा इन सफाई कर्मचारियों से खुलेआम घुस मांगा जा रहा है। जिसपर सरकार और अस्पताल प्रशासन द्वारा चुप्पी साधे हुए हैं।

यूनियन ने अपने बायना में प्रदर्शनकारियों की गिरफ़्तारी को शर्मनाक बताया और कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को बाधित करते हुए दिल्ली पुलिस द्वारा 100 से अधिक सफाई कर्मचारियों समेत ऐक्टू के राज्य सचिव सूर्य प्रकाश तथा ऐक्टू दिल्ली के अध्यक्ष संतोष रॉय को मंदिर मार्ग थाने में बंद कर रखा है। केंद्र सरकार ने 'आजादीके अमृत महोत्सव के उपलक्ष में सफाईकर्मचारियोंकोविड योद्धाओं के लिए इस तरह के 'सम्मान' का विशेष प्रबंध किया है। जिसके तहत दिल्ली और देश के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में सफ़ाई एवं स्वास्थ्य कर्मचारियों से सम्मानजनक रोजगार का हक़ छीना जा रहा है।

इस मसले पर ऐक्टू दिल्ली के राज्य सचिव सूर्य प्रकाश ने बताया कि हम लोग इन सफाई कर्मचारियों की गैर कानूनी छटनी के खिलाफ लगातार आंदोलन में है। माननीय हाईकोर्ट ने भी इन सफाई कर्मचारियों को काम पर वापस लेने का फैसला सुनाया हैबावजूद इसके इन्हें काम पर नहीं रखा जा रहा है। 

सूर्या ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए बताया कि हम प्रशासन से बात करना चाहते है लेकिन वो हमसे बात करने को तैयार नहीं है। लेकिन कोर्ट के आदेश और हमारे आंदोलन के बाद प्रशासन ने ठेकेदारों को तीन पत्र लिखकर इन सभी सफ़ाई कर्मचारी को वापस काम पर लेने को कहा है। लेकिन ठेकेदार सभी को नहीं ले रहे है। 

सूर्या ने कहा- प्रशासन चिठ्ठी तो लिख रहा है लेकिन एक त्रिपक्षीय वार्ता नहीं कर रहा है जिसमें अस्पताल प्रशासन, ठेकेदार और मज़दूरों के प्रतिनिधि आमने-सामने बैठकर वार्ता करें और मसले का हल हो सके।

वो आगे कहते हैं, "पहले हमें नौकरी से हटाया और अब हमें विरोध भी नहीं करने दे रहे है। मंगलवार को जब हम अपने मार्च के लिए एकत्रित हुए तभी पुलिस ने हमें हिरासत में ले लिया और अब हमें कह रहे है हम अस्पताल के बाहर भी धरने पर नहीं बैठ सकते है। लेकिन हम इन सबसे डरने वाले नहीं है।"

ये कर्मचारी नौकरी पर हटाए जाने के बाद से ही अस्पताल के बाहर धरने पर बैठे है। 

इन सफाई कर्मचारियों की बस इतनी मांग है कि दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का पालन किया जाए। 31 मई को माननीय हाईकोर्ट से कर्मचारियों को काम पर रखने का आदेश आने के बावजूद अस्पताल प्रबंधन मजदूरों को काम पर नहीं ले रहा है। मजदूरों पर केस वापस लेनेयूनियन सदस्यता छोड़ने और घूस देने का दबाव बनाया जा रहा है। ये बहुत दुःख की बात है कि केंद्र सरकार के अधीन आनेवाले अस्पताल प्रबंधन ने 25,000 रुपए घूस नहीं मिलने के कारण हाई कोर्ट का आदेश तक नहीं माना जिस कारण आज यूनियन को अस्पताल के बाहर प्रदर्शन करना पड़ा।

हलांकि ठेका कर्मियों को अधिकतर जगहों पर वेतन और सुविधाएं परमानेंट कर्मचारियों के बराबर नहीं दी जाती। हर बार कॉन्ट्रैक्ट बदलने के वक्त कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करने की कवायद तेज़ हो जाती है। कई बार ठेकेदार और सरकारी अफसरों द्वारा कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों से अवैध वसूली तक की जाती है। इस बार भी यही होता दिख रहा है।

सफ़ाई कर्मचारी यूनियन के महासचिव राम सेवक ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुआ बताया की वो 2016 से कलावती में सफ़ाई कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे थे लेकिन उन्हें अचानक बीते एक जून को बिना किसी नोटिस के हमें काम से निकाल दिया गया। जब उन्होंने पूछा की उन्हें क्यों निकाल रहे हैतो जबाब दिया गया की ठेकेदार को हटा दिया गया और नया ठेकेदार आ गया है। अगर उन्हें नौकरी करनी है तो नए ठेकेदार से मिलेवो ही उन्हें नौकरी दे सकता है।

राम सेवक ने कहा कि जब कर्मचारी नए ठेकेदार के पास गए तो उसने कर्मचारियों से 25 से 30 हज़ार रुपए मांगे और जिन्होंने वो दिया उन्हें काम पर वापस बुला लिया। लेकिन जिन्होंने मन किया उन्हें काम पर नहीं ले रहा है साथ ही यूनियन से जुड़े कर्मचारियों को भी नहीं ले रहा है। वो यूनियन के लोगों से अपने समान काम के समान वेतन की मांग वाली याचिका कोर्ट से वापस लेने और 25 रुपए देने की मांग कर रहा है। 

राम सेवक ने कहा- हमने कोर्ट से लड़कर न्यूनतम वेतन लिया था और अब हम समाना काम का समाना वेतन लेंगे, लेकिन ये ठेकेदार कर प्रशासन चाहता है, हम कोर्ट से केस वापस ले लें और अपने पैर पर खुद कुल्हाड़ी मार लें। 

आगे उन्होंने कहा- ये सरकार(केंद्र की मोदी सरकारगरीब लोगों के हितैषी होने की बात करती है लेकिन ये गरीबी नहीं ग़रीबों को ही मिटा रही है। आज हमारे रोटी का संकट आ गया है। आज हम अपने बच्चों के स्कूल की फीस कहाँ से देकई हमारे साथी किराए पर रहते हैं अब अगर उनकी नौकरी चली गई तो उनके पास रहने के लिए छत भी नहीं होगी। 

 

कर्मचारियों के हिरासत में लिए जाने के विरोध में भाकपा माले की नेता सुचेता डे भी मन्दिर मार्ग थाने पहुंची और थाने के बाहर कर्मचारियों के परिजनो के साथ प्रदर्शन किया। उनके साथ कर्मचारियों के छोटे-छोटे बच्चे भी थे जो अपने परिवार को लेकर चिंतित थे। 

सुचेता ने अपने बयान में कहा- दिल्ली हाईकोर्ट ने कर्मचारियों को फिर से बहाल करने का आदेश दिया है। फिर भी न तो केंद्र सरकार सुन रही है और न ही अस्पताल प्रशासन सुन रहा है। सभी सफाई कर्मचारी दलित वर्ग से आते है। सरकार उनकी अवैध छंटनी में निजी कंपनी का समर्थन कर रही हैंजिन्होंने महामारी के दौरान भी अस्पतालों की सफाई अपनी जान जोखिम में डालकर की थी। 

आगे उन्होंने कहा- आज सफाई कर्मचारी हाई कोर्ट के आदेश को लागू करने की मांग को लेकर विरोध मार्च निकालने के लिए एकत्र हुए। उन्हें दिल्ली पुलिस ने जबरदस्ती उठा लिया है और मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन भेज दिया है। साथ ही कई मासूम बच्चों को भी उनके माता-पिता के साथ घंटों हिरासत में रखा गया था। जो पूरी तरह अमानवीय था। 

प्रदर्शनकारी कर्मचारियों ने कहा- जब तक उन्हें नौकरी पर वापस नहीं लिया जाएगा वो ऐसे ही सड़कों पर आंदोलन करते रहेंगे। क्योंकि उनके पास कोई दूसरा विकल्प ही नहीं है।

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