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जम्मू-कश्मीर में जल्द चुनाव की मांग: सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला

प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली में राष्ट्रीय विपक्षी नेताओं से भी मुलाकात की और कहा कि चुनाव आयोग ने उन्हें आश्वासन दिया है कि "तैयारी जारी है"।
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केवल प्रतीकात्मक उपयोग। चित्र साभार : ग्रेटर कश्मीर

श्रीनगर : जम्मू और कश्मीर का सर्वदलीय प्रतिनिधि मंडल गुरुवार को भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से मिला, मिलने के बाद बताया कि निर्वाचन आयोग ने उन्हें आश्वस्त किया है कि जल्दी ही क्षेत्र में चुनाव प्रक्रिया शुरू होगी।

इस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस (NC) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने किया। पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP), आम आदमी पार्टी, पैंथर्स पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) के नेता उनके साथ थे। 

जम्मू एंड कश्मीर के अनंतनाग चुनाव क्षेत्र से सांसद और नेशनल कांफ्रेंस के नेता हसनैन मसूदी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि सदस्यों ने केंद्र शासित प्रदेश के लोगों की सभी प्रमुख चिंताओं को सामने रखा और उनसे जल्द चुनाव कराने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि –“हमने भारत निर्वाचन आयोग को बताया कि यह एक ज़रूरी मुद्दा है और इसलिए आयोग को चुनाव कराने की ज़िम्मेदारी निभानी चाहिए। चुनाव आयोग ने हमारी बात धैर्यपूर्वक सुनी और चुनाव कराने का आश्वासन दिया।”

विपक्ष के नेता जम्मू से आए और उन्होंने राष्ट्रीय विपक्ष के नेताओं के साथ मीटिंग की जिनमे सीताराम येचुरी, शरद पवार और संजय सिंह शामिल थे। निर्वाचन आयोग की मीटिंग से पहले यह मीटिंग दिल्ली के कांस्टीटटूशन क्लब में हुई।   

गुरुवार को यात्रा क्षेत्रीय राजनीतिक दलों द्वारा जम्मू में सर्वदलीय मीटिंग आयोजित करने के कुछ दिनों बाद हुई है, जहां उन्होंने राष्ट्रीय नेताओं और  भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) से संपर्क करने का संकल्प लिया था।

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता तरनजीत सिंह टोनी ने कहा प्रतिनिधि मंडल के नेताओं ने तर्क दिया कि जब प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने दावा किया है कि स्थिति ‘सामान्य’ है तो फिर चुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक से कहा कि -“चुनाव आयोग ने हमें आश्वस्त किया कि जल्दी ही चुनाव होंगे चाहे परिसीमन की कवायद हो या मतदाता सूची को पूरा करने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।” टोनी ने कहा कि सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग भी रखी, जैसा कि केंद्र ने अनुच्छेद 370 और 35 ए को निरस्त करने और अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद वादा किया था। उन्होंने कहा –“ मेरा विश्वास है कि प्रतिनिधित्व का कोई भी रूप विधान सभा का विकल्प नहीं हो सकता। लोग काफी परेशानियों का सामना कर रहे हैं और नौकरशाही उनकी सुन नहीं रही है। प्रशासन मनमाने ढंग से मामले चला रहा है।” 

प्रतिनिधि मंडल ने एक मेमोरंडम भी भारत निर्वाचन आयोग को सौंपा जिसमे राष्ट्रीय नेताओं जैसे मल्लिकार्जुन खडगे, टी. आर. बालू, शरद पवार, सीताराम येचुरी और संजय सिंह के हस्ताक्षर थे।

मेमोरेंडम में लिखा था –“पिछले पांच सालों से जम्मू और कश्मीर बिना विधानसभा और चुनी हुई सरकार के है। यह संविधान की मूल भावना का अनादर है। आम जन  की परेशानी और असुविधा के लिए गैर-प्रतिनिधत्व और गैर-जवाबदेह नौकरशाही को सरकार चलाने की अनुमति दी गई है।”  

नेताओं ने मेमोरेंडम में कहा है –“विधानसभा चुनाव ही क्षेत्र के लोगों के लिए संवैधानिक अधिकारों की बहाली की गारंटी और राजनैतिक आकांक्षा की पूर्ती के लिए पहला और महत्वपूर्ण कदम होगा।  

मूल अंग्रेजी में प्रकाशित इस ख़बर को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

All-Party Delegation From J&K Meets EC, Seeks Early Polls

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