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किसानों, स्थानीय लोगों ने डीएमके पर कावेरी डेल्टा में अवैध रेत खनन की अनदेखी करने का लगाया आरोप

खनन की अनुमति 3 फ़ीट तक कि थी मगर 20-30 फ़ीट तक खनन किया जा रहा है।
Illegal mining
सीपीआई (एम) के नेतृत्व में स्थानीय लोगों और किसानों ने तमिलनाडु के मयिलादुथुराई में कावेरी डेल्टा में रेत के अंधाधुंध खनन का विरोध किया। छवि सौजन्य: पी षणमुगम

कावेरी डेल्टा जिलों के किसानों और स्थानीय लोगों ने सत्तारूढ़ द्रमुक सरकार पर नदी बेसिन में रेत के अंधाधुंध खनन के प्रति लापरवाही का आरोप लगाया है।

अदालत के आदेशों और अवैध गतिविधियों की पुष्टि करने वाली कई रिपोर्टों के मिलने के बावजूद, इस क्षेत्र में खनन की तीन फीट की अनुमत सीमा के मुकाबले 20-30 फीट गहरे तक रेत का खनन किया जा रहा है, जबकि इसे फरवरी 2020 में संरक्षित कृषि क्षेत्र घोषित कर दिया गया था।

रेत का बेरोकटोक खनन भूजल स्तर को प्रभावित कर रहा है, जो भूमि को खारा बना रहा है, लेकिन बावजूद इसके कॉन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (क्रेडाई)  अधिक रेत खदानों की मांग कर रही है।

रेत की लूट का विरोध

2,000 से अधिक स्थानीय लोगों और किसानों ने भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के नेतृत्व में 5 मई को कलेक्टर कार्यालय के सामने आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में भाग लिया, और इसके माध्यम से कावेरी नदी की उत्तरी शाखा कोलिडम नदी में मयिलादुथुराई जिले के सामने अवैध रेत खनन को समाप्त करने की मांग की है। 

मयिलादुथुराई के माकपा के सचिव, टी श्रीनिवासन ने न्यूज़क्लिक को बताया कि "कोलिडम नदी में तट पर जलाशय के ठीक बगल में दो खदानें हैं, जो अवैध है"। वे रेत खनन के लिए अनुमत सीमा से 30 से 35 गुना अधिक लूट रहे हैं या खनन कर रहे हैं। यह ख़तरनाक है। पानी का खारापन दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है क्योंकि जितना अधिक वे खोदते हैं, उतना ही अधिक खारा पानी मीठे पानी में मिल जाता है। उस पानी का उपयोग खेती और पीने के लिए नहीं किया जा सकता है। इसके अलावा, खनन से नदी एक दलदल वाली भूमि बन जाएगी।

श्रीनिवासन के अनुसार, कोलिडम नदी मयिलादुथुराई, तंजावुर, पुदुक्कोट्टई, शिवगंगई और रामनाथपुरम जिलों में लगभग 2.5 करोड़ लोगों को पीने के पानी का प्रदान करती है। स्पष्ट रूप से रेत लूट के प्रमाण के बावजूद, स्थानीय द्रमुक सदस्य इसे गाद निकालने की प्रक्रिया बता रहे  हैं। वे इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि बाढ़ को रोकने के लिए गाद निकालना जरूरी है।"

इसके अलावा, रेत को कथित रूप से काला बाजार में 10,000 रुपये से 11,000 रुपये प्रति यूनिट बेचा जा रहा है जबकि सरकारी दर 1,000 रुपये प्रति यूनिट है।

पारिस्थितिक प्रभाव

मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज के एक सेवानिवृत्त फेकल्टी सदस्य और जल प्रबंधन के विशेषज्ञ एस. जनकराजन ने कहा कि, “रेत, जिसे जमा करने में बहुत समय लगता है, बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पानी को संग्रहीत करता है और नदी के किनारे का जलभृत बनाता है। यहां तक ​​कि अगर नदी सूख भी जाती है, तो भी जलभृत पानी रोके रखता है जिसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।

जनकराजन ने बताया कि, रेत की मात्रा के आधार पर, "उस हद तक ही खनन किया जा सकता जिस हद तक जलभृत अछूता रहे। पल्लार नदी में एक बहुत समृद्ध जलभृत था लेकिन हमने उसे खो दिया।" दूसरी ओर, "नदी के प्रवाह के वेग को अपस्ट्रीम से डाउनस्ट्रीम तक बनाए रखने के लिए नियमित रूप से गाद निकालना आवश्यक है। प्रवाह में रोज़ाना की गिरावट और गुरुत्वाकर्षण को बनाए रखना होगा। यदि कुछ स्थानों पर अत्यधिक गाद निकाल दी जाती है, तो पानी फंस जाएगा और प्रवाह में बाधा उत्पन्न होगी।

जनकराजन ने कहा कि, गाद निकालने के नाम पर “अवैध रूप से रेत का खनन किया जा रहा है। यह नदी और स्थानीय क्षेत्र दोनों के लिए बुरा है। जलभराव सूख जाएगा। कई जगहों पर मिट्टी दिखाई दे रही है जिसके बाद पानी नहीं बह पाएगा। इसे इस मुकाम तक कभी नहीं पहुंचना चाहिए था।

धमकियों के सामने नहीं झुकना 

श्रीनिवासन ने आरोप लगाया कि खनिकों का विरोध करने वालों को एजेंट धमका रहे हैं। "वे कहते हैं, 'तुम खुले में नहीं घूम पाओगे।' वे सोशल मीडिया पर हमें गालियां दे रहे हैं। हमने संबंधित अधिकारियों को तीन ज्ञापन सौंपे हैं। पुलिस ने कहा है कि उनके हाथ बंधे हुए हैं।"

सत्ता में आने से पहले, डीएमके ने मांग की कि कावेरी डेल्टा को संरक्षित कृषि क्षेत्र घोषित किया जाए। 2020 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, एआईएडीएमके के मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीसामी ने कावेरी डेल्टा के आठ जिलों को एक विशेष संरक्षित कृषि क्षेत्र में वर्गीकृत किया था।

12 मई को तमिलनाडु संरक्षित कृषि क्षेत्र विकास प्राधिकरण की पहली बैठक में सीएम एमके स्टालिन ने बड़े वादे करते हुए कहा था कि सरकार, कावेरी डेल्टा में कृषि गतिविधियों को प्रभावित करने वाले किसी भी उद्योग को अनुमति नहीं देगी। उन्होंने कहा, "यह सरकार किसानों और कृषि के हितों की रक्षा करने और कृषि से जुड़े उद्योगों में रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने पर केंद्रित रहेगी।" हालांकि, हकीकत इससे काफी अलग है।

माकपा ने दोहराया है कि स्टालिन को राज्य विधानसभा में अवैध रेत खनन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा करनी चाहिए। मांग पूरी नहीं होने पर पार्टी जल्द ही अगला विरोध प्रदर्शन करेगी।

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