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हिमाचल प्रदेश: टनल हादसा, चार मज़दूरों की मौत का ज़िम्मेदार कौन?

मज़दूर नेताओ का कहना है इस तरह की घटनाएं सुरक्षा के आभाव में हो रही हैं और कंपनियां और उसके ठेकेदार अपने मुनाफ़े के लिए कामगारों की बलि चढाते रहते हैं और प्रशासन भी आँखें मूंदे रहता है।  
हिमाचल प्रदेश: टनल हादसा, चार मज़दूरों की मौत का ज़िम्मेदार कौन?
Image courtesy : The Tribune India

हिमाचल प्रदेश में एकबार फिर टनल निर्माण दौरन में काम करने वाले चार मज़दूरों की जान चली गई है। यह हिमाचल के जिला कुल्लू की गड़सा घाटी स्थित मनिहार नामक जगह के पास पंचानाला में बन रही एनएचपीसी चरण-दो की डायवर्जन टनल धंसने से से हुआ। इस हादसे में एक कामगार घायल भी हो गया था, जबकि एक अन्य को सुरक्षित बचा लिया गया। इस घटना के बाद प्रशासन हरकत में आया और उसने तत्काल घटनास्थल का दौर किया परन्तु सवाल यही उठता है की वहां सुरक्षा के पुख़्ता इंतेज़ाम क्यों नहीं थे क्योंकि इससे पहले भी कई मज़दूरों की दर्दनाक मौत हो चुकी है। लेकिन हर बार सरकार जाँच का दावा करती है लेकिन कुछ होता नहीं दिखता है।  

मज़दूर नेताओ का कहना है इस तरह की घटनाएं सुरक्षा के आभाव में हो रही हैं और कंपनियां और उसके ठेकेदार अपने मुनाफ़े के लिए कामगारों की बलि चढाते रहते हैं और प्रशासन भी आँखें मूंदे रहता है।  

स्थानीय अखबारों के मुताबिक घटना के बाद इसके रेस्क्यू का काम लगभग करीब डेढ़ से दो घंटे चला जिसके बाद मलबे में दबे चार लोगों के शव निकाले गए। एनएचपीसी की इस टनल का काम एक ठेकेदार कर रहा है। जानकारी के अनुसार 21 मई शुक्रवार शाम करीब छह बजे के आसपास एनएचपीसी चरण-दो की 32 किलोमीटर लंबी मुख्य टनल के साथ बन रही डायवर्जन टनल (सब टनल) में काम चल रहा था। छह लोग शिफ्ट में काम कर रहे थे। इस दौरान अचानक टनल धंसने से यहां काम कर रहे छह कामगार मलबे में दब गए।

हादसे में घायल 20 वर्षीय रामचंद्र नेपाल के रहने वाले हैं। जिन्हें उपचार के लिए कुल्लू अस्पताल ले जाया गया था। जहाँ उनका इलाज़ चल रहा है।  पुलिस अधीक्षक कुल्लू गौरव सिंह ने मीडिया को दी जानकारी के मुताबिक़ पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। मृतकों की पहचान 28 वर्षीय अमर निवासी पालगी गड़सा (कुल्लू), 28 वर्षीय कुलदीप कुमार निवासी बल्दवाबोहल (सिरमौर), 36 वर्षीय बबलू (36) निवासी नेपाल और 42 वर्षीय नवीन निवासी दार्जिलिंग के तौर पर हुई है।  

मज़दूर संगठन सीटू राज्य कमेटी हिमाचल प्रदेश ने कुल्लू के पंचानाला में एनएचपीसी की टनल धंसने से चार कामगारों की मौत पर गहरा दुख व्यक्त किया है। राज्य कमेटी ने गैर जिम्मेवारी पूर्वक तरीके से कार्य करने वाले हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व ठेकेदार पर हत्या का मुकदमा दर्ज़ करने की मांग की है। राज्य कमेटी ने मृतकों के परिवार को पच्चीस लाख रुपये प्रति मजदूर देने की मांग की है। राज्य कमेटी ने मृतक मजदूरों के हर परिवार से एक व्यक्ति को एनएचपीसी में रोज़गार देने की मांग की है।

एनएचपीसी लिमिटेड केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के स्वामित्व वाला भारत सरकार का जलविद्युत बोर्ड (hydropower board ) है।

एनएचपीसी की इस परियोजना में करीब 32 किलोमीटर लंबी मुख्य टनल में अभी तक दर्जनों मजदूरों की मौत हो चुकी है। कई बार हुए हादसों में टनल निर्माण में लगे मजदूर जान गंवा चुके हैं। पारली पंचायत के प्रधान राज मल्होत्रा ने अमर उजाला को बताया कि कुछ साल पूर्व शिलागढ़ के आसपास बादल फटने से दर्जनों कामगारों की मौत हुई थी।  

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि टनल धंसने से मारे गए चार मजदूरों की मौत के लिए जिम्मेवार अधिकारियों व ठेकेदार पर हत्या का मुकदमा दर्ज होना चाहिए। यह बेहद दुख की बात है कि वर्तमान में आधुनिक तकनीक होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश की निर्माणाधीन बिजली परियोजनाओं में मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ रही है।

विजेंद्र ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि इस घटनाक्रम की उच्च स्तरीय जांच की जाए व दोषियों को कड़ी सजा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसे घटनाक्रमों की पुनरावृत्ति न हो। उन्होंने सरकार से मजदूरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भी मांग की है। उन्होंने हैरानी व्यक्त की है कि एनएचपीसी जैसी बड़ी कम्पनियों के तत्वधान में हो रहे निर्माण कार्यों में भी ऐसे दर्दनाक हादसे हो रहे हैं।

उन्होंने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि "यह सब मुनाफाखोरी को बढ़ाने के लिए मजदूरों की सुरक्षा के साथ सीधा खिलवाड़ है। ठेकेदार अपनी मुनाफाखोरी बढ़ाने के लिए निर्धारित मानकों के साथ निर्माण कार्यों को अमलीजामा नहीं पहनाते हैं। विभाग के अधिकारी भी ठेकेदारों से मिलीभगत करके मजदूरों की सुरक्षा की ओर कोई ध्यान नहीं देते हैं। इस तरह मजदूरों का शोषण भारी पैमाने पर जारी है। जब इस तरह के हादसे होते हैं तो सरकार,प्रशासन,अधिकारी व ठेकेदार मिलकर ऐसे मामलों को रफा दफा करके पूरे मामले को ही दबा देते हैं। मजदूरों के परिवारों को कभी भी न्याय नहीं मिल पाता है।"

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