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हरियाणा: ‘निजीकरण’ को लेकर रोडवेज़ कर्मचारियों में भारी रोष, सीएम आवास पर करेंगे प्रदर्शन!

कर्मचारियों का आरोप है कि हरियाणा सरकार ने कई रूट्स पर प्राइवेट बसों को परमिट दिया है। इसके ख़िलाफ़ कर्मचारियों ने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया और कहा कि मांगें पूरी न होने पर वे 26 नवंबर को सीएम आवास पर प्रदर्शन करेंगे।
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हरियाणा में रोडवेज़ कर्मचारी आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं। इन रोडवेज़ कर्मचारियों का आरोप है कि हरियाणा सरकार ‘रोडवेज़ में निजीकरण’ कर रही है और इसी के तहत सरकार ने कई रूटो पर प्राइवेट बसों को परमिट दिया है। इस वजह से राज्य में बड़ी संख्या में रोडवेज़ कर्मचारी नाराज़ हैं।

आपको बता दें, इससे पहले भी हरियाणा सरकार ने ‘किलो मीटर स्कीम’ के तहत हरियाणा के सार्वजनिक परिवहन क्षेत्र में निजी लोगों को लाने का प्रयास किया था, इसे लेकर भी रोडवेज़ कर्मचारियों ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया था। उनके आंदोलनों को पहले भी हरियाणा की जनता का भारी समर्थन मिला है।

इस बार, रोडवेज़ की सभी यूनियनों ने मिलकर एक साझा मंच बनाया है, जिसके तहत वे एक नए आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।

‘हरियाणा रोडवेज़ कर्मचारी साझा मोर्चा’ ने अपने एक बयान में कहा कि “भाजपा-जजपा सरकार, 265 मार्गों पर, अपने पूंजीपति क़रीबियों की हज़ारों प्राइवेट बसों को परमिट दे रही है।”

साझा मोर्चा ने इस कथित फ़ैसले के विरोध में 26-27 अक्टूबर को प्रदेश भर के बस अड्डों पर दो दिवसीय हस्ताक्षर अभियान भी चलाया।

साझा मोर्चा ने बताया, “265 रूट परमिट देने के ख़िलाफ़ बस अड्डों पर आम जनता, छात्र व छात्राओं ने पूरे जोश के साथ दो दिन में 5 लाख के लगभग हस्ताक्षर करके सरकार की निजीकरण नीतियों का विरोध किया।”

साझा मोर्चा के वरिष्ठ नेताओं ने आरोप लगाते हुए कहा, “सरकार जनता की सस्ती व सुरक्षित सरकारी परिवहन सेवा को निजी हाथों में देना चाहती हैं। प्राइवेट परमिट देने की मांग न तो जनता की है और न ही रोडवेज़ कर्मचारियों की। प्राइवेट बस परमिट पॉलिसी से आम जनता बहुत दुखी हैं। सरकार, प्राइवेट पॉलिसी को वापस लेकर प्रदेश की बढ़ती जनसंख्या के आधार पर 10 हज़ार सरकारी बसें खरीदकर रोडवेज़ बेड़े में शामिल करे जिससे आम जनता को सुरक्षित सेवा मिलने के साथ-साथ सरकार का राजस्व भी बढ़ेगा ओर हज़ारों बेरोज़गार नौजवानों को स्थाई रोज़गार भी मिलेगा।”

हरियाणा रोडवेज़ वर्कर्स यूनियन के महासचिव और साझा मोर्चा के नेता सुमेर सिवाच ने अपने बयान में कहा, “सरकार प्रस्तावित प्राइवेट बस परमिट पॉलिसी को तुरंत वापस ले और परिवहन मंत्री द्वारा 10 मार्च व 23 जून की मानी गई मांगों को लागू करे। परिचालकों, चालको, लिपिकों व कर्मशाला के कर्मचारियों की सभी प्रकार की वेतन विसंगति को दूर किया जाए।”

बकौल सिवाच, कर्मचारियों की अन्य मांगें:

* पुरानी पेंशन बहाल की जाए और जोखिम भत्ता दिया जाए।

* कौशल रोज़गार निगम भंग कर पक्की भर्ती की जाए और ग्रुप-डी के कर्मचारियों को कॉमन कैडर से बाहर करके प्रमोशन दी जाए।

* 1992 से 2004 के बीच भर्ती सभी कर्मचारियों को नियुक्ति तिथि से पक्का करके पुरानी पेंशन योजना में शामिल किया जाए।

* 2016 में भर्ती हुए चालको व दादरी डिपो के 52 हेल्पर्स समेत सभी प्रकार के कच्चे कर्मचारियों को पक्का किया जाए।

साझा मोर्चा के नेताओं ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानी तो प्रदेश भर के रोडवेज़ कर्मचारी करनाल में 26 नवंबर, 2023 को मुख्यमंत्री आवास पर प्रदर्शन करेंगे।

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