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क्या रोजग़ार को लेकर किये अपने वादों को पूरा कर पायी योगी सरकार ?

भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में 70 लाख रोजगार देने का वायदा किया था, जिसके हिसाब से प्रतिवर्ष 14 लाख रोजगार मुहैया करवाने थे। अब तक के चार सालों में 56 लाख रोजगार दिए जाने थे परन्तु यह सरकार 2 लाख रोजगार भी नहीं दे पाई है।
 योगी

कहाँ तो तय था चिराग़ाँ हर एक घर के लिए

कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए

कवि दुष्यंत कुमार की यह पंक्तियां उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के चुनावी वादों और वर्तमान में बेरोजगारी की स्थिति पर एकदम सही बैठती हैं, यूपी में वर्तमान में सेवायोजन विभाग की वेबसाइट पर करीब 38 लाख पढ़े-लिखे बेरोजगार युवा रजिस्टर्ड है, वर्ष 2018 से 2021 में बीच यह वेबसाइट पर बेरोजगारों की यह संख्या 17 लाख बढ़ी है | 

भारतीय जनता पार्टी के द्वारा उत्तर प्रदेश में, 2017 के घोषणा पत्र में जनता से वादे किये गए थे कि अगले 5 वर्षों में 70 लाख रोजगार एवं स्वरोजगार के अवसर पैदा किये जायेंगे और सरकार बनने के 90 दिनों के भीतर खाली पड़े सभी सरकारी पद भरे जायेगे | प्रदेश में योगी सरकार के 4 साल पुरे हो चुके हैं, परन्तु रोजगार बढ़ने के बजाए उल्टा बेरोजगारों की संख्या में ख़ासा बढ़ोत्तरी हुई है, प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी के लिए सरकार जिस गति से कार्य कर रही है, उस को देखते हुए ऐसा लगता है कि योगी सरकार द्वारा जो वादे जनता से किये गए वो महज एक जुमला थे | 

अपने घोषणा पत्र में 90 दिनों के भीतर खाली पड़े सभी सरकारी पद को भरे जाने पर योगी सरकार ने कितनी गंभीरता से कार्य किया है वो हम इसी साल के बजट दस्तावेजों में देख सकते है, बजट सत्र 2020-21 में पेश दस्तावेजों के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य में राजपत्रित और अराजपत्रित पदों की कुल संख्या लगभग 13 लाख हैं, लेकिन इन में से वर्तमान में 4 लाख से अधिक पद रिक्त पड़े हुए, ऐसा कोई विभाग नहीं है जहाँ पर बड़ी संख्या में पद खाली ना पड़े हो| 

इस बारे में जब हमने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू से बात की तो उन्होंने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी से युवा बेहाल है, भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में 70 लाख रोजगार देने का वायदा किया था जिसके हिसाब से प्रतिवर्ष 14 लाख रोजगार मुहैया करवाने थे, जिसके हिसाब से अब तक के चार सालों में 56 लाख रोजगार दिए जाने थे परन्तु यह सरकार आज तक 2 लाख रोजगार भी नहीं दे पाई है और जो नियुक्तियां निकली भी है उनके या तो पेपर आउट हो गए या वो कोर्ट में लंबित है, वो आगे कहते हैं कि पहले तो समय पर भर्तियां नहीं आती और यदि भर्ती आती भी हैं तो समय पर सभी प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती जिस कारण भर्ती का परिणाम आने में कई वर्ष लग जाते है |

अभ्यर्थियों को उम्मीद होती है कि अंतिम सूची में उन का नाम होगा, लेकिन ऐसा नहीं होता है और जब नई भर्ती आती है तो बहुत से युवाओं की आयु, भर्ती आयु सीमा से अधिक हो जाती है, और सरकार से जब युवा इन सब के लिए सवाल करता है सड़कों पर उतरता तो यह सरकार लाठियों से उनका स्वागत करती है |

जहाँ एक ओर प्रदेश की जरूरतों को मद्देनजर रखते हुए स्वीकृत पदों की संख्या में खासा इजाफा करने की जरूरत है, वहां इतनी बड़ी संख्या में खाली पद बड़ी चिंता का विषय है। जबकि ऐसा बिलकुल नहीं है कि प्रदेश में स्किल्ड और जरुरी शिक्षा प्राप्त लोग न हो।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के द्वारा सितंबर-दिसंबर 2020 अवधि के रिपोर्ट अनुसार प्रदेश में बेरोजगारी दर 6.86 प्रतिशत है और राज्य में ग्रेजुएट एवं उससे अधिक पढाई किये हुए युवक एवं युवतियों में तो बेरोजगारी दर 18 प्रतिशत से अधिक है। इसी रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी ग्रामीण क्षेत्रों से अधिक है। लेकिन आप को बता दे कि ग्रामीण क्षेत्र में अधिकांश लोग कृषि से जुड़े होते है और कृषि में छिपी बेरोज़गारी सबसे ज्यादा होती है | CMIE के मार्च महीने के आंकड़ों में बेरोजगारी दर 4.1 प्रतिशत बताई गयी है परन्तु जिस तरह से कोरोना के मामले फिर से बढे है, उसका सीधा प्रभाव राज्य की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है। जिसके चलते बड़ी संख्या में मजदूर बेरोजगार हुए जिसके चलते निश्चित ही बेरोजगारों की संख्या में फिर से बड़ी संख्या में बढ़ोतरी दिखने वाली है |

सेवायोजन विभाग उ.प्र. के अनुसार 30 जून 2018 को उनकी वेबसाइट पर पंजीक्रत बेरोज़गारो की संख्या 21.39 लाख थी, जो कि 7 फरवरी 2020 को बढ़कर यह संख्या 33.93 लाख हो गयी थी और अब 27 अप्रैल 2021 तक यह संख्या करीब 38 लाख हो चुकी है | सीधे शब्दों में कहे तो 2018 से अब 2021 तक लगभग 17 लाख बेरोजगार बढ़े है | 

युवा शक्ति देश का भविष्य निश्चित करती है, लेकिन यदि युवा के भविष्य के साथ ही खिलवाड़ हो तब देश का भविष्य क्या होगा? शामली निवासी विपुल मलिक भी प्रशासन से परेशान एक बेरोजगार युवा है, विपुल के अनुसार उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड की ओर से 14 जनवरी 2018 को 41,520 सिपाहियों की भर्ती निकाली गई | इसमें 23,520 पद नागरिक पुलिस के लिए और 18,000 पद पीएसी के लिए थे | 18 फरवरी 2019 तक मेडिकल टेस्ट के अलावा भर्ती के सारे स्टेज लिखित परीक्षा, डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन और फिजिकल टेस्ट पूरे कर लिए गए | जिसमें कुल 55,444 अभ्यर्थी सफल हुए | लेकिन इसके बाद बोर्ड की ओर से मेडिकल के लिए केवल 41,520 अभ्यर्थी ही बुलाए गए, इतने ही पदों के लिए वैकेंसी भी थी, जिसमें से 36,228 पदों पर ही भर्ती हो पाई | वो आगे कहते है कि अब हमारी मांग यह है कि फिजिकल, लिखित परीक्षा और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन सब पास करने के बाद भी जिन 13,924 अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया गया उन्हें मेडिकल के लिए मौका दिया जाए | ताकि खाली सीटों को भरा जा सके | लेकिन बोर्ड और सरकार दोनों सुनने के लिए तैयार नहीं हैं | भर्ती बोर्ड का कहना है कि हम बाकि रिक्त पदों को कैरी फॉरवर्ड करेंगे | विपुल अपना दर्द वयां करते हुए कहते है यदि इसी भर्ती में उनका चयन नहीं होता है तो आगे आने वाली भर्ती में ,ओवर एज होने के कारण वह और उन के जैसे न जाने कितने युवा आवेदन ही नहीं कर पाएंगे | 

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा मई 2018 को ग्राम पंचायत अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी और समाज कल्याण पर्यवेक्षक के लिये 1,953 पदों पर भर्ती निकाली गई थी | दिसम्बर 2018 में संबंधित परीक्षा भी पूर्ण हो चुकी थी | 28 अगस्त 2019 परीक्षा परिणाम भी आया | परीक्षा में चयनित सभी अभ्यर्थी फूले नहीं समा रहे थे कि अचानक 21 मार्च 2021 को उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के द्वारा एक सूचना पत्र जारी किया गया, जिसमें लिखा था कि प्रतियोगितात्मक परीक्षा को निरस्त किया जाता है | पिछले कई सालों से सरकारी नौकरी की परीक्षा के लिये तैयारी कर रहे और इस परीक्षा में अभ्यर्थी रहे बिजनौर निवासी परीक्षित सोडलान का कहना है कि एक अभ्यर्थी सब कुछ त्याग कर,कठिन मेहनत के बाद किसी भर्ती में चयनित हो पता है लेकिन अंतिम समय पर सरकार के द्वारा भर्ती निरस्त कर देना युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ ही है | 

भारत की जनवादी नौजवान सभा (उ०प्र०) के राज्य अध्यक्ष गुलाब चंद का कहना है कि योगी सरकार ने पिछले चार सालो में बेरोजगारी की समस्या के लिए कोई ठोस कदम ना उठाकर यह साबित कर दिया कि के द्वारा किये सभी वादे महज एक जुमला ही थे | आज हमारे राज्य में बेरोजगारी चरम पर है क्योंकि यह सरकार युवाओं को रोजगार देना ही नहीं चाहती | ये सरकार बेरोजगार युवाओं की एक फोज खड़ी करना चाहती ताकि पूँजीपतिओ को सस्ते दामों पर मजदूर मिल सके | आये दिन भर्ती परीक्षाओ में हो रही देरी सरकार के इस मनसूबे और साफ कर देती है | आगे वह बताते है कि युवा सरकार के इस रवैये का जवाब आने वाले समय में स्वयं देगा | साथ ही भारत की जनवादी नौजवान सभा बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर आन्दोलनरत है और प्रति माह 10,000 रूपए बेरोजगार भत्ते की मांग करती है |  

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रिय प्रवक्ता राजीव राय कहते है कि प्रदेश में कोई ऐसा सेक्टर और विभाग नहीं है जहाँ पर रोजगार बढ़ा हो, राज्य सरकार के सभी विभागों में पद रिक्त पड़े हुए है जिनको भरने में सरकार का कोई ध्यान नहीं हैं। प्रदेश में अभी कोरोना काल में सबसे ज्यादा जरूरत है कि लाइफ सेविंग सेक्टर में नए पद स्वीकृत हो परन्तु इस सेक्टर में बड़ी संख्या में पद रिक्त पड़े हुए है, जिसके कारण आज अस्पतालों में जनता बेहाल है, भाजपा के इस कार्यकाल में युवा सरकारी नौकरी के लिए वर्षों तैयारी करते हैं, उम्मीद से परीक्षा देते हैं कि जल्द नियुक्ति होगी, पर होता क्या है वह कोर्ट में लंबित हो जाती है। जहाँ योगी सरकार को 70 लाख रोजगार देने थे पर उन्होंने तो बेरोजगारों कि फ़ौज खड़ी कर दी है। प्रदेश में रोजगार की भारी किल्लत है। ये लोगों के जीवनस्तर को तहस-नहस कर रही है। परिवारों को गरीबी की ओर धकेल रही है और यहां तक कि उन्हें भुखमरी के कगार पर ला कर छोड़ दे रही है। बढ़ती बेरोजगारी से भारी तनाव पैदा हो रहा है और राज्य के विकास में जिस युवा आबादी का लाभ मिलने की बात कही जाती है वह घटता जा रहा है। 

राष्ट्रीय लोकदल के महासचिव त्रिलोक त्यागी कहते है कि कोविड के चलते जहां पूरी दुनिया में त्राहिमाम की स्थिति पैदा हो गयी थी, जिससे उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं था, बल्कि प्रदेश की जनता कोरोना काल से लेकर अभी तक भारी वित्तीय समस्याओं का सामना कर रही है। अभी भी प्रदेश की बड़ी जनसंख्या के सामने रोजीरोटी की गंभीर समस्या है जहां बेरोजगारी चरम पर है वहीं सरकार हालात सुधारने की कोशिश करने के बजाय लोगों का ध्यान भटकाने की जुगत में लगी है, साथ ही उन्होंने कहा क़ि यह सरकार केवल इवेंट मैनेजमेंट, मिडिया मैनेजमेंट में व्यस्त है और जनता को बस आंकड़ों के जाल से उलझा कर रखती है, इस सरकार के कार्यकाल में प्रदेश के युवाओं को रोजगार मिलना सम्भव नहीं है, सरकार ना तो रिक्त पड़े पदों पर नई नियुक्तियां कर रही है और ना नहीं जो भर्तियां कोर्ट में लंबित है उनके लिए कोई कारगार कदम उठा रही है जिसके कारण बेरोजगारी चिंता का विषय बना हुआ है। आर्थिक तंगी और बेरोजगारी के चलते आये दिन युवााओं ने आत्महत्या तक की है। 

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