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EXCLUSIVE: "मोदी के बनारस में टमाटर की महंगाई पर बोलना भी अब गुनाह" सब्ज़ी की दुकान पर बाउंसर लगाने वाले पिता-पुत्र भेजे गए जेल

"मोदी और योगी की नाकामियों के अलावा कमरतोड़ महंगाई के ख़िलाफ़ बोलना कितना मुश्किल और ख़तरनाक होता जा रहा है। कितनी अजीब बात है कि लोकतांत्रिक देश में महंगाई का विरोध करने वालों पर नफ़रत फैलाने और दंगा भड़काने की संगीन धाराएं लगाई गई हैं। क्या बाउंसर रखकर सामान बेचना कोई गुनाह है? "
tomato seller

उत्तर प्रदेश के बनारस में टमाटर की महंगाई पर बोलना अब गुनाह है। व्यंग्यात्मक पोस्टर और बाउंसर लगाकर टमाटर बेचने वालों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के साथ ही पिता-पुत्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। इस मामले में नामजद सपा नेता अजय यादव उर्फ अजय फौजी की गिरफ्तारी के लिए क्राइम ब्रांच दबिश दे रही है। पुलिस उन बाउंसरों का सुराग लगाने में जुटी है जिन्हें टमाटर की हिफाजत के लिए तैनात किया गया था। टमाटर कांड पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। बनारस, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है और यहां से टमाटर की महंगाई का तल्ख सवाल उठने से सियासत गरमा गई है।

बनारस के लंका थाना पुलिस के नगवा इलाके में महंगाई का व्यंग्यात्मक पोस्टर और बाउंसर लगाकर टमाटर बेचे जाने की तस्वीर और कुछ वीडियो पिछले तीन दिनों से सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही है। तस्वीर में एक सब्जी दुकान के बाहर दो बाउंसर तैनात हैं और वो काली कमीज व काले चश्मे में हैं। दोनों बाउंसर वाकी-टॉकी से लैश नजर आते हैं। दुकानदार जमीन पर बैठा है और उसके सामने टमाटर, मिर्च, धनिया समेत कई तरह की सब्जियां रखी हैं। कुछ तख्तियां भी लगाई गई हैं जिन पर प्रिंटआउट निकालकर महंगाई का विरोध किया गया है। एक तख्ती पर लिखा है कि टमाटर और मिर्च को नहीं छुएं। दूसरे पर लिखा है कि पहले पैसा बाद में टमाटर। तीसरे पर लिखा है कि नौ साल महंगाई की मार। समझा सकता है कि यह एक सियासी व्यंग्य है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासन में आम आदमी की तल्ख टिप्पणी भी है।

क्या है मामला?

बनारस का टमाटर कांड तब चर्चा में आया जब समाचार एजेंसी पीटीआई ने 9 जुलाई, 2023 को वाराणसी के लंका इलाके में एक सब्जी विक्रेता का वीडियो शेयर किया था। वीडियो में सब्जी की एक दुकान पर दो बाउंसरों को टमाटर की रखवाली करते हुए दिखाया गया था। दुकान पर पहले राजनारायण यादव सब्जी बेच रहा होता है और बाद में सपा नेता अजय यादव उर्फ अजय फौजी। सीरगोवर्धनपुर निवासी अजय फौजी पीटीआई से कहते हैं, "टमाटर की महंगाई के कारण लूटपाट की घटनाएं हो रही हैं। वाद-विवाद से बचने के लिए हमने बाउंसरों को लगाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में जनता महंगाई से त्रस्त है और टमाटर 160 रुपये किलो बिक रहा है।" हालांकि पीटीआई ने बाद में सफाई देते हुए इस वीडियो को अपने अकाउंट से डिलीट कर दिया और कहा कि सब्जी विक्रेता समाजवादी पार्टी का कार्यकर्ता है। हमें दी गई सूचना के पीछे उसकी मंशा पर प्रश्न उठता है। पीटीआई ने यह भी कहा है कि इस वीडियो के स्रोत की पुष्टि करने में वह नाकाम रहा और वह भविष्य में निष्पक्ष रहने की कोशिश करेगा।

टमाटर की महंगाई के मामले में पीटीआई ने जैसे ही वीडियो जारी किया, सोशल मीडिया पर लोगों ने बीजेपी सरकार को ट्रोल करना शुरू कर दिया। बनारस की कमिश्नरेट पुलिस हरकत में आ गई और प्रशासन भी। लंका थाना क्षेत्र के नगवा चौकी के इंचार्ज मिथिलेश यादव ने आनन-फानन में सब्जी विक्रेता राजनारायण यादव, उनके पुत्र विकास यादव और सपा नेता अजय फौजी समेत पांच लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया।

भेलूपुर के एसीपी प्रवीण सिंह कहते हैं, "बाउंसर लगाकर फर्जी तरीके से टमाटर बेचने के आरोपी सपा नेता अजय फौजी और सब्जी विक्रेता व उसके बेटे विकास समेत दो अज्ञात पर एक्शन लिया गया है। आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए (विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने और सद्भाव बिगाड़ने का मामला), 295 ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करना और दफा 505 (2) (अलग-अलग समुदाय में झूठ बोलकर झगड़ा लगाना) की धाराएं दर्ज की गई हैं। बाउंसर लगाकर टमाटर बेचने के मामले में माहौल खराब करने और कानून व्यवस्था पर सवाल उठाने का मुद्दा बनाते हुए सब्जी विक्रेता राजनारायण यादव व उसके पुत्र विकास यादव को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें जेल भेज दिया गया है, जबकि सपा नेता अजय फैजी की तलाश की जा रही है।" सूत्र बताते हैं कि अजय फौजी और बाउंसरों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की क्राइम ब्रांच की कई टीमें संभावित जगहों पर दबिश दे रही हैं।

कार्रवाई पर भड़के अखिलेश

टमाटर की महंगाई का सवाल उठाने वाले समाजवादी पार्टी के नेता अजय फौजी और सब्जी विक्रेता पिता-पुत्र के खिलाफ एक्शन को लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है। इसे स्वस्थ आलोचना और व्यंग्य करार देते हुए समूची कार्रवाई पर करारा तंज कसा है। अखिलेश ने इस मामले में तीन ट्वीट किए हैं। बाउंसर लगाकर टमाटर बेचे जाने के मुद्दे पर उन्होंने 9 जुलाई को पहला ट्वीट किया और सब्जी विक्रेता को जेड प्लस सुरक्षा देने की बात कही।

बाउंसर लगाकर टमाटर बेचे जाने का वीडियो जारी करने वाली एजेंसी पीटीआई ने जब खेद जताते हुए अपनी खबर को डिलीट किया तो अखिलेश यादव सब्जी विक्रेता के पक्ष में तनकर खड़े हो गए। उन्होंने लगातार दो ट्वीट किया, जिसमें लिखा है, "जिस देश-प्रदेश में स्वस्थ व्यंग्य और कटाक्ष के लिए स्थान न हो वहां समझ लेना चाहिए, दूसरों को डरानेवाली सत्ता, स्वयं डरी हुई है। ‘मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी’ की बात इस माहौल में बेमानी जुमला लगती है। देश के प्रमुखतम संसदीय क्षेत्र में लोकतंत्र का ये हाल है तो बाकी देश में क्या होगा।" सपा अध्यक्ष ने सब्जी विक्रेता को तुरंत रिहा करने की अपील की और कहा, "प्रदेश भर के सब्जी विक्रेताओं में सरकार के इस कदम से आक्रोश है।"

अखिलेश के ट्वीट और सब्जी विक्रेता राजनारायण यादव और उसके पुत्र विकास यादव को हिरासत में लिए जाने के बाद समाजवादी पार्टी के तमाम नेता व कार्यकर्ता लंका थाने पहुंच गए। इस मुद्दे को लेकर देर रात तक हंगामा होता रहा। लंका थाने पर पहुंचे सपा के वरिष्ठ नेता मनोज राय धूपचंडी ने कार्यकर्ता का बचाव किया। उन्होंने पुलिस से कहा कि सपा कार्यकर्ता ने महंगाई का विरोध प्रतीकात्मक किया था। बनारस कमिश्नरेट पुलिस की कार्रवाई एकतरफा और नाजायज है। इस मुकदमे को खत्म किया जाना चाहिए। उन्होंने पुलिस से कार्यकर्ता को रिहा करने की मांग की। लंका थाने में पुलिस और सपा नेताओं के बीच घंटों पंचायत भी चली, लेकिन पुलिस हिरासत में लिए गए दोनों सब्जी विक्रेताओं को किसी भी कीमत पर छोड़ने पर राजी नहीं हुई।

आरोपितों के घरों नाप-जोख

सिर्फ बनारस ही नहीं, पूरे देश में टमाटर पिछले एक पखवाड़े से आंख दिखा रहा है। इसके दाम आसमान छू रहे हैं। यह वही सब्जी है जिसे इसी साल गर्मी के महीने में बेमोल बिकने के कारण सोनभद्र के किसानों को तोड़कर फेंकने पड़े थे। मौजूदा समय में टमाटर का दाम आसमान छू रहा है। बताया जा रहा है कि सरकार का ध्यानाकर्षण करने के लिए अजय फौजी ने टमाटर की सुरक्षा के लिए एक-एक हजार रुपये देकर भाड़े पर दो बाउंसर हायर किए और नगवां इलाके में यह अनूठा प्रदर्शन किया था।

टमाटर की महंगाई का सवाल बनारस की सरकार को इस कदर नागवार गुजरा कि इस मामले की जांच के लिए आनन-फानन में कई टीमें गठित कर दी। नौ जुलाई की देर रात नगर निगम की एक टीम भेलूपुर जोनल अधिकारी जेके आनंद के नेतृत्व में सीरगोवर्धनपुर पहुंची और सब्जी विक्रेता के घरों की जांच-पड़ताल शुरू कर दी। दूसरी ओर, वाराणसी विकास प्राधिकरण की दूसरी टीम इंची-टेप लेकर मौके पर पहुंच गई और अफसरों व कर्मचारियों आरोपितों के घरों की नाप-जोख शुरू कर दी। सब्जी विक्रेता के दुकान और मकानों की लंबाई-चौड़ाई को फीता लगाकर नापा गया। इस मामले में और गहन पड़ताल करने के लिए राजस्व विभाग की टीम भी मौके पर पहुंच गई और घंटों जांच-पड़ताल में जुटी रही। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यदि आरोपितों के घर नियमानुसार नहीं बने होंगे तो वीडीए और नगर निगम का अतिक्रमण विरोधी दस्ता बुल्डोजर से ढहा सकता है।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में टमाटर कांड ने बीजेपी सरकार की नींद उड़ा दी है। शहर के लोगों को राहत पहुंचाने के लिए पहड़िया मंडी प्रशासन ने सिर्फ 60 रुपये प्रति किलो की दर से टमाटर बेचने का ऐलान किया था। सस्ती दरों पर टमाटर खरीदने के लिए 10 जुलाई को जब भीड़ पहड़िया मंडी में पहुंची तो ज्यादातर लोगों को मायूस होकर बैरंग लौटना पड़ा। बनारस के बाजार में मौजूदा समय में टमाटर का फुटकर रेट 100 से 150 रुपये प्रति किलो तक बिक रहा है।

दैनिक अखबार अमर उजाला के मुताबिक, "पहड़िया स्थित मंडी समिति ने दावा किया था कि बनारस के लोगों को महंगे टमाटर से राहत देने के लिए मंडी के गेट संख्या-एक पर 100 किलो टमाटर बेचने का इंतजाम किया गया है। बेचने के लिए जो टमाटर लाए गए थे उनमें करीब 10 किलो टमाटर खराब थे। एक आधार कार्ड धारक को एक किलो टमाटर बिक्री की योजना थी, लेकिन मांग अधिक होने से दोपहर से पहले ही टमाटर खत्म हो गए। अपराह्न 12.30 बजे लोहता और अर्दली बाजार के लोग टमाटर खरीदने पहुंचे, लेकिन उन्हें नहीं मिला। बाद में पहड़िया मंडी के सचिव डीके वर्मा ने सफाई पेश करते हुए कहा कि पहले दिन इतने टमाटर बिक जाएंगे, इसका अंदाजा नहीं था। 11 जुलाई को 12 क्रेट तक बिक्री की व्यवस्था की जाएगी। ये बिक्री तब तक होगी जब तक टमाटर के भाव में सामान्य नहीं हो जाते।"

महंगाई के सवाल पर तिलमिलाहट क्यों?

समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी "न्यूजक्लिक" से कहते हैं, "पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में टमाटर की महंगाई का सवाल उठाना अब गुनाह हो गया है। निर्दोष सब्जी विक्रेताओं को पुलिस ने जेल भेज दिया है और सपा नेता अजय फौजी को पुलिस ढूंढ रही है। मीडिया में जो बातें छनकर आ रही है उससे पता चलता है कि प्रशासन उनके घरों पर बुल्डोजर चलाने की योजना बना रहा है। अगर महंगाई बढ़ी है तो लोकतांत्रिक विरोध जायज है। समाजवादी पार्टी जिस समय सत्ता में थी तब बीजेपी के विधायक श्यामदेव राय चौधरी समेत न जाने कितने नेता सिलेंडर लेकर घंटों धरने पर बैठे रहते थे। वो नारेबाजी भी करते थे और हंगामा भी, लेकिन हमारी सरकार ने किसी महंगाई का सवाल उठाने पर कभी जेल नहीं भेजा। सपा कार्यकर्ता जब महंगाई का सवाल उठा रहे हैं तो बीजेपी के लोग क्यों तिलमिला रहे हैं? कितनी अजीब बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब विदेशों में जाते हैं तो कहते हैं कि भारत में सबसे शक्तिशाली लोकतंत्र है और अपने संसदीय क्षेत्र में उन्हें मामूली व्यंग्यात्मक विरोध को बर्दाश्त नहीं हो रहा है।"

धूपचंडी यह भी कहते हैं, "सपा ने तो सिर्फ टमाटर की महंगाई का सवाल उठाया। एक्शन तो उन लोगों के खिलाफ होना चाहिए, जिन्होंने सस्ती दरों पर टमाटर बेचने की खबर अखबारों में छपवाई। पहड़िया मंडी पर भीड़ पहुंची तो पता चला कि टमाटर गायब हो गया। शोहरत लूटने के लिए वो सिर्फ तीन कैरेट टमाटर लेकर आए थे। उन्होंने जनता से झूठ बोला और सही मायने में समाज में अशांति पैदा करने की कोशिश की। आखिर उनके खिलाफ मुकदमा क्यों नहीं हुआ? आपने कहा था कि सभी को 60 रुपये किलो टमाटर देंगे। आखिर सस्ता टमाटर देने की झूठी अफवाह क्यों फैलाई जा रही है? "

"जनता महंगाई को महंगाई न कहे तो क्या कहे? बीजेपी सरकार यही बता दे कि विपक्षी दल क्या करें? पुलिस ने जिन निर्दोष सब्जी विक्रेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा है उनके समाजवादी पार्टी सभी को रिहा कराएगी। उनके रिहा होने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव से उसकी मुलाकात भी कराई जाएगी और पार्टी उन्हें सम्मानित भी करेगी। राजनीतिक कार्यकर्ताओं को अपराधियों की तरह क्राइम ब्रांच लगाकर पुलिस ढुंढवा रही है। यह तानाशाही नहीं है तो क्या है? ऐसा तो आपातकाल में भी कभी नहीं हुआ था। आपातकाल की दुहाई देने वाले बीजेपी नेता टमाटर की महंगाई के सवाल पर खामोश क्यों हैं? बनारस की जनता को यह क्यों बताते कि गरीब तबके के लोगों की थालियों में टमाटर, मिर्च और अदरक सरीखी सब्जियां कब तक आएंगी? महंगाई के सवाल पर आखिर उनकी बोलती क्यों बंद है? "

"खुन्नस निकाल रही बीजेपी सरकार"

बनारस के टमाटर प्रकरण में दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार नवीन कुमार का 8 मिनट 38 सेकेंड का एक वीडियो पूर्वांचल में तेजी से वायरल हो रहा है। यू-ट्यूब पर जारी इस वीडियो में वह कहते हैं, "छप्पन इंच का सुल्तान और इस तरह का काम। ऐसा मत करिए महराज। यह पाप है, अधर्म है, अन्याय है, उत्पीड़न है। यह क्या बात हुई कि आलोचना बर्दाश्त नहीं हुई तो सब्जी वाले को उठा लीजिए। उसके बच्चे को थाने में बैठा लीजिए। गरीब आदमी के खिलाफ मुकदमा लिखवा दीजिए। पुलिस और पल्टन भेज दीजिए। उसके घर को गिराने की तैयारी करने लगिए। यह बात ठीक नहीं है योगी जी, मोदी और भाजपा के लोगों। अगर ये बात नहीं समझ पा रहे हैं तो मैं बताता हूं कि कहानी क्या है? दरअसल नरेंद्र मोदी अभी से हारने लगे हैं। चुनावी हार से पहले नेता माइंड गेम हारने लगते हैं। आचोलना करने वालों को कुचलने लगते हैं। मोदी और भाजपा की स्थिति ऐसी ही होती जा रही है, क्योंकि वो सवालों का जवाब देने के बजाय सवाल उठाने वालों को शासन के पहिए से कुचलना चाहते हैं। लोगों को पता है कि वो खुन्नस निकाल रहे हैं। किसी नेता और पार्टी के लिए इससे बुरी स्थिति कुछ नहीं हो सकती है।"

वीडियो में आगे नवीन कुमार यह भी कहते हैं, "मोदी और योगी सरकार को मिर्च और टमाटर पर बैठाए गए बाउंडर से इतनी मिर्ची लगी कि वो लाल-पीले होकर बिलबिलाने लगे। ये मिर्ची इसलिए सीधे आंख में जलने लगी कि यह तस्वीर अपने प्रतापी पीएम नरेंद्र मोदी के अपने बनारस से निकली थी। सब्जी की दुकान पर बाउंसर लगाने वाले शख्स का नाम है अजय यादव उर्फ अजय फौजी। अब उनकी मुश्किलें बढ़ गई है...। कमाल तो यह है कि लुटियन दिल्ली के सरकारी बंगलों में अतिक्रमण करके बैठे मंत्रियों और अफसरों के घरों का मुआयना कराने की हिम्मत नहीं होती 56 इंच के सुल्तान की, लेकिन तरकारी बेचने वाले का घर नक्शे का हिसाब से चाहिए। एक ईंट भी इधर से उधर हुई कि बुल्डोजर चलवा देंगे। यह है सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। सड़क पर सब्जी बेचने वाले आदमी से गरीब आदमी और कौन हो सकता है। उससे इस नारे का अर्थ पूछिए...।"

"पुलिस कहती है कि फौजी ने राजनारायण को दुकान से हटाया और खुद सब्जी बेचने लग गए, तो क्या यह अपराध है? राजनारायण ने तो इसकी शिकायत नहीं कि उनके साथ कोई जोर-जबर्दस्ती की गई है। अजय फौजी कहीं और से टमाटर ले गए और उसे बेचने लग गए। क्या यह अपराध है? पुलिस कहती है कि फौजी ने दुकान पर पोस्टर लगा दिया कि नौ साल महंगाई की मार। तो क्या अपराध है? यह तो देश के लाखों लोग बोल रहे हैं। किसी दुकान पर बाउंसर लगाना क्या अपराध है? आखिर किस गुनाह में गरीब सब्जी वाले के घर पर चढ़कर आप उसके घर की ईंटें नाप रहे हैं? पुलिस और कानून के राज के नाम के तमाशे का यह अंत नहीं है। वीडीए की टीम आनन-फानन में सब्जी बेचने वाले के घर यह देखने पहुंच गई कि उसका घर नियमानुसार बना है अथवा नहीं। नगर निगम की टीम अलग से अतिक्रमण की माइक्रोस्कोप से पहुंच गई, आखिर क्यों? "

वीडियो में आगे नवीन कहते हैं, "चारो तरफ भद्द पिटने लगी है कि 56 इंची सुल्तान ने महंगाई का सवाल उठाने वाले को सड़क से उठवा लिया? उसके बेटे को उठवा लिया और अब इंची टेप लेकर बुल्डोजर वाले उस गरीब का घर-आंगन नाप रहे हैं। इस बात पर नाप रहे हैं महंगाई का बड़ा होता सवाल 56 इंची सुल्तान को चुभ गया है। वह नहीं चाहते कि इस पर कोई बात हो, वह नहीं चाहते कि देश का कोई नागरिक उनसे काम की उम्मीद करे। ऐसे काम की तो हरगिज न करे जिससे जनता को राहत मिलती हो। उन्हें सिर्फ अपनी जय सुनने की आदत है। उनके लिए देश के लोग भेड़-बकरियों से ज्यादा कुछ नहीं है, जिनका जन्म सिर्फ जय-जयकार करने के लिए हुआ है। अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो आपका जीना मुश्किल कर दिया जाएगा। आप चाहे अजय फौजी को लीजिए, राजनारायण को लीजिए या उनके बेटे को। यह सवाल तो बनता है तो उनका कुसूर क्या है?"

"असहमति को दबाना इनका चरित्र है"

काशी पत्रकार संघ के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप श्रीवास्तव इस बात से चिंतित हैं कि बीजेपी सरकार को अपना तनिक भी विरोध सहन क्यों नहीं हो रहा है? वह कहते हैं, "बनारस के टमाटर कांड ने बीजेपी के असली चरित्र को उघाड़ दिया है। ये तानाशाह लोग है। इन्हें व्यंग्यात्मक विरोध भी समझ में नहीं आता। असहमति की आवाज को दबाना इनका चरित्र है। सच्चाई दबाई नहीं जा सकती है। वो उभरकर सामने जरूर आएगी। कोई भी सरकर जब सच को दबाने की कोशिश की तो उन बातों का और भी ज्यादा विस्तार होगा। गरीब सब्जी विक्रेताओं के खिलाफ एक्शन लेकर सरकार और प्रशासन ने खुद को बौना साबित कर दिया है।"

वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप यह भी कहते हैं, "मोदी और योगी की नाकामियों के अलावा कमरतोड़ महंगाई के खिलाफ बोलना कितना मुश्किल और खतरनाक होता जा रहा है। कितनी अजीब बात है कि लोकतांत्रिक देश में महंगाई का विरोध करने वालों पर नफरत फैलाने और दंगा भड़काने की संगीन धाराएं लगाई गई हैं। क्या बाउंसर रखकर सामान बेचना कोई गुनाह है? यह प्रचार का तरीका भी हो सकता है। इस पर कोई धारा नहीं बनती है। बीजेपी सरकार से इससे ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती है। बीजेपी के नेता तानाशाही दिखाकर समाज में भय का वातावरण बनाना चाहते हैं। विपक्षी दलों को अब समझ लेना चाहिए कि जेल से उनका गहरा नाता जुड़ गया है। उन्हें जेल का खौफ विपक्ष को अपने दिल और दिमाग से निकालना होगा। डबल इंजन की सरकार जब महंगाई का विरोध सहन नहीं कर पा रही है तो उससे लोकतांत्रिक आचरण की उम्मीद करना व्यर्थ है।"

(लेखक बनारस के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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