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हिमाचल: सेब के उचित दाम न मिलने से गुस्साए किसानों का प्रदेशव्यापी विरोध प्रदर्शन

संयुक्त किसान मंच ने सरकार को चेताया है कि अगर आगामी 15 दिनों के भीतर सरकार बागवानों और किसानों के साथ मिलकर उनकी मांगों पर अमल नहीं करती है तो संयुक्त किसान मंच, अन्य संगठनों के साथ मिलकर 27 सितंबर को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेगा।
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सेब की खेती से हिमाचल को पहचान दिलाने वाले किसान आजकल काफ़ी निराश हैं। अब ये निराशा गुस्से में बदली तो वहां के किसानों ने सरकार के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया है। मंडियों में मनमानी, अपने उत्पाद का सही दाम न मिलने और सेब के दाम गिरने से परेशान किसानों ने 13 सिंतबर सोमवार को प्रदेश भर में प्रदर्शन किए। ये प्रदर्शन हिमाचल किसान सभा के नेतृत्व में बनी 25 किसान यूनियनों के संयुक्त मंच संयुक्त किसान मंच के बैनर तले किया गया।

सोमवार को शिमला, कुल्लू, किन्नौर, मंडी, सोलन, सिरमौर और अन्य जिलों में मंडल, ब्लॉक और उपमंडल स्तर पर जय राम सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया गया। इस दौरान प्रदेश सरकार को 13 सूत्रीय मांगपत्र भी भेजा गया। इसमें सेब को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की मांग प्रमुखता से उठाई गई है। इस प्रदर्शन में किसान नेता और माकपा विधायक राकेश सिंघा ने भी भाग लिया।

किसानों का कहना है कि मंडियों में हो रही मनमानी पर सरकार चुप्पी साधे हुए है और 2005 में किसानों को हक़ दिलाने वाले हिमाचल प्रदेश कृषि और बागवानी उत्पाद मार्केटिंग (विकास व नियमन) एक्ट (एपीएमसी) भी आज तक लागू नहीं हुआ है। सरकार भी अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है। इस बार किसान बिचौलियों के बढ़ते प्रभाव से वो और मुश्किल में हैं। अब किसानों ने अपने हक़ के लिए आरपार की लड़ाई लड़ने की ठानी है।

हिमाचल प्रदेश के लिए सेब सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। सेब की बागबानी में राज्य के लगभग 44 लाख परिवार जुड़े हुए हैं, जो कि एक बहुत ही बड़ा आंकड़ा है। राज्य के कुल क्षेत्रफल का लगभग 49 प्रतिशत हिस्से में इसकी फसल होती है, जो कुल फल उत्पादन का लगभग 85 प्रतिशत है।

किसान सभा के अध्यक्ष व मंच के सदस्य कुलदीप सिंह ने कहा कि बीते 30 अगस्त को शिमला के कालीबाड़ी हॉल में मंच ने सरकार से मांग की थी कि सेब सीजन के दौरान पेश आ रही समस्याओं को लेकर बागवानों के साथ 10 दिन के भीतर बैठक बुलाई जाए। वहीं, सरकार को चेतावनी भी दी गयी थी कि समस्याएं हल न होने की स्थिति में उपमंडल स्तर पर प्रदर्शन किया जाएगा। लेकिन, सरकार ने समस्याओं का हल तो दूर वार्ता के लिए भी नहीं बुलाया. ऐसे में विभिन्न जिलों के उपमंडलों में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किए गए हैं.

उन्होंने कहा कि बागवान सेब के धड़ल्ले से गिर रहे दाम को लेकर बेहद परेशान है. किसानों को उनकी फसल का लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है. ऐसे में बागवान लगातार मांग कर रहे हैं कि कश्मीर की तर्ज पर मंडी मध्यस्थता योजना के तहत ए, बी, सी ग्रेड का सेब 60, 44 और 24 रुपये प्रति किलो खरीदा जाए और केरल की तर्ज पर विभिन्न फलों और फसलों पर किसानों और बागवानों को फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सुनिश्चित किया जाए।

हिमाचल में ज्यादातर किसान घाटे का सामना कर रहे हैं। सेब किसानों के साथ टमाटर, आलू, लहसुन, फूल-गोभी और अन्य फसलें उगाने वाले किसान भी आंदोलन में शामिल हैं, जो सभी फसलों के लिए एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश कृषि और बागवानी उत्पाद मार्केटिंग (विकास व नियमन) एक्ट 2005 के तहत सेब कारोबारियों को सेब किसानों को उनकी फसल का दाम उसी दिन देना होता है, परन्तु हिमाचल में 15 दिनों में दाम देना आम बात है, लेकिन अभी कई बागवानों की शिकायत है कि उन्हें साल भर से भी ज्यादा समय होने के बादजूद भुगतान नहीं मिला है। साथ ही अवैध तौर पर सेब के पेटी पर की गई वसूली को लौटाने से मना कर दिया गया।

एक और तथ्य, कमीशन एजेंट्स को सामान की अनलोडिंग के प्रति बॉक्स 5 रुपये लेने की अनुमति है, जबकि कमीशन एजेंट्स इसका 6 गुना यानी 30 रुपये प्रति बॉक्स ले रहे हैं। किसानों का कहना है कि कमीशन एजेंट्स इस अतिरिक्त वसूली को किसानों को तुरंत वापस करें, एपीएमसी नियमों के पालन को सुनिश्चित करें, जिसे कमीशन एजेंट्स दरकिनार कर रहे हैं। इसमें प्रदेश की सरकार की भी जिम्मेदारी है जिसने शोषण करने वालों को पूरी आजादी दे रखी है।

किसानों की 13 सूत्रीय मांग कुछ इस तरह है:-

1. सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) तय कर इसे कानूनी रूप से लागू किया जाए।

2. हिमाचल प्रदेश में भी कश्मीर की तर्ज पर मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) पूर्ण रूप से लागू की जाए तथा सेब के लिए मंडी मध्यस्थता योजना (MIS) के तहत A, B व C ग्रेड के सेब की क्रमशः 60 रुपये, 44 रुपये व 24 रुपये प्रति किलो समर्थन मूल्य पर खरीद की जाये।

3. प्रदेश की विपणन मंडियों में एपीएमसी कानून को सख्ती से लागू किया जाए। मंडियों में खुली बोली लगाई जाए व किसान से गैर कानूनी रूप से की जा रही मनमानी वसूली जिसमें मनमाने लेबर चार्ज, छूट, बैंक डीडी व अन्य चार्जों को तुरन्त समाप्त किया जाए व किसानों से प्रदेश में विभिन्न बैरियरों पर ली जा रही मार्किट फीस वसूली पर तुरन्त रोक लगाई जाए। जिन किसानों से इस प्रकार की गैर कानूनी वसूली की गई है उन्हें इसे वापस किया जाए।

4. किसानों के आढ़तियों व खरीददारो के पास बकाया पैसों का भुगतान तुरन्त करवाया जाए तथा मंडियों में एपीएमसी कानून के प्रावधानों के तहत किसानों को जिस दिन उनका उत्पाद बिके उसी दिन उनका भुगतान सुनिश्चित किया जाए। जिन खरीददार व आढ़तियों ने बकाया भुगतान नहीं किया है उनके विरुद्ध कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए।

5. अदानी व अन्य कंपनियों के कोल्ड स्टोर में इसके निर्माण के समय की शर्तों के अनुसार बागवानो को 25 प्रतिशत सेब रखने के प्रावधान को तुरंत सख्ती से लागू किया जाए।

6. किसान सहकारी समितियों को स्थानीय स्तर पर कोल्ड स्टोर बनाने के लिए 90 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाए।

7. सेब व अन्य फलों, फूलों व सब्जियों की पैकेजिंग में इस्तेमाल किये जा रहे कार्टन व ट्रे की कीमतों में की गई भारी वृद्धि वापस की जाए।

8. प्रदेश में भारी ओलावृष्टि व वर्षा, असामयिक बर्फबारी, सूखा व अन्य प्राकृतिक आपदाओं से किसानों व बागवानों को हुए नुकसान का सरकार मुआवजा प्रदान करे।

9. बढ़ती महंगाई पर रोक लगाई जाए तथा मालभाड़े में की गई वृद्धि वापस ली जाए। 

10. प्रदेश की सभी मंडियों में सेब व अन्य सभी फसलें वजन के हिसाब से बेची जाएं।

11. HPMC व Himfed द्वारा गत वर्षों में लिए गए सेब का भुगतान तुरन्त किया जाए।

12. खाद, बीज, कीटनाशक, फफूंदीनाशक व अन्य लागत वस्तुओं पर दी जा रही सब्सिडी को पुनः बहाल किया जाए और सरकार कृषि व बागवानी विभागों के माध्यम से किसानों को उचित गुणवत्ता वाली लागत वस्तुएं सस्ती दरों पर उपलब्ध करवाए।

13. कृषि व बागवानी के लिये प्रयोग में आने वाले उपकरणों स्प्रेयर, टिलर, एन्टी हेल नेट आदि की बकाया सब्सिडी तुरन्त प्रदान की जाए।

आपको बता दें हिमाचल का सेब और सेब किसान उस वक्त चर्चा में आया था ,जब एक बड़ी कॉर्पोरेट कंपनी ने पहले दौर की खरीद के लिए 24 अगस्त को अपने रेट जारी किए। जिसमे सेब के दामों में भारी गिरावट की गई थी। सुप्रीम दर्जे के दामों में पिछले साल की तुलना में 16 रूपए की गिरावट की गई थी, इसी तरह बाकी सेब की कीमतों में भी गिरावट की गई थी। जबकि किसानों का कहना है कि इस दौरान उनकी उत्पादन लागत बढ़ी है क्योंकि कीटनशक से लेकर डीजल पैट्रोल सभी के दामों में भारी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में कीमतें बढ़नी चाहिए थी जबकि रेट गिराए जा रहे हैं। इसके बाद से ही सेब किसान विरोध कर रहे है।

संयुक्त किसान मंच ने सरकार को चेताया है कि अगर आगामी 15 दिनों के भीतर सरकार बागवानों और किसानों के साथ मिलकर उनकी मांगों पर अमल नहीं करती है तो संयुक्त किसान मंच, अन्य संगठनों के साथ मिलकर 27 सितंबर को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेगा और ये आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक सरकार किसानों की मांगों पर अमल नहीं करेगी।

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