भाजपा को फ़ायदा पहुंचाने के लिए लाया गया चुनावी बॉन्ड, पारदर्शिता की ज़रूरत : कांग्रेस
नयी दिल्ली: कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को चुनावी बॉन्ड के अपारदर्शी होने का आरोप लगाया और दावा किया कि राजनीतिक चंदा हासिल करने की यह व्यवस्था सत्तारूढ़ पार्टी को फायदा पहुंचाने लिए लाई गई है।
पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि चुनावी बॉन्ड में पारदर्शिता सुनिश्चित होनी चाहिए।
PM मोदी और अमित शाह जी,
आपने इलेक्टोरल बॉन्ड्स के तहत कॉरपोरेट दान की सीमा समाप्त कर दी।
क्या इससे क्रोनी कैपिटलिज्म को कानूनी जामा नहीं पहनाया गया?
कांग्रेस इस चुनावी फंडिंग की पारदर्शी व्यवस्था चाहती है।
: @Pawankhera जी pic.twitter.com/PniBMPRwKI
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उन्होंने यह आरोप उस वक्त लगाया है जब कुछ दिनों पहले आई ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि देश के राजनीतिक दलों को वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान मिले कुल चंदे की आधी से अधिक राशि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त हुई तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अन्य राजनीतिक दलों को मिले कुल चंदे से भी अधिक चंदा मिला।
पहले एक कंपनी अपने तीन साल के नेट प्रॉफिट का 7.5% से ज्यादा दान नहीं कर सकती थी।
लेकिन BJP सरकार ने यह लिमिट हटा दी। अब किसी कंपनी को यह बताने की जरूरत नहीं कि किसको कितनी राशि दी गई।
यह बहुत अपारदर्शी है।
जब इतना बड़ा बेनामी धन, किसी पार्टी के खाते में आता है, तो स्पष्ट… pic.twitter.com/5pWqaT6wEl
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रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान सात राष्ट्रीय दलों और 24 क्षेत्रीय पार्टियों को 16,437 करोड़ रुपये का चंदा मिला।
खेड़ा ने एडीआर की इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए संवाददाताओं से कहा कि वर्ष 2016-17 से 2021-22 के दौरान भाजपा को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से 5,271.97 करोड़ रुपये का चंदा मिला, जबकि शेष अन्य राष्ट्रीय दलों को सिर्फ 1,783.93 करोड़ रुपये की राशि मिली।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘चुनावी बॉन्ड के कारण चुनावी चंदे की व्यवस्था अपारदर्शी हो गई। इस बॉन्ड के खिलाफ चुनाव आयोग, उच्चतम न्यायालय, रिजर्व बैंक सभी की आपत्तियां थीं। लेकिन इसे धन विधेयक के रूप में पारित कर दिया। भाजपा ने इसके जरिये विधायक खरीदे और सरकारें गिरायीं।’’
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि पहले एक कंपनी अपने तीन साल के शुद्ध लाभ का 7.5 प्रतिशत से ज्यादा दान नहीं कर सकती थी। लेकिन भाजपा सरकार ने यह सीमा हटा दी।
उन्होंने कहा, ‘‘अब किसी कंपनी को यह बताने की जरूरत नहीं कि किसको कितनी राशि दी गई। यह बहुत अपारदर्शी है। जब इतना बड़ा बेनामी धन, किसी पार्टी के खाते में आता है, तो स्पष्ट होता है कि काला धन कैसे सफेद किया जाता है। ’’
(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)
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