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हरियाणा: मंत्री संदीप सिंह के ख़िलाफ़ यौन शोषण मामले में जांच पूरी! , हस्ताक्षर अभियान जारी

महिलावादी संगठन एडवा ने हरियाणा फ़ैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट पर कड़ा विरोध जताते हुए इसे गठित करने के पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।
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हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह के खिलाफ यौन शोषण मामले में हरियाणा फैक्ट फाइंडिंग कमेटी और चंडीगढ़ स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने अपनी जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंप दी है। ये दोनों रिपोर्टें फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई हैं, लेकिन कई मीडिया खबरों में इन रिपोर्ट्स से जुड़ी कई जानकारियां सामने जरूर आई हैं। बताया जा रहा है कि चंडीगढ़ एसआईटी इस मामले की चार्जशीट अगले हफ्ते कोर्ट में पेश कर सकती है। इस मामले में एफआईआर दर्ज हुए दो महीने से अधिक का समय बीत चुका है। ऐसे में महिला संगठन, संयुक्त किसान मोर्चा, स्थानीय खाप और नागरिक समाज के लोग आए दिन सड़कों पर अपना विरोध दर्ज कर मनोहर लाल खट्टर सरकार से मंत्री की बर्खास्तगी और गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। हालांकि संदीप सिंह अभी भी कैबिनेट मंत्री के पद पर बने हुए हैं।

बता दें कि इस मामले में अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) समेत कई अन्य नागरिक और महिला संगठनों नें एकजुट होकर जूनियर महिला कोच के लिए न्याय को सुनिश्चित करने हेतु न्यायिक संघर्ष समिति बनाई है, जिसके बैनर तले शनिवार, 4 मार्च को हरियाणा के झज्जर में रोष प्रदर्शन का आयोजन किया है। इस विशाल प्रदर्शन से पहले एडवा प्रदेश भर में संदीप सिंह के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चला रही है, जिसके बाद इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को दिल्ली में सौंपा जाना है।

हरियाणा फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट में क्या है?

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने जो अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है उसमें इस मामले में कुछ खास नहीं नजर आया है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि छेड़छाड़ से संबंधित जो जांच है, वह चंडीगढ़ पुलिस के दायरे में आती है। लिहाजा इस मामले में जांच चंडीगढ़ पुलिस ही करेगी। कमेटी के मुताबिक महिला कोच ने जो पुलिस के आला अधिकारियों और खेल निदेशालय के वरिष्ठ अधिकारियों पर शिकायत के बावजूद कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था, वो सही नहीं थे।

इस रिपोर्ट पर महिलावादी संगठन एडवा ने कड़ा विरोध जताते हुए कमेटी बनाने के पीछे सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व अंतरराष्ट्रीय भीम अवार्डी खिलाड़ी जगमति सांगवान, राज्य महासचिव उषा सरोहा और अध्यक्ष सविता ने संयुक्त रूप से एक बयान जारी कर कहा कि यौन उत्पीड़न मामले में हरियाणा सरकार द्वारा संदिग्ध इरादों से बनाई गई अवैध कमेटी सार्थक निष्कर्ष निकाल ही नहीं सकती थी। यह कमेटी शुरू से ही औचित्यहीन थी। इसका मकसद ही चंडीगढ पुलिस की जांच को प्रभावित करना और जूनियर कोच का चरित्र हनन, उत्पीड़न करना था। ताकि वह दबाव में आकर केस वापस ले ले।

एडवा ने कमेटी बनाने के पीछे सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

एडवा ने आगे कहा है कि कई संगठन शुरू से ही इस कमेटी पर सवाल उठा रहे थे, लेकिन सरकार ने इसे बंद करने के बजाए इसे एसआईटी न कहकर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी कहना शुरू कर दिया। इस कमेटी ने जूनियर कोच को प्रताड़ित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जूनियर कोच जहां-जहां पढ़ी है या जहां- जहां रही है, वहां जाकर उसके चरित्र के खिलाफ विभिन्न लोगों से लिखवाने की कोशिश भी की गई, जिसमें उन्हें कुछ हाथ नहीं लगा। अब जब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी है तो निष्कर्षों का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि कमेटी खुद भी यह मान रही है कि इसका कोई औचित्य नहीं था। इस मामले में जांच चंडीगढ़ पुलिस के दायरे में ही आती है।

जनवादी महिला समिति ने चंडीगढ़ पुलिस की जांच निष्पक्ष ढंग से सुनिश्चित करने के लिए सरकार से मंत्री संदीप सिंह का बचाव बंद करने और उन्हें तुरंत मंत्रिमंडल और हरियाणा ओलंपिक संघ के अध्यक्ष पद से हटाया जाने की बात भी दोहराई है।

वहीं चंडीगढ़ एसआईटी से जुड़े अफसरों के हवाले से दैनिक भास्कर ने लिखा है कि इस मामले से जुड़े सभी तथ्यों पर जांच पूरी की जा चुकी है, जिसकी रिपोर्ट टीम ने उच्चाधिकारियों के पास भेज दी है। इस हफ्ते रिपोर्ट को फाइनल टच दे दिया जाएगा। ध्यान रहे कि एफआईआर के तीन महीने के भीतर चार्जशीट दाखिल करना जरूरी होता है और इस लिहाज़ से चंडीगढ एसआईटी के पास अब ज्यादा समय नहीं बचा है, क्योंकि मामला दर्ज हुए पहले ही 63 दिनों से अधिक का समय बीत चुका है।

महिला कोच की तत्काल सुरक्षा हटाने की मांग

ज्ञात हो कि अभी हाल ही में पीड़ित जूनियर महिला कोच की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जीएमसीएच सेक्टर-32 चंडीगढ़ में भर्ती करवाया गया था। अस्पताल से दो दिन इलाज के बाद जब उन्हें छुट्टी दी गई, तो उन्होंने अपने सुरक्षा गार्डों पर खाने में गलत पदार्थ मिलाकर खिलाने का संदेह जाहिर किया था। इस मामले में उन्होंने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक पीके अग्रवाल को पत्र लिखकर तत्काल सुरक्षा हटाने को भी कहा। साथ ही पूरे मामले की जांच कर रही चंडीगढ़ एसआईटी से जल्द कार्रवाई करने की भी मांग है।

गौरतलब है कि न्यायिक संघर्ष समिति बीते 21 फरवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर इस संबंध में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ज्ञापन सौंपने वाली थी, लेकिन उस समय राष्ट्रपति के दिल्ली में मौजूद न होने के चलते इस कार्यक्रम को आगे के लिए टाल दिया गया और फिलहाल प्रदेश भर में लाखों लोगों से हस्ताक्षर अभियान के जरिए इस संघर्ष में जोड़ने का काम जारी है। अभी तक इस मामले में की बड़े प्रदर्शन देखे गए हैं, साथ ही खाप पंचायतों ने भी कैथल समेत हरियाणा के अन्य जिलों में मंत्री संदीप सिंह की एंट्री बैन कर रखी है। प्रदेश की मनोहर लाल खट्टर सरकार और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ को भी इस पूरे विवाद में विरोध का सामना करना पड़ा है। हालांकि अभी तक संदीप सिंह ने सिर्फ खेल मंत्रालय का पद छोड़ा है, वो हरियाणा सरकार में अभी भी मंत्री पद पर कायम हैं, इसे लेकर आम लोगों में काफी रोष और असंतोष देखने को मिला रहा है।

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