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गुजरात चुनाव: पहले चरण में 89 सीटों पर मतदान, 788 उम्मीदवारों की टक्कर

तमाम मुद्दों के बीच गुजरात में पहले चरण के मतदान 89 सीटों पर होंगे। कई सीटों पर भाजपा तो कई पर कांग्रेस का दबदबा कायम है, हालांकि आम आदमी पार्टी दोनों का खेल बिगाड़ सकती है।
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Image courtesy : DW

गुजरात चुनावों की तारीखों में कई सवाल हैं। क्या भाजपा अपनी सीटों को और ज़्यादा बढ़ा पाएगी? क्या कांग्रेस अपने पिछले प्रदर्शन थोड़ा और सुधार कर पाएगी? क्या प्रदेश में पहली बार बड़े स्तर पर चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी, भाजपा और कांग्रेस का खेल बिगाड़ पाएगी?

इन सवालों के साथ आज यानी गुरुवार के दिन गुजरात में पहले चरण के मतदान होंगे। पहले चरण में प्रदेश की 89 सीटों पर मतदान होगा, इसमें सौराष्ट्र की 48, कच्छ की 6 और दक्षिण गुजरात की 35 सीटें शामिल हैं। इन 89 सीटों पर 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस दौरान मोरबी, कच्छ, राजकोट, पोरबंदर और जूनागढ़ जैसी सीटों पर वोटिंग होगी। 19 जिलों में होने वाली वोटिंग में 2 करोड़ से ज्यादा वोटर्स अपने मत का प्रयोग करेंगे।

पहले चरण के लिए ही मुकाबला काफी रोचक होना वाला है, क्योंकि भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, एआईएमआईएम और बहुजन समाजवादी पार्टी मैदान में है।

भाजपा और कांग्रेस ने इन सभी 89 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं, जबकि आम आदमी पार्टी 88 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बसपा 57 और ओवैसी की पार्टी के 6 उम्मीदवार मैदान में हैं। यानी पहले ही चरण में सभी पार्टियां एक दूसरे को टक्कर देती नज़र आएंगी। इसमें 339 निर्दलीय उम्मीदवार भी शामिल हैं।

पहले चरण की इन 89 सीटों की बात करें तो, सौराष्ट्र और कच्छ के इलाके में भाजपा पर कांग्रेस भारी पड़ी थी जबकि दक्षिण गुजरात में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था। पहले चरण की जिन 89 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं, 2017 के चुनावी नतीजे को देखें तो भाजपा ने 48 सीटें जीती थीं तो कांग्रेस को 39,  बीटीपी को 2 और एनसीपी को एक सीट मिली थी। इस तरह से भाजपा और कांग्रेस दोनो ही दलों के लिए अपनी-अपनी सीटें बचाए रखनी चुनौती है जबकि आम आदमी पार्टी को खोने के लिए कुछ नहीं है।

कई सीटों पर नहीं खुला था भाजपा और कांग्रेस का खाता

पहले चरण में जिन सीटों पर मतदान होने वाले हैं, इनमें सात जिले ऐसे हैं जहां भाजपा खाता नहीं खोल सकी थी। अमरेली, नर्मदा, डांग्स, तापी, अरावली, मोरबी और गिर सोमनाथ जिले में भाजपा शून्य थी। अमरेली में कुल पांच,  गिर सोमनाथ में चार,  अरावली और मोरबी में तीन-तीन,  नर्मदा और तापी में दो-दो और डांग्स में एक सीट है। इन सभी जगह कांग्रेस को जीत मिली थी। सुरेंद्रनगर, जूनागढ़ और जामनगर में कांग्रेस ने भाजपा से ज्यादा सीटें जीती थी। सुरेंद्रनगर जिले की पांच में से चार, जूनागढ़ जिले की पांच से चार और जामनगर जिले की पांच में से तीन सीटें कांग्रेस जीती थी।

वहीं दूसरी ओर पहले चरण में पोरबंदर एकलौता जिला था, जहां पर कांग्रेस का खाता नहीं खुला था। भाजपा यहां की दोनों ही सीटें जीतने में कामयाब रही थी, कच्छ, राजकोट, भावनगर, भरूच, सूरत, नवसारी और बलसाड़ में भाजपा कांग्रेस से ज्यादा सीटें जीतने में कामयाब रही थी, सूरत की 16 में से भाजपा 15 सीटें जीती थी और कांग्रेस को महज एक सीट मिली थी। भाजपा की सत्ता में वापसी में सूरत का सबसे अहम योगदान रहा था, कांग्रेस ने अगर इस इलाके में अगर अच्छा प्रदर्शन किया होता तो गुजरात में सत्ता का वनवास खत्म हो गया होता।

वैसे तो प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे चुनाव में आतंकवाद और हिंदू-मुस्लिम मुद्दा सेट कर दिया है, लेकिन ज़मीनी हक़ीकत से तो हर इंसान को जीनी ही पड़ती है, ऐसी कुछ हकीकतें पहले चरण की सीटों पर हैं। जैसे कच्छ के कई इलाकों में आज भी पीने के पानी की बहुत बड़ी समस्या है, कई इलाकों में मोबाइल का नेटवर्क ही नहीं रहता। कई इलाकों की सड़कें न जाने कितने सालों से मरम्मत मांग रही हैं। ऐसे ही बहुत से मुद्दे जो जनता के ज़हन में होंगे।

इसके अलावा पहले चरण में किन सीटों पर कांटे की टक्कर हो सकती है उसपर भी एक नज़र डाल लेते हैं:

कुटियाणा विधानसभा

पोरबंदर की कुटियाणा सीट से लगातार दो बार से विधायक हैं, कांधल जाडेजा, जो गुजरात की लेडी डॉन कही गई संतोकबेन जाडेजा के बेटे हैं। पिछली दो बार वह एनसीपी की टिकट पर जीते थे, लेकिन इस बार वे समाजवादी पार्टी के चिन्ह साइकिल पर लड़ रहे हैं। कांधल जाडेजा का इस इलाके में अच्छा प्रभाव है, हालांकि उन पर कई आपराधिक केस भी दर्ज हैं। बीजेपी ने यहां से ढेलीबेन आढेदरा को मैदान में उतारा है। अब देखना ये है कि वाकई में कांधल जाडेजा को वह हैट्रिक बनाने से रोक पाती हैं या नहीं।

भावनगर पश्चिम

भावनगर जिले की इस सीट से गुजरात सरकार के मौजूदा शिक्षा मंत्री जीतू वाघाणी चुनाव लड़ रहे हैं। वे 2012 से लगतार यहां से जीतते आ रहे हैं। आम आदमी पार्टी ने यहां से सामाजिक कार्यकर्ता राजू सोलंकी को उतारा है। जो पार्टी के नए पोस्टर ब्वॉय भी है।

पोरबंदर

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जन्मस्थान पोरबंदर जिले की यह सीट काफी चर्चा में रहती है। इसकी वजह है गुजरात के दो बड़े नेताओं की सियासी लड़ाई। 2017 के चुनाव में भाजपा के बाबूभाई बोखरिया ने कांग्रेस के दिग्गज नेता अर्जुन मोढवाड़िया को हरा दिया था। लगातार दूसरी बार मोढवाड़िया हारे थे। इस बार फिर से दोनों नेता चुनावी रण में आमने-सामने हैं।

कतारगाम

पूर्व में कांस्टेबल और क्लर्क की नौकरी कर चुके गोपाल इटालिया आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। वे इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पाटीदार वोटरों की अच्छी संख्या वाली इस सीट पर उनका मुकाबला भाजपा के वीनू मोरडिया से हैं। कांग्रेस ने इस सीट से कल्पेश वारिया को प्रत्याशी बनाया है।

मोरबी

चुनावों से पहले ब्रिज हादसे के चलते चर्चा में आए सौराष्ट्र के इस जिले में भाजपा को कितना नुकसान होगा, ये सवाल है। भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक और मंत्री ब्रजेश मेरजा का टिकट काटकर यहां से पूर्व विधायक कांतिलाल अमृतिया को मैदान में उतारा है।

वैसे तो पहले चरण की सभी विधानसभा सीटों पर मुकाबला दिलचस्प होने के कयास हैं, क्योंकि आम आदमी पार्टी मुकाबले को पेचीदा बनाती जा रही है। हालांकि नतीजों के लिए 8 दिसंबर का इंतज़ार करना होगा।

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