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अभूतपूर्व मानसिक स्वास्थ्य संकट को झेलते गज़ा के स्वास्थ्य कर्मी और मरीज़ 

एमएसएफ ने रिपोर्ट की है कि, गज़ा में स्वास्थ्य कर्मी और रोगी एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य संकट झेल रहे हैं, जो लगातार इजरायली हमलों और स्वास्थ्य सेवा के विनाश के कारण हुआ है।
Gaza
गज़ा में तबाही, फोटो: फवाद खमाश/पीआरसीएस

डॉ. रूबा सुलेमान ने डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (एमएसएफ) के साथ बातचीत के दौरान गज़ा में स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा सामना की जाने वाली वास्तविकता का वर्णन करते हुए कहा कि, "हम ज़िंदा तो हैं, लेकिन हम ठीक नहीं हैं।" एमएसएफ की हालिया रिपोर्ट उनकी भावना के बारे में जिक्र करती है, जिससे पता चलता है कि गज़ा पट्टी में स्वास्थ्य कर्मियों का मानसिक स्वास्थ्य अभूतपूर्व स्तर तक खराब हो गया है। लगातार बमबारी, विस्थापन और रफा में जमीनी आक्रमण के बढ़ते खतरे ने स्वास्थ्य कर्मियों और हजारों मरीजों को गहरा आघात पहुंचाया है। 

पिछले छह महीनों में, फ़िलिस्तीनी स्वास्थ्य कर्मी इज़रायली हमलों में लगी चोटों से पीड़ित आघात रोगियों की निरंतर आमद से अभिभूत हो गए हैं, जिनमें अंग फ्रैक्चर और गंभीर जलन शामिल हैं। उन्हें प्रतिदिन कई चीजों का भी सामना करना पड़ता है, जैसे कि एनेस्थीसिया के बिना सर्जरी कौन करेगा, और क्या इजरायली कब्जे वाले बलों (आईओएफ) द्वारा निशाना बनाए जाने का जोखिम उठाया जाए या चिकित्सा सुविधाओं की निकासी के दौरान अपने मरीजों को छोड़ दिया जाए।

एमएसएफ रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ये विकल्प, आघात के साथ-साथ, स्थायी निशान छोड़ सकते हैं। स्वास्थ्य कर्मी पहले से ही उच्च स्तरीय चिंता, अनिद्रा, अवसाद और दखल के खतरे के बारे में रिपोर्ट कर रहे हैं। ”एमएसएफ के एम्पारो विलास्मिल ने कहा कि, इजरायली हमलों में करीब 500 स्वास्थ्यकर्मी मारे गए हैं इसलिए “लोगों के दिमाग में अब कोई सुरक्षित जगह भी नहीं बची है। उन्हें निरंतर हमलों के प्रति सतर्क रहना पड़ता है।

इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव गज़ा के अस्पतालों में शरण लेने वाले रोगियों और विस्थापित व्यक्तियों तक फैला हुआ है। एमएसएफ स्टाफ की रिपोर्ट कहती है कि पहले से गंभीर मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित रोगियों के परिवार के सदस्यों ने स्वास्थ्य देखभाल पर हमलों के बीच विशेष सेवाओं के बंद होने के कारण उन्हें सुरक्षित रखने और उन्हें नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए अत्यधिक बेहोश करने की दवा का सहारा लेना पड़ता है।

लाखों टन मलबे के बीच सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ती जा रही हैं

ड्रोन की कभी न ख़त्म होने वाली गूंज विभिन्न स्वास्थ्य संगठनों द्वारा एकत्र की गवाही  की निरंतर पृष्ठभूमि बनाती है, जो मनोवैज्ञानिक तनाव को और बढ़ा देती है। जैसा कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में बताया गया है, यह लगभग सर्वनाशकारी स्थितियों के बीच हो रहा है, जिसमें गज़ा का जल और स्वच्छता बुनियादी ढांचा ढहने के कगार पर है और नष्ट हुए बुनियादी ढांचे से बड़ी मात्रा में मलबा निकला है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, गज़ा में सड़कों और इमारतों के नष्ट होने से लगभग 37.5 मिलियन टन ऐसा मलबा जमा हो गया है।

रफ़ा में तंबुओं और अस्थायी आश्रयों में रहने वाले दस लाख से अधिक लोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच लगभग असंभव हो गई है। गज़ा के अस्पतालों के विनाश और इजरायली हमलों की बढ़ती तीव्रता ने कई सुविधाओं को या तो प्रभावी रूप से आघात पहुंचाया है उन्हें केंद्रों में परिवर्तित करने या आईओएफ द्वारा घेराबंदी के कारण बंद करने के लिए मजबूर कर दिया है। इससे इलाज़ वाली सुविधाओं में संक्रमण और अन्य जटिलताओं का खतरा बढ़ गया है।

मौजूदा स्वास्थ्य देखभाल क्षमताओं पर दबाव बढ़ गया है

छोटे बच्चे और गर्भवती महिलाएं विशेष रूप से असुरक्षित हैं। एमएसएफ टीमों ने गज़ा में अनुमानित 50,000 गर्भवती महिलाओं में मूत्र संक्रमण, एनीमिया और रक्तस्राव में वृद्धि की रिपोर्ट दी है, जिनमें से कई को 7 अक्टूबर को हमले शुरू होने के बाद से कोई प्रसव से पहले वाले देखभाल नहीं मिली है। रफा में अमीराती अस्पताल, कुछ शेष सुविधाओं में से एक है मातृ देखभाल, प्रतिदिन लगभग 100 प्रसव करा रही है: 7 अक्टूबर से पहले की तुलना में यह पांच गुना अधिक है। केस ज्यादा आने के कारण अस्पताल को अपने पार्किंग स्थल को एक अस्थायी प्रसवोत्तर इकाई में बदलने के लिए मजबूर कर दिया है, जिसमें बढ़ती तादाद को समायोजित करने के लिए 26 बिस्तर ओर जोड़े गए हैं।

इतनी कोशिशों के बावजूद भी बिस्तरों की संख्या पर्याप्त नहीं हैं। नई बनी माताएं अक्सर बच्चे के जन्म के तुरंत बाद अपने तंबू में लौट जाती हैं, जहां उन्हें पानी, भोजन या गोपनीयता की कमी महसूस होती है। माताओं और शिशुओं के लिए पोषण की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है, जिससे स्तनपान कराने के प्रयास जटिल होते जा रहे हैं। शिशु फार्मूला फूड ढूँढना भी उतना ही कठिन है। न केवल फार्मूला फूड तैयार करने के लिए पानी की कमी है, बल्कि कीमत भी पहले की तुलना में दो से तीन गुना बढ़ गई है।

अन्य स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दबाव उतना ही तीव्र है। केवल दो स्वास्थ्य केंद्रों में एमएसएफ टीमें साप्ताहिक रूप से 5,000 से अधिक लोगों को इलाज़ के लेई सलाह दे पाती हैं, जिनमें विशेष देखभाल के लिए रेफरल की कोई क्षमता नहीं है। इस प्रकार, इज़रायल न केवल सीधे हमलों के माध्यम से फिलिस्तीनियों को मार रहा है, बल्कि स्वास्थ्य प्रणाली को तबाह कर अप्रत्यक्ष ढंग से मार रहा है, जिससे कैंसर, किडनी रोग या मधुमेह से पीड़ित हजारों लोगों को मरने के लिए छोड़ दिया जा रहा है।

पीपल्स हेल्थ डिस्पैच पीपल्स हेल्थ मूवमेंट और पीपल्स डिस्पैच द्वारा प्रकाशित एक पाक्षिक बुलेटिन है। अधिक लेखों के लिए और पीपुल्स हेल्थ डिस्पैच की सदस्यता लेने के लिए, यहां क्लिक करें।

सौजन्य: पीपल्स डिस्पैच

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