प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर आखिरकार अपनी सरकार के कदम वापस खींच लिये और देश से ‘‘क्षमा’’ मांगते हुए इन्हें निरस्त करने एवं एमएसपी से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए समिति बनाने की शुक्रवार को घोषणा की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में यह घोषणाएं की। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2020 में पहली बार अध्यादेश के रूप में लाए गए और बाद में संसद से पारित सभी तीन कृषि क़ानूनों को निरस्त करने की घोषणा की है। उन्होंने कार्तिक पूर्णिमा और गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए यह घोषणा की।
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपने एक बयान में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा इस निर्णय का स्वागत करता है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत होगी। हालांकि, इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं। लखीमपुर खीरी हत्याकांड समेत, इन टाली जा सकने वाली मौतों के लिए केंद्र सरकार की ज़िद जिम्मेदार है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे कहा प्रधानमंत्री को यह भी याद दिलाना चाहता है कि किसानों का यह आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है। किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है। इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाकि है। एसकेएम सभी घटनाक्रमों पर संज्ञान लेकर, जल्द ही अपनी बैठक करेगा और यदि कोई हो तो आगे के निर्णयों की घोषणा करेगा।
प्रधानमंत्री ने क्या कहा
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दिये के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए हैं।’’
उन्होंने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 के खिलाफ पिछले लगभग एक साल से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों से अपने घर वापस लौट जाने की अपील भी की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार किसानों, खासकर छोटे किसानों के कल्याण और कृषि जगत के हित में और गांव-गरीब के उज्ज्वल भविष्य के लिए ‘‘पूरी सत्य निष्ठा’’ और ‘‘नेक नीयत’’ से तीनों कानून लेकर आई थी लेकिन अपने तमाम प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाई।
उन्होंने कहा, ‘‘आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। यह समय किसी को भी दोष देने का नहीं है। आज मैं आपको... पूरे देश को... यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को रिपील (निरस्त) करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।’’
उन्होंने आंदोलनरत किसानों से गुरु पर्व का हवाला देते हुए आग्रह किया, ‘‘अब आप अपने-अपने घर लौटें। अपने खेतों में लौटें। अपने परिवार के बीच लौटें। आइए...एक नयी शुरुआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पांच दशक के लंबे सार्वजनिक जीवन में किसानों की मुश्किलों और चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है और इसी के मद्देनजर उनकी सरकार ने कृषि विकास व किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी सरकार, किसानों के कल्याण के लिए, खासकर छोटे किसानों के कल्याण के लिए, देश के कृषि जगत के हित में, देश के हित में, गांव गरीब के उज्ज्वल भविष्य के लिए, पूरी सत्य निष्ठा से, किसानों के प्रति समर्पण भाव से, नेक नीयत से ये कानून लेकर आई थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इतनी पवित्र बात, पूर्ण रूप से शुद्ध, किसानों के हित की बात, हम अपने प्रयासों के बावजूद कुछ किसानों को समझा नहीं पाए।’’
उन्होंने कहा कि कृषि अर्थशास्त्रियों ने, वैज्ञानिकों ने, प्रगतिशील किसानों ने भी उन्हें कृषि कानूनों के महत्व को समझाने का भरपूर प्रयास किया।
तीनों कानूनों को निरस्त करने की घोषणा के बाद प्रधानमंत्री ने न्यूतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को प्रभावी व पारदर्शी बनाने के लिए एक समिति गठित करने का भी एलान किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘एमएसपी को और अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के लिए,ऐसे सभी विषयों पर, भविष्य को ध्यान में रखते हुए, निर्णय लेने के लिए, एक कमेटी का गठन किया जाएगा। इस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होंगे, किसान होंगे, कृषि वैज्ञानिक होंगे, कृषि अर्थशास्त्री होंगे। ’’
किसान नेताओ ने कहा ये आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा
कानूनों को निरस्त करने की घोषणा का विभिन्न किसान नेताओं ने स्वागत किया है। लेकिन इसके साथ ही कुछ सवाल भी जोड़े हैं।
भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि संसद में विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने के बाद ही, वे चल रहे कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ आंदोलन वापस लेंगे।
टिकैत ने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और दूसरे मुद्दों पर भी किसानों से बात करनी चाहिए।
टिकैत ने ट्वीट किया, ‘‘ आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार, एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करे।’’
मोर्च के नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा आज हम सबसे पहले अपने 700 शहीद किसानों को सलाम करना चाहेंगे। जिनके बलिदान और लाखों किसानो के संघर्ष के बाद सबसे हठी सरकार झुकी है। लेकिन अभी भी कई मसले हैं जिनपर बात होनी है जैसे हरियाणा में 48 हज़ार मुकदमे किसानों पर किए गए हैं, बिजली विधयेक है और एमएसपी पर भी कोई चर्चा नहीं हुई है।
अंत में चढूनी ने कहा कुल मिलाकर ये फैसला किसानों की जीत है लेकिन हमे अभी देखना होगा सरकार संसद में क्या करती है।
प्रधानमंत्री मोदी की इस घोषणा के बाद भारतीय किसान यूनियन उगराहां के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा, ‘‘गुरुपरब पर कृषि कानून निरस्त करने का निर्णय प्रधानमंत्री का अच्छा कदम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘सभी किसान संघ एक साथ बैठेंगे और आगे के मार्ग के बारे में तय करेंगे।’’
संयुक्त मोर्चे के नेता और अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मौल्ला ने कहा ये किसानों के एकजुट संघर्ष का परिणाम है लेकिन किसानों का हित तभी होगा जब सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी दे और स्वामीनथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करे।
आगे उन्होंने कहा के आने से पहले भी किसान आत्महत्या कर रहे थे लेकिन जरुरी है की सरकार न्यूतम समर्थन मूल्य की गारंटी दे।
विपक्ष ने कहा- ‘‘देश के अन्नदाताओं ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया है।’’
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सिर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ यह जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान!’’
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि कानूनों के विरूद्ध प्रदर्शन करते हुए जान गंवाने वाले किसानों की ‘‘शहादत’’ अमर रहेगी।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘आज प्रकाश दिवस पर कितनी बड़ी खुशखबरी मिली। तीनों कानून रद्द। 700 से ज्यादा किसान शहीद हो गए। उनकी शहादत अमर रहेगी। आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी कि किस तरह इस देश के किसानों ने अपनी जान की बाजी लगाकर किसानी और किसानों को बचाया था। मेरे देश के किसानों को मेरा नमन।’’
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने किसानों को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अथक संघर्ष करने के लिए बधाई दी और कहा कि भाजपा ने जिस ‘‘क्रूरता’’ से व्यवहार किया, उससे वह विचलित नहीं हुए।
बनर्जी ने ट्वीट किया, ‘‘हर उस किसान को मेरी ओर से हार्दिक बधाई जिसने अथक संघर्ष किया और भाजपा ने जिस क्रूरता से आपके साथ व्यवहार किया, उससे आप विचलित नहीं हुए। यह आपकी जीत है! उन सभी लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं है जिन्होंने इस लड़ाई में अपने प्रियजनों को खो दिया।’’
वामपंथी दल भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने कहा किसानों ने केंद्र की सरकार सिखाया की तानशाही से राज नहीं चलेगा।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने इस घोषणा को ‘‘सही दिशा में उठाया गया कदम’’ करार दिया। उन्होंने यह भी कहा, ‘‘किसानों के बलिदान का लाभ मिला है।’’
सैकड़ों किसान दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करवाने की मांग पर26 नंवबर 2020 से धरना दिये हुए बैठे थे। और अब उन्होंने एक साल पूरा होने पर संसद की तरफ़ मार्च समेत कई कार्यक्रम घोषित किए थे।
(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )