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हरियाणा : गन्ने के रेट में वृद्धि की मांग को लेकर किसान का विरोध प्रदर्शन जारी, मिल बंद करने की चेतावनी!

"गन्ना किसानों ने सर्वसम्मति से रेट बढ़ोतरी की मांग उठाई व हरियाणा सरकार से जल्द बढ़ोतरी करने की मांग दोहराई और ये चेतावनी भी दी कि अगर ऐसा नही होता है तो किसान मजबूरी मे मिल बंद कर आंदोलन को तेज़ करने को मजबूर होंगे।"
kisan andolan

गन्ने के रेट में बढ़ोतरी की मांग को लेकर हरियाणा के किसान लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी के तहत हरियाणा की गन्ना उत्पादक संघ जिसका संबंध हरियाणा किसान सभा से है, उसने 8 और 9 जनवरी को भाली शुगर मिल और महम शुगर मिल पर धरना दिया। इसमें आस-पास के गन्ना उत्पादक किसान भी शामिल हुए।

सोमवार को गन्ना किसानों की मांगों को लेकर महम शुगर मिल  में गन्ना उत्पादक संघ की पंचायत हुई। इस बैठक में सर्वसम्मति से गन्ने का रेट बढ़ाकर 450 रुपए प्रति क्विंटल करने और महम शुगर मिल की व्यवस्था सुधारने की मांगो को प्रमुखता से उठाया गया।

इस दौरान किसान सभा के जिला सचिव बलवान खरक ने बताया कि महम शुगर मिल में गन्ना किसानों ने बैठक कर गन्ने के रेट में बढ़ोतरी के लिए आंदोलन की योजना बनाई। गन्ना किसानों ने सर्वसम्मति से रेट बढ़ोतरी की मांग उठाई व हरियाणा सरकार से जल्द बढ़ोतरी करने की मांग दोहराई और ये चेतावनी भी दी कि अगर ऐसा नही होता है तो किसान मजबूरी मे मिल बंद कर आंदोलन को तेज़ करने को मजबूर होंगे।

किसान सभा की जिला प्रधान प्रीत सिंह ने बताया कि हरियाणा में गन्ने का रेट, आसपास के राज्यों में सर्वाधिक होता था लेकिन इस साल रेट में बढ़ोतरी ना होने से हरियाणा इस मामले में अन्य प्रदेशों से पीछे है। पंजाब और उत्तरप्रदेश में किसानो को 380 का रेट मिल रहा है जबकि हरियाणा में ये 362 है। वर्तमान मूल्य में किसानों को आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। सरकार लागत का डेढ़ गुना दाम देने की बजाय गन्ना रंगराजन समिति की सिफारिशों को लागू कर रही है जिसका उद्देश्य सहकारी और सरकारी चीनी मिलों को प्राइवेट करना है।

इसी तरह रविवार आठ जनवरी को भाली शुगर मिल में किसानों की पंचायत हुई। गन्ना किसानों की पंचायत में दर्जनों गांवों से गन्ना किसान शामिल रहे।

किसान सभा महासचिव सुमित ने कहा कि किसानों ने मिल की स्थानीय समस्याओं को उठाते हुए मिल को सुचारू रूप से चलाने के लिए, शुगर कंट्रोल बोर्ड 1966 के नियम अनुसार 14 दिन में भुगतान किया जाए। इसके साथ ही उन्होंने, महम की तरफ से मिल जाने वाले रास्ते को पक्का करने और साफ शौचालय का प्रबंध करने की मांग भी उठाई।


 
सुमित ने बताया कि हरियाणा सरकार ने इस पिराई सत्र के लिए गन्ने के रेट में कोई वृद्धि नहीं की जिसके चलते गन्ना किसान घाटा उठाने को मजबूर हैं। मिल चलने से पहले ही किसान गन्ने के भाव में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार ने रेट बढ़ाने की बजाय कमेटी बना कर खानापूर्ति करदी। पंचायत में किसानों ने एक स्वर में गन्ने के वर्तमान भाव में गुज़ारा ना चलने और रेट में बढ़ोतरी कर 450 रुपए प्रति क्विंटल करने की मांग दोहराई।

किसान सभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा कि किसानों को उनकी लागत का भाव नही मिलता, गन्ने के मूल्य में बढ़ोतरी नही की जा रही, फसल बर्बाद हुए दो साल हो गए उसका मुआवज़ा अभी तक लंबित है। किसान और मज़दूर कर्ज़दार होते जा रहे हैं। मोदी सरकार 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा करती आ रही थी लेकिन हकीकत में आमदनी घट गई। इसलिए बार-बार किसानों को आपके हकों को हासिल करने के लिए लड़ना पड़ रहा है।
 
इससे पहले 25 दिसंबर को भी भाली शुगर  मिल के बाहर किसानों ने धरना देते हुए एक घंटे के लिए रोहतक-भिवानी हाईवे पर मार्ग अवरुद्ध किया था। किसानों ने हरियाणा सरकार को चेताया कि अगर गन्ने का रेट नही बढ़ाया गया तो किसान अनिश्चित काल के लिए शुगरमिलों को बंद करने पर मजबूर होंगे।

प्रदर्शन कर रहे किसानों का कहना है कि हर वर्ष राज्य सरकारों को राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) की घोषणा करनी होती है लेकिन प्रदेश की भाजपा-जजपा सरकार ने अभी तक इस पिराई सीज़न के लिए गन्ने के भाव की घोषणा नही की। भाव में बढ़ोतरी ना होने से गन्ना किसान नुकसान उठाने को मजबूर हैं क्योंकि लागत में हर वर्ष बढ़ोतरी हो रही है जिसकी तुलना में मूल्य काफी कम है। पिछले साल सरकार द्वारा 12 रुपये की मामूली सी बढ़ोतरी की गई थी। पंजाब के किसानों को भी हरियाणा के किसानों से ज़्यादा भाव मिल रहा है लेकिन हरियाणा सरकार द्वारा भाव में बढ़ोतरी ना करना उनके किसान विरोधी रुख को ही उजागर करता है।

इसके साथ ही गन्ना किसान पिछले दो सालों से गन्ना किसानों को पहले की भांति चीनी देने की मांग उठाते रहे हैं जिसपर सहकारिता मंत्री ने पिछले साल मौखिक सहमति दी थी परंतु इसे अमल में नही लाया गया। इनकी मांग है कि रोहतक झज्जर क्षेत्र में गन्ने की पैदावार को देखते हुए झज्जर जिले में नया शुगर मिल लगाया जाना चाहिए। साथ ही गन्ने की उन्नत किस्म किसानों को देने और प्राकृतिक आपदा व बीमारी से फसल बर्बाद होने की स्तिथि में गन्ना किसानो को मुआवज़ा देने की मांगों को प्रमुखता से उठाया गया।

गन्ना उत्पादक संघ ने हरियाणा सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द गन्ना किसानों की मांगों को हल नहीं किया गया तो किसान अनिश्चितकालीन आंदोलन छेड़ने को मजबूर होंगे।

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