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मुरादाबाद “सामूहिक नमाज़” मामले में हिन्दू पक्ष का दावा फर्जी: यूपी पुलिस

मुक़दमे में अभियुक्त बनाये गए अनवर ने भी न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि अब पुलिस उन पर मुक़दमा दायर करे, जिन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द्र ख़राब करने का षड़यंत्र किया।
Moradabad

मुरादाबाद में “सामूहिक नमाज़” के ख़िलाफ़ हिन्दू समुदाय द्वारा दर्ज मुक़दमे (एफ़एईआर) को पुलिस ने रद्द कर दिया है। उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुसार “सामूहिक नमाज़” को लेकर दर्ज हुए मुक़दमे में लगाये गए सभी आरोप फर्जी साबित हुए हैं।

ज़िला मुरादाबाद के छजलैट गाँव में एक निजी मकान में “सामूहिक नमाज़” पढने को लेकर 03 जून 2022 से विवाद चल रहा था।  हिन्दू पक्ष का आरोप था कि मुस्लिम समाज के लोग, गाँव में जमा होकर बिना अनुमति के “सामूहिक नमाज़” पढ़ते हैं।  

इसी को लेकर, क़रीब एक हज़ार की आबादी वाले छजलैट में दो समुदाय के बीच पिछले तीन महीने से  तनाव का माहौल बना हुआ था।  क्योंकि आपत्ति के बाद  स्थानीय प्रशासन ने “सामूहिक नमाज़” पर पाबन्दी लगा दी थी। बता दे छजलैट में न कोई मंदिर हैं और न मस्जिद है।

हिन्दू पक्ष की शिकायत पर पुलिस-प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय को हिदायत दी थी कि वह बिना अनुमति के किसी भी घर में  “सामूहिक नमाज़” न पढ़े। स्थनीय लोगो के अनुसार पुलिस-प्रशासन ने दोनों पक्षों के साथ एक मीटिंग भी करी थी।  

मीटिंग हिन्दू पक्ष की तरफ से आरोप लगाया गया कि मुस्लिम समुदाय अपने घरों में जमा होकर “सामूहिक नमाज़” पढ़ते हैं।  जबकि यह गाँव में नई परंपरा है।  जिनकी अनुमति भी शासन-प्रशासन नहीं ली गई है।

जबकि मुस्लिम पक्ष का कहना था कि गाँव में मस्जिद न होने के कारण वह समुदाय के किसी भी सदस्य के घर जमा होकर नमाज़ पढ़ लेते है।  यह परम्परा कई दशकों से चली आ रही है।  केवल कोविड-19 के प्रोटोकॉल के दौरान दो साल तक “सामूहिक नमाज़”  नहीं हुई थी।  लेकिन पहले कभी किसी ने इस पर आपत्ति नहीं की थी।

हालाँकि हिन्दू पक्ष द्वारा नमाज़ का एक वीडियों भी साक्ष्य के तौर पर प्रशासन को दिया गया। जिसके बाद प्रशासन ने तनाव बढ़ता देख घरों पर होने वाली  “सामूहिक नमाज़” पर पाबन्दी लगा दी।  इसके अलावा जिन घरों में नमाज़ होती थी, उसके बाहर पुलिस बल तैनात कर दिया गया।  

लेकिन 24 अगस्त को गाँव में एक बार फिर तनाव का माहौल हो गया।  जब हिन्दू पक्ष की तरफ से चंद्रपाल सिंह की शिकायत पर मुस्लिम समुदाय के विरुद्ध पुलिस ने मुक़दमा दर्ज कर लिया।  शिकायत पात्र में दावा किया गया कि 24 अगस्त को एक बार फिर मुस्लिम समुदाय द्वारा बिना अनुमति  “सामूहिक नमाज़” पढ़ी गई।  

पुलिस द्वारा शिकायत के आधार पर 16 नामज़द और 10 अज्ञात लोगों के ख़िलाफ़ एफ़एईआर दर्ज कर ली गई है। छजलैट थाने में मुक़दमा भारतीय दण्ड संख्या की धारा 505 (2) के अंतर्गत दर्ज हुआ।

इस मामले में पुलिस ने दूल्हेपुर के रहने वाले वाहिद, अनवार, मुस्तकीम, हाकम अली, हनीफ, शौकीन, सईद, जाकिर, अलीशेर, रमजानी, मुस्लिम, मोहम्मद अली, ईदा, सलीम, नूरा, असलम  और 10 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है।

हालाँकि मुस्लिम समुदाय द्वारा लगातार कहा जा रहा था कि शिकायत पत्र में झूठे आरोप लगाये गए हैं।  पाबन्दी के बाद से मौक़े पर  पुलिस तैनात है और कोई  “सामूहिक नमाज़” नहीं पढ़ी गई है।  

धीरे-धीरे यह मामला सियासी रंग लेने लगा और मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के असदुद्दीन ओवैसी ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर तंज़ करते हुए लिया कि क्या अब मुसलमान अपने घर में भी नमाज नहीं पढ़ सकते? उन्होंने आरोप लगाया था कि मुसलमानों के साथ दुसरे दर्जे के नागरिकों का सलूक किया जा रहा है। मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन का एक प्रतिनिधिमंडल अधिवक्ता मोहिद फरगानी की अध्यक्षता में कल स्थनीय प्रशासन से मिलने गया था।

आज 30 अगस्त को मुरादाबाद पुलिस ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी करते हुए कहा कि “सामूहिक नमाज़” को लेकर जो मुकादमा दर्ज हुआ था, वह प्रमाण न मिलने के कारण रद्द दिया गया है।

सीनियर सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस, मुरादाबाद के अनुसार “थाना छजलैट के ग्राम दूल्हेपुर जनपद मुरादाबाद में सार्वजनिक स्थान पर सामूहिक नमाज पढने को लेकर चन्द्रपाल,रामपाल सिंह व अन्य निवासी दूल्हेपुर के कुछ लोगो के द्वारा एफ़एईआर संख्या  184/2022, दिनांक 24 अगस्त 2022 को अंकित कराई गई थी, जिसमें क्षेत्राधिकारी कांठ के पर्यवेक्षण में विवेचना सम्पादित कराई गई, विवेचना से घटना का प्रमाणित होना नहीं पाया गया ।

अतः इस विवेचना को मय जुर्म खारिजा रिपोर्ट समाप्त (एक्सपंज) किया गया | शेष विधिक कार्यवाही तदनुसार सम्पन्न की जायेगी।  हालाँकि पुलिस ने अभी यह साफ़ नहीं किया है कि फर्जी मुक़दमा लिखाकर सांप्रदायिक सौहार्द्र ख़राब करने वालों के खिलाफ क्या करवाई होगी।  

शिकायतकर्ता चंद्रपाल सिंह से भी न्यूज़क्लिक ने संपर्क किया, उन्होंने माना कि उनके पास जो वीडियो है, वह पुरानी है। चंद्रपाल सिंह कहते हैं कि बाद में नमाज़ अन्दर होने लगी थी, इसलिए पुलिस को प्रमाण नहीं मिले। उन्होंने कहा उनको घर में अकेले नमाज़ पढने से आपत्ति नहीं है बल्कि “सामूहिक नमाज़” पर आपत्ति थी।    

मुक़दमे में अभियुक्त बनाये गए अनवर ने भी न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि अब पुलिस उन पर मुक़दमा दायर करे जिन्होंने सांप्रदायिक सौहार्द्र ख़राब करने का षड़यंत्र किया। वह कहते हैं कि इस मुक़दमे में कई आरोपी स्नातक पास हैं, उनका भविष्य ख़राब हो सकता हैं। अनवर कहते हैं कि हमने शांति बनाये रखने के लिए  “सामूहिक नमाज़” को रोक दिया था। लेकिन सच जानने के बाद प्रशासन अब मुस्लिम समुदाय को इसकी अनुमति दे। 

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