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देश की विवधता और एकता के साथ गणतंत्र दिवस परेड को तैयार किसान

पहला जत्था सिंघु बॉर्डर से निकलेगा और दिल्ली में प्रवेश करेगा। दूसरा जत्था टिकरी बॉर्डर सेस तीसरा जत्था गाज़ीपुर बॉर्डर से दिल्ली में प्रवेश करेगा। इसके अलावा पलवल और शाहजहांपुर बॉर्डर से भी परेड निकलेगी।
देश की विवधता और एकता के साथ गणतंत्र दिवस परेड को तैयार किसान

देशभर में जारी किसान आंदोलन के बीच दिल्ली के बॉर्डर पर किसान 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के परेड के लिए पूरे जोश के साथ तैयार हैं।

पहला जत्था सिंघु बॉर्डर से निकलेगा और दिल्ली में प्रवेश करेगा। दूसरा जत्था टिकरी बॉर्डर से दिल्ली में आएगा। तीसरा जत्था गाज़ीपुर बॉर्डर से दिल्ली में घुसेगा। इन तीनों जत्थों के रास्तों पर पुलिस और किसानो में पूर्ण सहमति है। जबकि पलवल और शाहजहांपुर बॉर्डर के दो अन्य जत्थों को लेकर पुलिस और किसानों के बीच कुछ विवाद रहा, लेकिन अब इसको लेकर भी सहमति बन गई है।

आइए आपको पूरी परेड का रूट समझाते हैं

पहला जत्था सिंघु बॉर्डर से निकलेगा और दिल्ली में प्रवेश करेगा। वहां से संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर से बवाना-कंझावला खरखौदा चंडी होते हुए वापस सिंघु लौट जाएगा। आपको बता दें ये किसान आंदोलन के सबसे मज़बूत केंद के रूप में उभरा है और उम्मीद है सबसे बड़ा जत्था भी यहीं से निकलेगा। यहां बड़ी संख्या में पंजाब और हरियाणा के किसान हैं।

दूसरा जत्था टिकरी बॉर्डर से दिल्ली में आएगा और नांगलोई-नजफगढ़-बादली-डासना होते हुए वापस टिकरी पंहुचेगा। ये भी काफी बड़ा जत्था है यहां भी हरियाणा और पंजाब के किसान हैं।

तीसरा जत्था गाज़ीपुर बॉर्डर से दिल्ली में घुसेगा और आनंद विहार से अप्सरा बॉर्डर-मोहन नगर-गाज़ियाबाद-डासना से वापस गाज़ीपुर पहुंचेगा। ये जत्था दिल्ली की सीमा पर 28 नवंबर को पहुंचा था हालांकि शुरुआत में ये जत्था उतना विशाल नहीं था लेकिन अब यहां हज़ारों की संख्या में किसान हैं। यहां उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और अब तो उड़ीसा और मध्य प्रदेश से भी बड़ी संख्या में किसान यहां पहुंचे हैं।

इन तीनों जत्थों के रास्तों पर पुलिस और किसानो में पूर्ण सहमति है। जबकि पलवल और शाहजहांपुर बॉर्डर के दो अन्य जत्थों को लेकर पुलिस और किसानों के बीच कुछ विवाद था। हालांकि अब इसपर भी सहमति बन गई है।

किसानों की तरफ से जो कहा जा रहा है उसके मुताबिक चौथा जत्था हरियाणा-राजस्थान के शाहजहाँपुर बॉर्डर से निकलकर मसानी डैम जहाँ किसानों का एक और जत्था है उसे लेकर ये केएमपी पर जाएँगे। आपको बता दें इस मोर्चे में राजस्थान के किसान बड़ी संख्या में हैं। हालंकि उनके साथ लगभग 24 अन्य राज्य महाराष्ट्र, केरल, गुजरात और हरियाणा के किसानों की संख्या भी काफी अच्छी है।

पांचवा और अंतिम जत्था जो हरियाणा के पलवल से निकलेगा, सबसे अधिक विवाद यहीं था। लेकिन अब कहा जा रहा है वो गाज़ीपुर बॉर्डर के मार्च के साथ शामिल होंगे।

अन्य बॉर्डर की तरह शाहजहांपुर बॉर्डर पर भी किसान इस परेड को लेकर काफ़ी उत्साहित है और वहां भी तैयारियां अपने अंतिम दौर में है। यहां किसान हज़ारों की संख्या में ट्रैक्टर के साथ किसान परेड के लिए तैयार है। हालांकि बाक़ी मोर्चे की तुलना में यहां आपको संख्या कम लग सकती है लेकिन इस बॉर्डर की खासियत यह है कि ये पूरे देश का प्रतिनिधत्व करता दिख रहा है। क्योंकि यहां लगभग 25 राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, बिहार और मेघालय, कश्मीर और कई अन्य राज्यों के किसान अपनी यहां की विशेष झांकी के साथ तैयार हैं।

स्मिता देशमुख जो महाराष्ट्र से इस किसान आंदोलन का हिस्सा बनने आई हैं। वो एक ट्रैक्टर को किसान परेड के लिए तैयार कर रही हैं। उन्होंने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि हम किसान परेड मे महाराष्ट्र के रंग को दिखाएंगे। हमारे महराष्ट्र के महान विचारक और समाज प्रवर्तक जैसे शिवाजी, अंबेडकर और सावित्री बाई फुले जैसे महान हस्तियों की तस्वीर और अपने आदिवसी समाज की जीवन शैली को पेश करेंगे।

देशमुख ने कहा मोदी सरकार ने हम किसानों को सड़क पर आकर लड़ने के लिए मजबूर कर दिया है।

इसी तरह बाकी राज्यो के किसान भी अपने अपने राज्यो की झांकी तैयार कर रहे थे ।

केरल के किसानों के साथ आए सीपीएम के राज्यसभा सांसद के के रागेश ने कहा ये मार्च का संदेश आज़दी है कॉरपोरेट से किसान मज़दूर की आज़ादी है। ये सरकार ने जो कानून बनाए है वो किसानों को पूंजीपतियों का गुलाम बना देगा। ये संघर्ष उसी गुलामी के ख़िलाफ़ है।

राजस्थान किसान सभा के नेता और पूर्व विधायक पवन दुग्गल ने बताया शाहजहांपुर बॉर्डर मिनी हिन्दुस्तान बन गया है। परेड में हम सभी राज्यों झांकियों के साथ किसान परेड करेंगे। इसमें सभी शहीद किसानो की शहदत को याद किया जाएगा।

उन्होंने इस मार्च को ऐतिहासकि बताया और कहा आज़ादी के बाद पहली बार दिल्ली और उसके बाहर चारों तरफ किसान अपनी परेड निकाल रहा है।

राजस्थान से आई महिला सीमा जैन ने कहा यह सिर्फ़ किसानों को नहीं बल्कि पूरे समाज का संघर्ष है। 26 जनवरी के परेड में महिलाएं भी बड़ी संख्या में भाग लेंगी सिर्फ़ यही नहीं वो ट्रैक्टर ख़ुद चलाकर इसका नेतृत्व भी करेंगे।

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