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घोसी उपचुनाव: दोपहर 1 बजे तक 33.53 प्रतिशत वोटिंग, कई जगहों पर छिटपुट घटनाएं

दारा सिंह चौहान के पाला बदलने और इस्तीफ़ा देने के बाद ख़ाली हुई घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव हो रहा है, जिसमें पहली बार इंडिया और एनडीए की टक्कर देखने को मिल रही है।
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फ़ोटो साभार : ट्विटर/स्क्रीनशॉट

80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में 5 सितंबर का दिन बेहद खास है, क्योंकि इस दिन जहां जनता ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल सपा के मुखिया अखिलेश यादव का कद तय करेगी, तो दूसरी ओर ये मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के भीतर प्रदेश की सीटों पर कब्ज़ा करने के लिए कितना दम बचा है, इस बात का भी पता चलेगा।

दरअसल मऊ ज़िले की घोसी विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव हो रहे हैं, सुबह 7 बजे से वोटिंग जारी है। इस बेहद महत्वपूर्ण सीट पर दोपहर एक बजे तक 33.52 प्रतिशत वोट पड़ चुके हैं।

मुख्य चुनाव निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा के मुताबिक, घोसी उपचुनाव के लिए 239 मतदान केंद्रों में 455 बूथ बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि इस उपचुनाव में 4.30 लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे, जिनमें 2.31 लाख पुरुष, 1.99 लाख महिलाएं और नौ अन्य शामिल हैं। घोसी उपचुनाव में कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं।

भाजपा के दारा सिंह चौहान और सपा के सुधाकर सिंह के बीच मुकाबले में वोटिंग के दौरान छिटपुट घटनाएं और शिकाएतें सामने आ रही हैं।

सपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अरविंद कुमार सिंह ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि घोसी विधानसभा क्षेत्र में बूथ संख्या 147 मोहम्मदिया बड़ागांव, करीमुद्दीनपुर पर मतदान अधिकारी मुस्लिम मतदाताओं को वोट डालने से रोक रहे हैं। मतदाता सूची में नाम होने के बावजूद मुस्लिम मतदाताओं को यह कहकर लौटाया जा रहा है कि उनका वोट पड़ चुका है।

इसी तरह बूथ नंबर 145 पर भी वोट नहीं डालने देने के आरोप लगाए जा रहे हैं।

सपा नेता का ये भी आरोप है कि बूथ संख्या 60 पर दौलतपुर के ग्राम प्रधान रविंद्र नाथ और बूथ संख्या 419 पर पोलिंग एजेंट धर्मेंद्र यादव को पुलिस पकड़ कर ले गई है और उन पर भाजपा के पक्ष में मतदान करने का दबाव बना रही है। सिंह ने आयोग से इन घटनाओं का संज्ञान लेकर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करने की मांग की है।

उधर भाजपा भी समाजवादी पार्टी पर घोसी उपचुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगा रही है। भाजपा की ओर से भी ट्वीट किया गया है।

उधर मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा का कहना है कि मतदान पर करीबी नजर रखने के लिए आयोग ने एक सामान्य प्रेक्षक, एक व्यय प्रेक्षक और एक पुलिस प्रेक्षक भी तैनात किया है। इसके अलावा, 27 सेक्टर मजिस्ट्रेट, दो जोनल मजिस्ट्रेट और 110 माइक्रो पर्यवेक्षकों की भी तैनाती की गई है। रिणवा के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने निष्पक्ष, सुरक्षित एवं शांतिपूर्ण चुनाव सुनिश्चित करने के लिए व्यापक इंतजाम एवं सुरक्षा व्यवस्था की है।

घोसी विधानसभा सीट पर उपचुनाव पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि यहां पहली बार इंडिया बनाम एनडीए की टक्कर हो रही है। जिसमें अखिलेश यादव, योगी आदित्यनाथ और भाजपा के दारा सिंह चौहान समेत सुभासपा के अध्यक्ष ओपी राजभर की अस्मिता दांव पर लगी है।

साल 2017 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी फागू चौहान ने माफिया मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को हराकर चुनाव जीता था। इसके बाद फागू बिहार के राज्यपाल बनाए गए और इस्तीफा देने से खाली हुई सीट पर 2019 में उपचुनाव हुआ। इसमें भाजपा प्रत्याशी के रूप में विजय राजभर ने सपा प्रत्याशी सुधाकर सिंह को हरा दिया। इसके बाद साल 2022 में भाजपा से इस्तीफा देकर पूर्व मंत्री दारा सिंह चौहान सपा में शामिल हुए। जब विधानसभा चुनाव हुए तब दारा सिंह चौहान सपा की ओर से घोसी विधानसभा सीट पर विजय राजभर के सामने प्रत्याशी बनाए गए, और जीत हासिल कर ली। लेकिन प्रदेश में सरकार भाजपा की बनी तो दारा सिंह चौहान ने एक साल पूरे होते-होते फिर से पाला बदल दिया और विधायकी के साथ-साथ सपा से इस्तीफा देकर फिर से भाजपा में शामिल हो गए। यही कारण है कि इस सीट पर उपचुनाव होने जा रहे हैं।

यानी अब दारा सिंह चौहान फिर से घोसी सीट से प्रत्याशी होंगे लेकिन भाजपा की ओर से और इनका मुकाबला सपा के सुधाकर सिंह से होगा।

जिन जातियों का समीकरण बिठाकर दोनों दल चुनाव लड़ने के लिए इतना ज़ोर लगा रहे हैं, मऊ की घोसी विधानसभा के बारे में वो समीकरण क्या कहता है?

इस सीट पर दलित वोटर सबसे ज्यादा हैं, कुल 4 लाख 70 हजार की आबादी वाले घोसी विधानसभा में करीब 1 लाख की आबादी दलितों की है। दलितों के बाद यहां मुसलमानों की संख्या करीब 60 हजार की है। समाजवादी पार्टी का मजबूत स्तंभ कहे जाने वाला यादव वोट बैंक 40 हजार के आसपास है। 40 हजार राजभर हैं, निषाद करीब 15 हजार, चौहान (लोनिया) करीब 43 हजार, राजपूत करीब 15 हजार और कुर्मी करीब 5500 हैं। हालांकि, इसके अलावा भी कई जातियां निर्णायक भूमिका में हैं।

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