हाथरस कांड: सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से गवाहों के संरक्षण के लिये किये गये उपायों का विवरण मांगा
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने हाथरस की घटना को ‘लोमहर्षक’ बताते हुये मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह दलित लड़की से कथित बलात्कार और बाद में उसकी मौत हो जाने के मामले में गवाहों के संरक्षण के लिये उठाये गये कदमों के बारे में आठ अक्टूबर तक जानकारी दे।
शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह इस बारे में बृहस्पतिवार तक हलफनामा दाखिल करे। न्यायालय ने यह भी जानना चाहा कि पीड़ित परिवार ने किसी वकील का चुनाव किया है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबड़े, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस घटना को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह निर्देश दिया। पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से सुनवाई करते हुये कहा कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि इसकी जांच सुचारू ढंग से हो।
हालांकि, सुनवाई के दौरान ही उत्तर प्रदेश सरकार ने सारे मामले को सीबीआई को सौंपने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि राजनीतिक मकसद की खातिर इस मामले के बारे में फर्जी बातें फैलाई जा रही हैं।
पीठ ने इस मामले में पेश सभी पक्षों से कहा कि वे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में लंबित कार्यवाही के दायरे और शीर्ष अदालत इसे कैसे ज्यादा प्रासंगिक बना सकती है, इस बारे में सुझाव दें।
प्रदेश सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा, ‘‘ हाथरस मामले में एक के बाद एक कहानियां फैलाई जा रही हैं। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा कि इस मामले की सीबीआई जांच यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी निहित स्वार्थों के वास्ते अपने मकसदों के लिये फर्जी कहानियां नहीं बना सकेगा। उन्होंने कहा कि इस मामले में सीबीआई की जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में करायी जा सकती है।
मेहता ने कहा, ‘‘इस घटना में एक युवती की जान चली गयी है और किसी को भी इसे सनसनीखेज नहीं बनाना चाहिए। इसकी जांच स्वतंत्र होनी चाहिए और स्वतंत्र लगनी भी चाहिए।’’
इस मामले में चुनिन्दा हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह ने न्यायालय से अनुरोध किया कि पीड़त परिवार को संरक्षण प्रदान किया जाये।
जयसिंह ने कहा कि परिवार का कहना है कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने जाने से वह संतुष्ट नहीं है। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल को इस मामले की जांच करनी चाहिए।
इस मौके पर पीठ ने इन्दिरा जयसिंह से सवाल किया कि इस मामले में आप किस अधिकार से हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘इस मामले में तो आपका कोई अधिकार नहीं है। लेकिन, हम आपको सुन रहे हैं क्योंकि यह मामला बहुत ही महत्वपूर्ण है। हम आपको सुन रहे हैं क्योंकि यह बहुत ही हतप्रभ करने वाली घटना है। इसके बावजूद इस मामले में हम आपकी स्थिति के बारे में सोच रहे हैं।’’
कुछ महिला वकीलों की ओर से अधिवक्ता कीर्ति सिंह ने कहा कि इस मामले की जांच शीर्ष अदालत की देख-रेख में होनी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि यह एक ‘लोमहर्षक’ घटना है लेकिन वह नहीं चाहती कि न्यायालय में एक ही बात बार-बार दोहरायी जाये।
पीठ ने कहा, ‘‘यह लोमहर्षक घटना है लेकिन सवाल यह है कि हम एक ही जैसी कितनी दलीलें सुने? कृपया यह समझिये कि न्यायालय में अपने सरोकार को दोहराने की जरूरत नहीं है।’’
पीठ ने कहा, ‘‘न्यायालय के लिये प्रत्येक पक्ष से एक ही दलील बार-बार सुनना जरूरी नहीं है। यह इस घटना पर टिप्पणी नहीं है, लेकिन कृपया हमारे दृष्टिकोण को भी समझिये।’’
इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दलित महिला से कथित सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में सीबीआई जांच का अनुरोध किया।
राज्य सरकार ने न्यायालय में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि इस मामले की किसी स्वतंत्र केन्द्रीय एजेन्सी से जांच करायी जाये।
हलफनामे में कहा गया है कि राज्य सरकार पहले ही केन्द्र से अनुरोध कर चुकी है कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी जाये क्योंकि इससे कतिपय निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच में डाले जा रहे व्यवधानों से बचा जा सकेगा।
राज्य सरकार ने इस मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो से जांच कराने की सिफारिश की है और एफएसएल की रिपोर्ट का जिक्र करते हुये बलात्कार के आरोप से इंकार किया है।
हाथरस के एक गांव में 14 सितंबर को 19 वर्षीय दलित लड़की से अगड़ी जाति के चार लड़कों ने कथित रूप से बलात्कार किया था। इस लड़की की 29 सितंबर को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी थी।
पीड़ित की 30 सितंबर को रात के अंधेरे में उसके घर के पास ही अंत्येष्टि कर दी गयी थी। उसके परिवार का आरोप है कि स्थानीय पुलिस ने जल्द से जल्द उसका अंतिम संस्कार करने के लिये मजबूर किया। स्थानीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिवार की इच्छा के मुताबिक ही अंतिम संस्कार किया गया।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने अमित मालवीय, दिग्विजय सिंह व स्वरा भास्कर को भेजा नोटिस
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय महिला आयोग ने हाथरस मामले में पीड़िता की पहचान सोशल मीडिया पर कथित रूप से उजागर करने के लिए भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और अभिनेत्री स्वरा भास्कर से स्पष्टीकरण मांगा है।
आयोग ने उनसे पहचान उजागर करने संबंधी पोस्ट तत्काल हटाने और भविष्य में ऐसे पोस्ट साझा करने से बचने को भी कहा है।
आयोग ने मंगलवार को ट्वीट किया कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने अमित मालवीय, दिग्विजय सिंह और स्वरा भास्कर को हाथरस की पीड़िता की पहचान उजागर करने से संबंधित उनके ट्विटर पोस्ट पर नोटिस देकर स्पष्टीकरण मांगा है और फौरन ये पोस्ट हटाने का निर्देश दिया है। साथ ही भविष्य में ऐसे पोस्ट साझा करने से बचने को कहा है।
भास्कर, मालवीय और सिंह को भेजे अलग-अलग नोटिस में आयोग ने कहा है कि उसके संज्ञान में आया है कि ऐसे कई ट्विटर पोस्ट हैं जिनमें कथित सामूहिक बलात्कार पीड़िता की तस्वीर का इस्तेमाल किया गया है।
आयोग ने नोटिस में कहा, "आपको इस नोटिस की प्राप्ति पर आयोग को संतोषजनक स्पष्टीकरण देना है और सोशल मीडिया पर ऐसी तस्वीरों / वीडियो को हटाना है तथा इनके प्रसारण से बचना चाहिए, क्योंकि उन्हें आपके फॉलोअर्स व्यापक तौर पर प्रसारित करते हैं, जिसकी मौजूदा कानून में मनाही है।"
मूक बधिर लड़की से दुष्कर्म, आरोपी गिरफ़्तार
गोरखपुर (उप्र): जिले के चौरीचौरा थाना क्षेत्र में एक गांव में युवक ने मूक बधिर लड़की से कथित तौर पर दुष्कर्म किया। पुलिस ने यह जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार सोमवार दोपहर को लड़की सो रही थी जब आरोपी पिंटू प्रसाद (25) लड़की के घर में घुस आया। पुलिस ने बताया कि उसने लड़की के मुंह पर कपड़ा ढंककर उससे दुष्कर्म किया।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि उस समय लड़की की भाभी नहा रही थी । शोर सुनकर वह बाहर आयी, लेकिन पिंटू उन्हें धक्का देकर भाग निकला। शाम करीब छह बजे जब घर वाले आये तो उन्होंने पुलिस को घटना की सूचना दी।
पुलिस इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार त्रिपाठी ने बताया कि लड़की की चिकित्सकीय जांच कराई गई है और उसकी मां की लिखित शिकायत पर पिंटू के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कर लिया ।
त्रिपाठी ने बताया कि आरोपी पर दबाव बनाने के लिये उसके पिता को पुलिस ने सोमवार को ही हिरासत में ले लिया था। बाद में मंगलवार सुबह आरोपी पिंटू को गिरफ्तार कर लिया और उसे जेल भेज दिया गया ।
दलित किशोरी के साथ दुष्कर्म का आरोपी गिरफ़्तार
प्रतापगढ़ (उप्र): प्रतापगढ़ जिले के कंधई क्षेत्र में एक दलित किशोरी के साथ दुष्कर्म के एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
पुलिस सूत्रों ने मंगलवार को बताया कि गत रविवार की रात कंधई थाना क्षेत्र के एक गांव में 17 वर्षीय एक किशोरी घर में अकेली सो रही थी। उस वक्त उसकी मां अपने किसी रिश्तेदार के घर गई थी।
आरोप है कि रात में ही लड़की का पड़ोसी चन्द्रकेश वर्मा छत के रास्ते उसके घर में घुस गया और मुंह दबाकर उसके साथ दुष्कर्म किया। किशोरी के शोर मचाने पर वह मौके से भागने लगा तो लोगों ने उसे पकड़ लिया। सोमवार की सुबह रिश्तेदारी से लौटी उसकी माँ पीड़िता को लेकर थाना पहुंची।
किशोरी की तहरीर पर आरोपी चन्द्रकेश वर्मा के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
कन्नौज में पिता ने ही बेटी के साथ किया दुष्कर्म!
कन्नौज(उप्र): जिले के सदर कोतवाली क्षेत्र में पिता द्वारा शराब के नशे में अपनी ही बेटी के साथ कथित रूप से दुष्कर्म करने का शर्मनाक मामला सामने आया है।
बुआ के साथ सदर कोतवाली पहुंची पीड़िता ने अपने पिता के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई, पुलिस ने आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि सदर कोतवाली के कुसुमखोर चांदापुर क्षेत्र के एक गांव में रहने वाली 14 वर्षीय किशोरी ने अपने पिता के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत दर्ज कराई है।
उन्होंने बताया कि बेटी का आरोप है कि सोमवार की रात वह अपने कमरे में लेटी थी, तभी शराब के नशे में उसके पिता कमरे में पहुंचे और उसके साथ दुष्कर्म किया।
चीख पुकार सुनकर जब ग्रामीण मौके पर पहुंचे तो पिता फरार हो गया। पीड़िता ने अपनी बुआ के साथ कोतवाली पहुंच कर प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने बाद में आरोपी पिता को गिरफ्तार कर लिया है। पीड़िता को मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा गया है।
अपर पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार ने बताया कि किशोरी ने पिता के खिलाफ दुष्कर्म का आरोप लगाया है और प्राथमिकी दर्ज कराई है, आरोपी पिता को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है।
रीवा में विधवा महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के पांच आरोपितों में से चार गिरफ़्तार
रीवा: मध्यप्रदेश के रीवा में 35 वर्षीय विधवा महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के आरोप में पुलिस ने पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है जबकि पांचवा आरोपी फरार है। पुलिस फरार आरोपी की तलाश कर रही है।
रीवा के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) शिव कुमार वर्मा ने मंगलवार को बताया कि सामूहिक बलात्कार की यह घटना 30 सितंबर की है। पीड़ित महिला अपने घर से किसी काम के लिये निकली थी, जहां कुछ लोगों ने उसे पकड़ लिया और उसके साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया।
उन्होंने बताया कि मारपीट और दुष्कर्म की वजह से महिला बेहोश हो गयी इसके बाद आरोपी उसे वहीं छोड़कर फरार हो गये।
उन्होंने बताया कि घटना के बाद महिला घर नहीं लौटी तो उसके परिवार वालों ने उसकी तलाश शुरू की और एक अक्टूबर को शाहपुरा इलाके में पंचायत भवन के पास महिला अचेत अवस्था में मिली। उसके शरीर पर चोट के कई निशान थे। पीड़िता को सरकारी संजय गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां वर्तमान में उसका उपचार चल रहा है।
उन्होंने बताया कि पीड़िता के परिवार वालों ने चार अक्टूबर को महिला पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पीड़िता को पांच अक्टूबर को होश आया और उसके बयान के आधार पर पुलिस ने चार आरोपियों मयंक मिश्रा, अरुण सिंह, सतेन्द्र, सुरेंद्र मिश्रा और मुन्ना कोल को गिरफ्तार किया है।
वर्मा ने बताया कि आरोपितों में दो नहर जल रख रखाव समिति के अध्यक्ष भी हैं। मामले में पांचवा आरोपी फिलहाल फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
एएसपी ने बताया कि महिला की मेडिकल जांच कराई जायेगी। आरोपियों के खिलाफ भादंवि की संबद्ध धाराओं में मामला दर्ज कर आगे जांच की जा रही है।
घटना के विरोध में स्थानीय कांग्रेस नेता कविता पांडे के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और पीड़ित महिला से मुलाकात भी की। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आरोपितों की खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
थानागाजी सामूहिक दुष्कर्म मामले में चार दोषियों को आजीवन कारावास
जयपुर: राजस्थान के अलवर की अनुसूचित जाति जनजाति मामलों की विशेष अदालत ने थानागाजी में एक विवाहिता के साथ सामूहिक दुष्कर्म मामले में चार आरोपियों को दोषी मानते हुए मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने इस घटना की वीडियो क्लिप बनाकर उसे वायरल करने वाले पांचवें आरोपी को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है।
अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपी हंसराज गुर्जर, अशोक गुर्जर, छोटेलाल गुर्जर और इंद्रराज गुर्जर को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी के तहत सामूहिक दुष्कर्म का दोषी मानते हुए सश्रम आजीवन कारावास की सजा दी है।
लोक अभियोजक कुलदीप जैन ने बताया कि सभी अभियुक्तों को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (डी) के अलावा 147,341, 323,342,354,354 (बी), 506, 509, 386, 395 365, 327 और अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और सूचना एवं प्रौद्यागिकी (आईटी) की धाराओं के तहत सजा दी गई है।
उन्होंने बताया कि पीडिता के साथ बार बार दुष्कर्म करने के आरोपी हंसराज को भारतीय दंड संहिता की एक और धारा 376-2 एन के तहत दोषी पाया गया है।
जैन ने बताया कि अदालत ने चारों आरोपियों को प्राकृतिक मृत्यु तक कठोर कारावास की सजा सुनाई है।
उल्लेखनीय है कि चार आरोपियों ने विवाहिता के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और घटना की वीडियो बनाई और उससे धन की मांग की।
इस मामले में शामिल पांचवे अभियुक्त मुकेश गुर्जर को घटना की वीडियो क्लिप बनाने और उसे वायरल करने के आरोप में सूचना एवं प्रोद्योगिकी अधिनियम के तहत अधिकतम पांच वर्ष की सजा दी गई है।
उन्होंने बताया कि एक और नाबालिग अभियुक्त की एक अन्य अदालत में सुनवाई जारी है।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने फैसले का स्वागत करते हुए कहा, ‘‘यह एक मिसाल है कि कैसे त्वरित जांच से न्याय कम समय में दिया जा सकता है।’’
उन्होंने ट्वीट के जरिये कहा राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि हर अपराध में दोषी को दंड मिले और सभी मामलों को निष्पक्ष, गहन और त्वरित सुनवाई हो।
उन्होंने कहा, ‘‘इस मामले में सभी जांच अधिकारी, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी प्रशंसा के पात्र हैं।’’
राजस्थान के पुलिस महानिदेशक भूपेन्द्र सिंह यादव ने फैसले पर संतोष जताते हुए कहा कि हमें उम्मीद है कि इस फैसले से पीड़िता और उसके परिजनों को न्याय मिला है और अन्य लोगो को भी इस फैसले से संबल मिलेगा।
जयपुर के पुलिस महानिरीक्षक एस सैंगाथीर ने अलवर में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘इस तरह के किसी भी गंभीर मामले में चालान करने के बाद प्रभावी ढंग से पैरवी करेंगे, कोशिश करेंगे कि अभियोजन दर ज्यादा ज्यादा होने के साथ अधिकतम सजा हो।’’
उन्होंने कहा कि थानागाजी मामले को एक आदर्श मुकदमा माना जा सकता है। 100 प्रतिशत सजा हुई और अधिकतम सजा दी गई और इससे अच्छा संदेश भी है और आरोपियों के लिये एक कड़ा संदेश है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि मई 2019 में जो एक दलित महिला के साथ सामुहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। हमारे पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अलवर गये थे और उस घटना के बाद सरकार ने तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार किया और समय पर चालान किया और आज फैसला आया है कि उन सब लोगो को सजा हुई है।
उन्होंने कहा कि उस वक्त भी भाजपा के लोगो ने बहुत बवाल मचाया था, हमारा यह कहना है कि घटना कोई घट सकती है लेकिन सरकार का उत्तरदायित्व और फर्ज है वह उस घटना पर तत्काल संज्ञान लेकर दोषियों को गिरफ्तार करे और अदालत से सजा दिलवाए।
उल्लेखनीय है कि अलवर के थानागाजी बाईपास पर पिछले साल 26 अप्रैल को एक विवाहिता के साथ उसके पति के सामने सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई थी। अदालत ने विभिन्न धाराओं के तहत दोषियों को आर्थिक दंड की सजा भी दी है जिससे प्राप्त राशि पीड़िता को दिया जायेगा।
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