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देश में दलितों पर हर चौथा अपराध उत्तर प्रदेश में होता है

उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 में 6,28,578 आपराधिक मामले दर्ज़ किये गये। वर्ष 2017 में ये आंकड़ा 3,10,084 था। यानि अपराध के मामलों में कमी नहीं बल्कि दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। जबकि योगी सरकार दावा कर रही है कि मामलों में 25% से 75% तक की कमी हुई है।
देश में दलितों पर हर चौथा अपराध उत्तर प्रदेश में होता है

उत्तर प्रदेश में चुनाव का मौसम है और प्रचार अभियान ज़ोरों पर है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार मतदाताओं को लुभाने के लिए ढेरों दावे कर रही है। पिछले चार साल की उपलब्धियां गिना रही है। इसी सिलसिले में प्रदेश में कानून-व्यवस्था के संदर्भ में एक अजीब दावा भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किया जा रहा है। भाजपा उत्तर प्रदेश के आधिकारिक अकाउंट से एक वीडियो ट्वीट किया गया है जिसमें दावा किया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश में अपराध की घटनाओं में 25% से 70% की गिरावट आई है और योगी सरकार का काम दमदार रहा है। दलितों को न्याय मिला है और सूबे में अमन चैन है। आप इस लिंक पर क्लिक कर के भाजपा उत्तर प्रदेश का ये वीडियो देख सकते हैं। 

आइये, अब इस दावे की पड़ताल करते हैं और देखते हैं कि क्या सचमुच प्रदेश में अमन-चैन है और बाकि राज्यों की तुलना में उत्तर प्रदेश कहां ठहरता है?

उत्तर प्रदेश और अपराध के आंकड़े

उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को समझने के लिए नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2019 की रिपोर्ट को देखते हैं। आर्काइव लिंक। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश में हुए हैं। यानी अपराध के मामले में यूपी “नंबर वन” है। यूपी में वर्ष 2019 में 6,28,578 आपराधिक मामले दर्ज़ किये गये। वर्ष 2017 में ये आंकड़ा 3,10,084 था। यानि अपराध के मामलों में कमी नहीं बल्कि दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। जबकि योगी सरकार दावा कर रही है कि मामलों में 25% से 75% तक की कमी हुई है। 

हालांकि कुछ अपराधों के आंकड़ों में रिपोर्ट में कमी भी दर्ज़ की गई है। लेकिन इसके बावजूद भी इन अपराधों में यूपी “नंबर वन” की पोज़ीशन पर बना हुआ है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2017 में अपहरण के कुल 19,921 मामले दर्ज़ हुए जबकि वर्ष 2019 में 16,590 मामले दर्ज़ किए गए। लेकिन इस कमी के बावजूद उत्तर प्रदेश अपहरण के मामलों में देश मे “नंबर वन” की पोज़ीशन पर बना हुआ है। इसी प्रकार हत्या के 3,806 मामलों के साथ देश में “नंबर वन” है। लूट और डकैती के 4,213 मामलों के साथ देश में पांचवें स्थान पर है।

महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध की स्थिति

उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में कमी नहीं आई है बल्कि बढ़ोतरी हुई है। यूपी वर्ष 2017 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 56,011 मामले दर्ज़ हुए थे, जो वर्ष 2019 में बढ़कर 59,853 हो गए। महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में यूपी वर्ष 2017 में भी “नंबर वन” पर था और वर्ष 2019 में भी “नंबर वन” की पोज़ीशन पर कायम रहा। सूबे में बलात्कार के 3,065 मामले दर्ज़ किए गए हैं और यूपी इस अपराध में देश में दूसरे नंबर पर है।

दलितों के ख़िलाफ़ अपराध की स्थिति

दलितों के खिलाफ अपराध के मामलों में कोई कमी दर्ज़ नहीं की गई है, बल्कि इस मामले में उत्तर प्रदेश “नंबर वन” की पोज़ीशन पर है। वर्ष 2017 में दलितों के खिलाफ अपराध का आंकड़ा 11,444 था, जो वर्ष 2019 में बढ़कर 11,829 हो गया। देश में दलितों के खिलाफ होने वाले अपराधों में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 25.8% है। यानी दलितों पर हर चौथा अपराध उत्तर प्रदेश में होता है।

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मुख्यमंत्री का फ़र्ज़ी दावा

केवल भाजपा का ट्वीट ही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा खुद भी कानून व्यवस्था के संदर्भ में झूठे दावे किये गये हैं। 19 मार्च 2021 को सरकार के चार साल पूरा होने के मौके पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगी आदित्यनाथ ने बयान दिया कि पिछले चार साल में उत्तर प्रदेश में कोई दंगा नहीं हुआ है। आज तक की वेबसाइट पर इस वीडियो को 06:20 पर सुनें। जबकि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2019 में दंगों के कुल 5,714 मामले दर्ज़ किए गए हैं। उत्तर प्रदेश दंगों के मामले में देश में तीसरे स्थान पर है।

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े भाजपा और योगी आदित्यनाथ के दावों का समर्थन नहीं करते हैं। दावे गलत और भ्रामक हैं।
 

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। वे सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)

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