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हरियाणा: ‘नायब’ बने वज़ीर-ए-आला, अनिल विज नाराज़

जेजेपी से गठबंधन टूटना और मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाना ही इस बात की गवाही दे रहा है कि राज्य में बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ ज़बर्दस्त एंटी इनकम्बेंसी है।
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ऐन लोकसभा चुनाव से पहले हरियाणा में मुख्यमंत्री का बदलाव बता रहा है कि हरियाणा में बीजेपी की हालत अच्छी नहीं है। जेजेपी से गठबंधन टूटना और मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाना ही इस बात की गवाही दे रहा है कि राज्य में बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ ज़बर्दस्त एंटी इनकम्बेंसी है।

गोदी मीडिया और बीजेपी के प्रवक्ता भले ही इसे मास्टर स्ट्रोक और रणनीतिक चतुराई बताएं लेकिन खट्टर का इस्तीफ़ा अपने आप में यह बताने के लिए काफ़ी है कि बीजेपी को साफ़ हो गया था कि उनके नेतृत्व में न लोकसभा चुनाव जीता जा सकता है और न उसके बाद इसी साल अक्टूबर तक होने वाले राज्य विधानसभा के चुनाव।

हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर के इस्तीफे के बाद अब नायब सिंह सैनी नए मुख्यमंत्री बन गए हैं।  सैनी कुरुक्षेत्र से बीजेपी के लोकसभा सांसद हैं और उन्हें मनोहर लाल खट्टर का करीबी माना जाता है। उनके साथ पांच पुराने मंत्रियों ने भी शपथ ली। ये हैं- कंवरपाल सिंह, मूलचंद शर्मा, रणजीत सिंह चौटाला, जयप्रकाश दलाल और डॉक्टर बनवारी लाल। अब तक गृह और स्वास्थ्य मंत्री रहे अनिल विज इस मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुए हैं। वे शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं पहुंचे। बताया जा रहा है कि वे इस चयन से नाराज़ हैं। 90 सीटों वाले हरियाणा में भाजपा के 41 विधायक हैं और 6 निर्दलियों का समर्थन भी उसे हासिल बताया जाता है। अब कौन किसके साथ है यह तो विश्वासमत के दौरान ही साफ़ होगा। 

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