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मिस्र: 2 साल तक ग़ैरक़ानूनी तरीक़े से हिरासत में रहने के बाद फ़िल्म निर्माता शैडी हबाश की मौत

हबाश को साल 2018 में मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फत्ताह अल-सिसी से संबंधित एक संगीत वीडियो के निर्देशन को लेकर क़ैद किया गया था। उन पर आतंकवादी होने, फ़र्ज़ी ख़बरें फैलाने, ईश निंदा करने सहित अन्य आरोप लगाए गए थे।
शैडी हबाश

मिस्र के फ़ोटोग्राफ़र और फ़िल्म निर्माता शैडी हबाश की राजधानी काहिरा के टोरा जेल में शनिवार 2 मई को मौत हो गई। वे मिस्र के सैन्य तानाशाह से राष्ट्रपति बने अब्देल फ़त्तह अल-सिसी का मजाक उड़ाते हुए संगीत वाले एक वीडियो का निर्देशन करने के लिए दो साल से अधिक समय से जेल में थे।

वे 24 साल के थे। हबीश द्वारा निर्देशित इस संगीत वीडियो में गाना गाने वाले और वर्तमान में स्वीडन में निर्वासित ज़िंदगी गुजारने वाले गायक रामी एस्साम ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर लिखा है कि हबाश को काहिरा में दफन किया जाए।

हबाश के वकील अहमद अल-ख्वागा ने संवाददाताओं से कहा कि उनकी मौत का सही कारण अभी पता नहीं है। अपने बयान में उन्होंने यह भी कहा, "उनका स्वास्थ्य कई दिनों से बिगड़ रहा था ... उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, फिर कल शाम को जेल में वापस आ गए जहां रात में उनकी मृत्यु हो गई।" एक्टिविस्ट और मानवाधिकार समूह ने मिस्र के अधिकारियों पर घोर और जानबूझकर चिकित्सकीय लापरवाही का आरोप लगाया है। उन्होंने आगे कहा है कि अगर जेल अधिकारियों ने हबाश का इलाज काफी पहले कराया होता तो उनकी मौत नहीं होती।

मानवाधिकार समूहों ने बार-बार भीड़भाड़ वाली मिस्र की जेलों की बेहद गंदे, असुरक्षित और छिन्न-भिन्न स्थितियों को लेकर चिंता व्यक्त की है, जिसमें सरकार 60,000 से अधिक मिस्रियों को बंद कर रखी है जो ज्यादातर मुस्लिम ब्रदरहुड सदस्यों, राजनेताओं, धर्मनिरपेक्ष एक्टिविस्ट, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं से लेकर आलोचक और विपक्ष के लोग हैं।

अरबिक नेटवर्क ऑफ ह्यूमन राइट्स इन्फॉर्मेशन (एएनएचआरआई) ने ट्विटर पर हबाश की मौत का आरोप न्याय व्यवस्था और अधिकारियों की लापरवाही पर लगाया है जिसके परिणामस्वरूप हाबश को दक्षिणी काहिरा की कड़ी सुरक्षा वाले जेल में लगभग 800 दिन बिना किसी मुकदमे के बिताना पड़ा।

रामी एस्साम द्वारा "बलाहा" गीत के वीडियो को निर्देशित करने के लिए हाबाश को 22 वर्ष की उम्र में उनके दूसरे साथी मुस्तफा गमाल के साथ मार्च 2018 में जेल में डाल दिया गया था। इस गीत में मज़ाक उड़ाया गया था साथ ही साथ सरकार के भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ रैली निकाली गई थी। ये वीडियो मिस्र में बहुत लोकप्रिय हो गया, यूट्यूब पर 5 मिलियन से अधिक बार देखा गया। हबाश और गमाल पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे। इन आरोपों में "आतंकवादी समूह" की सदस्यता, झूठी ख़बरें फैलाना, सोशल मीडिया नेटवर्क का दुरुपयोग, ईश निंदा, धर्म की अवमानना और सेना का अपमान करना शामिल था।

साभार : पीपल्स डिस्पैच 

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