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CAA की वैधता पर सुप्रीम कोर्ट में 18 को सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट नागरिकता (संशोधन) कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कांग्रेस और त्रिपुरा के पूर्व महाराज की याचिकाओं पर वह 18 दिसम्बर को सुनवाई करेगा।
Protest against CAA
Image courtesy: Bilkul Online

दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली कांग्रेस और त्रिपुरा के पूर्व महाराज की याचिकाओं पर वह 18 दिसम्बर को सुनवाई करेगा।

प्रधान न्यायाधीश एस. ए. बोबडे ने कहा कि वह अन्य लंबित याचिकाओं के साथ इन याचिकाओं पर 18 दिसम्बर को सुनवाई करेगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दोनों याचिकाओं को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने की अपील करते हुए कहा कि इन पर इस संबंध में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) द्वारा दायर याचिका के साथ ही सुनवाई की जाए, जिसपर बुधवार को सुनवाई होनी है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी नागरिकता संशोधन कानून को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है और उनकी याचिका पर बुधवार को सुनवाई होगी।

जयराम ने अपनी निजी क्षमता में इस नये कानून को चुनौती दी है। उन्होंने 13 दिसंबर को यह याचिका दायर की थी।

उन्होंने ट्वीट किया, “जल्दबाजी में लाए गए नागरिकता संशोधन कानून के कारण पैदा हुई अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थिति को देखते हुए, मैंने अपने मामले पर तत्काल सुनवाई के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय का रुख किया।’’

जयराम ने कहा, “माननीय न्यायाधीशों ने इस मामले में मेरी याचिका पर सुनवाई बुधवार को यानी परसो करने की सहमति जताई है।”

सीपीएम भी जाएगी उच्चतम न्यायालय

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) भी संशोधित नागरिकता क़ानून की वैधानिकता को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगी।

सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने सोमवार को बताया कि पार्टी इस क़ानून को शीर्ष अदालत में चुनौती देगी। उन्होंने कहा कि पार्टी ने इस बाबत याचिका तैयार कर ली है,इसे आज या कल दायर कर दिया जाएगा।

उन्होंने सीएए को चुनौती देने की वजह बताते हुए कहा कि ये क़ानून संविधान के विरुद्ध है और इसके परिणाम देश को तोड़ने वाले साबित होंगे। येचुरी ने भाजपा पर इस क़ानून के माध्यम से देश का सामाजिक सौहार्द ख़राब करने का आरोप लगाते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदर्शनकारियों की वेशभूषा देखकर इनकी पहचान करने का निंदनीय बयान दिया है। इससे सत्तारूढ़ दल और सरकर की मंशा का साफ़ तौर पर पता चलता है। यह बयान पीएम के पद की गरिमा के विरुद्ध है।”

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