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पहलवानों का प्रदर्शन : किसान और खाप पंचायतों के बाद मज़दूर संगठनों ने भी दिया समर्थन

"मोदी जी दिल्ली पुलिस को समझा लीजिए किसानों से पंगा ना लें... अपनी बेटियों का समर्थन करने जंतर मंतर जाते हुए किसानों को आज फिर पुलिस ने बेरिकेड्स लगाकर रोकने की कोशिश की। वही हुआ जो कल टिकरी बॉर्डर के बैरिकेड्स पर हुआ था। बैरिकेड टूटे और किसान अपनी बेटियों से मिलने धरने वाली जगह पर पहुंच गए।"
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फ़ोटो साभार: PTI

दिल्ली के  जंतर-मंतर पर भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों के सपोर्ट में किसानों का एक जत्था दिल्ली पहुंचा है। आज यानी सोमवार सुबह वो राजधानी के जंतर मंतर पहुँचे जहां पुलिस पुलिस के बैरिकेड्स उनके रास्ते मे लगाए गए थे जिसे किसानों ने हटा दिया। सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो मे दिख रहा है किसान किसान बैरिकेड्स को खींचकर साइड में करते दिखे।   इससे पहले भी रविवार को भी किसान नेता , खाप पंचायतों के सरपंच ,समाज के अन्य लोगों और संगठनों ने भी जंतर मंतर पहुंचकर अपना समर्थन प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को दिया। किसान , नौजवानों और छात्रों के बाद आब देश के मजदूर संगठनों ने भी किसानों के समर्थन का ऐलान कर दिया है । देश की दस केन्द्रीय ट्रेड यूनयिनों ने सांझा बयान जारी कर बृजभूषण शरण की तुरंत गिरफ्तारी की मांग दोहराई है।

सोमवार 8 मई को जो किसानों का जत्था दिल्ली पहुंचा तो उसका स्वागत भी दिल्ली पुलिस ने बैरिकेड से किया। हालांकि जब से पहलवानों पर शुक्रवार रात को हमला हुआ है तब से ही लगातार हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश से लगातार किसान, छात्र, नौजवान और सभी समाज के लोग पहलवानों के समर्थन मे दिल्ली पहुँच रहे है। लेकिन दिल्ली की पुलिस ने कई बार कोशिश की है कि लोग आसानी से पहलवानों के समर्थन मे जंतर मंतर न पहुँच पाए।

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य हिम्मत सिंह गुर्जर ने वीडियो ट्वीट कर लिखा कि , ''मोदी जी दिल्ली पुलिस को समझा लीजिए किसानों से पंगा ना लें... अपनी बेटियों का समर्थन करने जंतर मंतर जाते हुए किसानों को आज फिर पुलिस ने बेरिकेड्स लगाकर रोकने की कोशिश की। वही हुआ जो कल टिकरी बॉर्डर के बैरिकेड्स पर हुआ था। बैरिकेड टूटे और किसान अपनी बेटियों से मिलने धरने वाली जगह पर पहुंच गए।''

हालांकि बार बार जब पुलिस से मीडिया लोगों को रोकने पर सवाल करती है तो उसका सरकारी जबाव तैयार रहता है, कि ये सारी व्यवस्था प्रदर्शनकारियों की सुरक्षा के लिए और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए है। हालांकि प्रदर्शनकारियों को घेर कर उनसे किसी को नहीं मिलने देना ये कैसी सुरक्षा है?
 
पहलवानों को लगातार हर तबक़े का समर्थन मिल रहा है। इसी कड़ी मे दस सेंट्रल ट्रेड यूनियनों ने अपना समर्थन पहलावनों को दिया है। सेंट्रल ट्रेड यूनियनों में इंडियन नेशनल ट्रेड यूनियन कांग्रेस (इंटक), ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एटक), हिंद मजदूर सभा (एचएमएस), सेंटर ऑफ इंडिया ट्रेड यूनियंस (सीटू), ऑल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर (एआईयूटीयूसी), ट्रेड यूनियन को-ऑर्डिनेशन सेंटर (टीयूसीसी), सेल्फ-एंप्यॉलयड वीमेंस एसोसिएशंस (सेवा), ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (एआईसीसीटीयू), लेबर प्रोग्रेसिव फेडरेशन (एलपीएफ) और यूनाइटेड ट्रेड यूनियन कांग्रेस (यूटीयूसी) शामिल हैं।

केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने अपने बयान में रेसलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और  युवा महिला पहलवानों की न्यायोचित मांग के लिए अपना पूरा समर्थन व्यक्त किया। केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच की मांग है कि बृजभूषण को तुरंत गिरफ्तार किया जाए ताकि उसके द्वारा अनुचित दबाव में उसे प्रभावित किए बिना जांच आगे बढ़ाई जा सके।

मजदूर संगठनों ने अपने सांझे बयान में पुलिस के अमानवीय बर्ताव पर भी सवाल खड़े किए और कहा ये अपनी मेहनत से मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करने वाले इन युवा पहलवानों को धरना स्थल-जंतर-मंतर पर तमाम तरह की असुविधाएं पैदा कर उनके साथ घिनौना व्यवहार किया गया। सबसे बुरा तो तब हुआ जब 3 मई की रात को उन पर पुलिस ने  इसलिए हमला कर दिया क्योंकि वे बारिश से खुद को बचाने की कोशिश कर रहे थे और अपने गद्दे  बदल रहे थे और कुछ चारपाई की व्यवस्था कर रहे थे।

ट्रेड यूनियनों ने अपनी मांग दोहराई कि सरकार बृज भूषण शरण सिंह को तुरंत गिरफ्तार करें क्योंकि एक प्राथमिकी में POCSO अधिनियम भी लागू होता है। इसके साथ ही ट्रेड यूनियन ने कहा इन लड़ाकों की जीत आम नागरिकों की जीत होगी।

इस बीच धरने पर बैठे पहलवानों और उनके समर्थकों पर एक विशेष जाति का होने का आरोप बार बार सत्ता और बृज भूषण समर्थक लागते रहे हैं। इस पर पहलवान बजरंग पुनिया ने आज समाचार एजेंसी भाषा से बातचीत मे कहा कि इसमें कोई राजनीति जैसी बात नहीं है। बेटियां किसी भी समाज की हों, बेटी तो बेटी होती है। जाति, धर्म और राजनीति कहां से आ गई? जो लोग बोल रहे हैं, यहां आकर दिखा दीजिए... हम उठकर चले जाएंगे। इतना शौक नहीं है। हम खिलाड़ी हैं। हमें खेल खेलना है।

एक दिन पहले यानी रविवार को जंतर मंतर पर किसान संगठनों उआर खाप पंचायतों के प्रमुख पहुँचे और एक 'महापंचायत' में पहलवानों के लिए किसानों की 31 सदस्यीय समिति ने तय किया कि भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण शरण सिंह को 21 मई तक गिरफ्तार नहीं किया गया तो वे बड़ा फैसला लेंगे। भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत भी इस बैठक में शामिल थे। टिकैत ने कहा कि हर खाप से सदस्य रोज धरना स्थल पर आएंगे। वे दिन में रहेंगे और शाम तक लौट जाएंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य दर्शन पाल ने  न्यूज़क्लिक को बताया कि "किसान संगठनों के जंतर-मंतर पर आने और अपना समर्थन देने के कई कारण थे। किसान परिवारों के बेटे-बेटियां देश के लिए मेडल ला रहे हैं। इसलिए, हम आराम से कह सकते हैं कि किसान फसलों की खेती कर रहे हैं, बेटे सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, और बेटियां देश का नाम रोशन कर रही हैं।"

पाल ने कहा, "संयुक्त किसान मोर्चा के रूप में हमने अपना समर्थन दिया है और इसे अपने आंदोलन का हिस्सा माना है। हमने किसान संगठनों द्वारा ब्लॉक और जिला स्तर पर बड़े विरोध प्रदर्शन करने और 11-18 मई तक सिंह का पुतला जलाने का आह्वान किया है। अगर तत्काल हस्तक्षेप की जरूरत पड़ी तो हम बैठेंगे और कार्रवाई की योजना बनाएंगे।"

 उन्होंने बताया “हमने 30 अप्रैल को एक बैठक की और उनके समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया। आज हम अपने उस संकल्प को हकीकत में बदल रहे हैं।"  

अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) के उपाध्यक्ष हन्नान मोल्लाह ने न्यूज़क्लिक को बताया, "खापों के प्रमुखों और किसान निकायों के प्रतिनिधियों ने एक बैठक की और निर्णय लिया कि पहलवानों को न्याय दिलाने में हर संभव मदद की जाएगी। आंदोलन को सुचारू रूप से चलाने के लिए किसान संगठन के साथ-साथ खाप रोजाना जरूरी सामनों की व्यवस्था करेंगे।"

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