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चीन ने कैसे तोड़ी संक्रमण की चेन?

जैसे-जैसे कोरोना वायरस के बारे में जानकारी सामने आती गई, वैसे-वैसे चीन की सरकार और वहां के समाज ने इसके फैलाव के ख़िलाफ़ एक बड़ा और योजनाबद्ध कार्यक्रम चलाया।
कोरोना वायरस
वुहान स्थित लीसहेंशान अस्पताल को आपात स्थिति में फरवरी के महीने में शुरू किया गया था। यहां कोरोना के मरीज़ों का इलाज़ किया जाता था। बुधवार को इस अस्पताल के चार मरीज़ों को झोंगनान अस्पताल भेज दिया जाएगा और यह बंद हो जाएगा।

31 मार्च, 2020 को ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी से बीजिंग नॉर्मल यूनिवर्सिटी तक से आने वाले वैज्ञानिकों के एक समूह ने 'नेचर' में एक अहम पेपर प्रकाशित किया। ''एन इंवेस्टीगेशन ऑफ ट्रांसमिशन कंट्रोल मेजर्स ड्यूरिंग द फर्स्ट 50 डेज़ ऑफ द कोविड-19 एपिडेमिक इन चाइना'' नाम के इस पेपर में बताया गया कि अगर चीन ने वुहान में लॉकडाउन ना किया होता, तो राज्य के बाहर 7,44,000 अतिरिक्त मामले सामने आते। पेपर के लेखकों के मुताबिक़ चीन में महामारी पर नियंत्रण के लिए जो कदम उठाए गए, उनसे दुनिया सीख सकती है।

चीन की यात्रा के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्यों ने लिखा, ''एक अभूतपूर्व वायरस के संक्रमण के दौर में चीन ने इतिहास की सबसे बड़ी महत्वकांक्षी और आक्रामक संक्रमण रोकने की नीति को पेश किया है।''

इस रिपोर्ट में हम चीन में सामाजिक संगठनों और सरकार ने जो कदम उठाए हैं, उनके बारे में बताएंगे। चीन ने यह कदम तब उठाए, जब वैज्ञानिकों ने वायरस के बारे में जानना शुरू ही किया था और वहां स्वास्थ्यकर्मी बिना किसी वैक्सीन या कोरोना की विशेष दवाई के  काम कर रहे थे।

योजना का निर्माण

जनवरी, 2020 के शुरूआती दिनों में ''नेशनल हेल्थ कमीशन (NHC)'' और ''चाइनीज़ सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC)'' ने (उस वक़्त कोरोना वायरस को 'गुमनाम वजहों वाला वायरल निमोनिया' बताया गया) कोरोना वायरस डॉयग्नोसिस, इलाज़ और लेबोरेटरी टेस्टिंग के लिए प्रोटोकॉल बनाना शुरू कर दिया था। NHC और हुबेई राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने एक इलाज़ निर्देशिका बनाई जिसे 4 जनवरी को वुहान शहर के सभी स्वास्थ्य संस्थानों को भेज दिया गया। उसी दिन पूरे शहर में स्वास्थ्यकर्मियों को प्रशिक्षण दिया गया। सात जनवरी तक CDC ने पहला नोवेल कोरोना वायरस का स्ट्रेन (धागा) अलग कर लिया था। तीन दिन बाद वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वॉयरोलॉजी और दूसरे संस्थानों ने टेस्टिंग किट्स बनाना शुरू कर दिया।

जनवरी के दूसरे हफ़्ते तक वायरस की प्रवृत्ति के बारे में दूसरी चीजें भी पता चल चुकी थीं। इसलिए इसे रोकने के लिए एक नई योजना पर काम शुरू कर दिया गया। 13 जनवरी तक NHC ने वुहान शहर प्रशासन को सभी बंदरगाहों और रेलवे स्टेशन पर तापमान जांच का निर्देश दिए, साथ में लोगों को इकट्ठा होकर भीड़ न बनाने के लिए कहा गया। अगले दिन NHC ने पूरे देश में एक टेलीकॉन्फ्रेंसिंग की, जिसमें नये कोरोना वायरस के बारे में बताया गया और राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपात के लिए तैयारी शुरू करने को कहा गया। 17 जनवरी को NHC ने सात जांच दलों को वुहान में स्वास्थ्यकर्मियों को वायरस से निपटने के लिए प्रशिक्षण देने को भेजा। 19 जनवरी को NHC ने चीन के कई स्वास्थ्य विभागों को टेस्टिंग किट्स के लिए ''न्यूक्लिइक एसिड रीजेंट्स'' दे दिये थे। चाइनीज़ मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष झोंग नानशन ने एक उच्चस्तरीय टीम के साथ 18 और 19 जनवरी को वुहान शहर का दौर किया।

अगले कुछ दिन तक NHC ने वायरस के फैलाव और इसे रोकने की प्रक्रिया समझने की कोशिश की। 15 जनवरी से 3 मार्च के बीच NHC ने अपनी गाइडलाइन के सात संस्करण जारी किए। उन्हें पढ़कर पता चलता है कि कैसे संगठन की वायरस पर समझ और इसे रोकने की योजना का विकास हुआ। इसके तहत इलाज के नए तरीके अपनाए गए, जिनमें रिबाविरिन और चाइनीज़-एलोपैथिक मेडिसिन का मिश्रण इस्तेमाल में लिया गया। ''नेशनल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ ट्रेडिशनल चाइनीज़ मेडिसिन'' ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 90 फ़ीसदी मरीजों को पारंपरिक दवाईयां उपलब्ध कराई गईं, इनमें से 90 फ़ीसदी पर यह कारगर रहीं।

22 जनवरी को यह साफ हो चुका था कि वुहान के बाहर और अंदर आवाजाही रोकनी होगी। उसी दिन ''स्टेट काउंसिल इंफॉर्मेशन ऑफिस'' ने लोगों से वुहान न जाने की अपील की। अगले दिन शहर को शटडॉउन कर दिया गया। अब वायरस की भयावहता सबके सामने आ चुकी थी।

सरकारी कार्रवाई

25 जनवरी को चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना ने महामारी रोकने के लिए एक केंद्रीय कमेटी बनाई, जिसमें ली कियांग और वांग हुनिंग नाम के दो नेताओं को नेतृत्व सौंपा गया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने समूह से सबसे उच्च दर्जे वाली वैज्ञानिक सोच का इस्तेमाल करने को कहा, जिससे वायरस को रोकने के लिए योजनाओें का निर्माण किया जा सके और लोगों के स्वास्थ्य को आर्थिक जरूरतों के पहले रखा जा सके। 27 जनवरी को स्टेट काउंसिल के वाइस प्रीमियर सुन चुनलान ने वुहान में एक सेंट्रल गाइडिंग टीम का नेतृत्व किया, ताकि शहर में वायरस के खिलाफ़ एक नई आक्रामक प्रक्रिया अपनाई जा सके। इस बीच सरकार और कम्यूनिस्ट पार्टी ने वायरस से लड़ने के लिए एजेंडा बना लिया। इसे चार बिंदुओं में समझाया जा सकता है।

1. वायरस का फैलाव रोकने के लिए सिर्फ राज्य में लॉकडाउन ही नहीं, बल्कि अंदर यातायात को भी रोका जाए।

चीनी नये वर्ष के चलते इस योजना में जटिलता आ गई। यह उत्सव शुरू हो चुका था। इस दौरान परिवार एक-दूसरे के यहां जाते हैं और बाज़ार पहुंचते हैं। (बता दें यह कम समय का सबसे बड़ा प्रवास होता है, जिसमें चीन के सभी 140 करोड़ नागरिक एक-दूसरे के घरों पर जाते हैं)। इस पूरी प्रक्रिया को रोकना था। स्थानीय प्रशासन ने पहले ही सबसे बेहतरीन और आधुनिक एपिडेमियोलॉजिकल सोच के तहत वायरस को ट्रैक करने और संक्रमण के स्त्रोत के बारे में सोचना शुरू कर दिया, ताकि संक्रमण फैलाव के रास्ते को समझा जा सके।

2. स्वास्थ्यकर्मियों को जरूरी चीजें सौंपी जाएं, जिसमें सुरक्षा-साधन शामिल हैं, मरीजों के लिए बिस्तर और उपकरण के साथ-साथ सभी तरह की दवाईयों की पहुंच निश्चित की जाए। बड़े स्तर पर स्क्रीनिंग करने के लिए ज़्यादा टेस्टिंग किट की जरूरत है, जिनका विकास किया जाएगा।

इसके तहत तात्कालिक इलाज़ केंद्र बनाए गए। बाद में दो बड़े अस्पताल- हौसहेंशान और लीहेंशान, भी बनाए गए।

3. यह तय किया जाए कि लॉकडाउन के दौरान राज्य में खाद्यान्न और ईंधन आपूर्ति में कोई कमी न हो पाए।

4. आम जनता को वह जानकारी पहुंचाई जाए, जो वैज्ञानिक तर्कों पर आधारित हो, ना कि अफवाहों पर। इसके लिए जांच दलों ने स्थानीय प्रशासन द्वारा उठाए गए सभी गलत कदमों की जांच की, जिसमें जनवरी के पहले से लेकर आखिरी मामले तक शामिल किए गए।

इन चार बिंदुओं से हमें वह तरीका पता चलता है, जिन्हें चीनी सरकार और स्थानीय प्रशासन ने फरवरी और मार्च में अपनाया। NHC के नेतृत्व में एक ज्वाइंट कंट्रोल मैकेनिज़्म बनाया गया, जिसके पास कोरोना की चैन को तोड़ने के लिए व्यापक अधिकार थे। वुहान शहर और हुबेई प्रदेश 76 दिनों तक लॉकडाउन में रहे। अप्रैल की शुरूआत में यह लॉकडाउन खोला गया।

23 फरवरी को राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने पूरे चीन के 1,70,000 गांवों, कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं और सैन्य अधिकारियों से बातचीत की। उन्होंने कहा, ''यह संकटकाल है, जिसमें हमारी बड़ी परीक्षा है।'' चीन का पूरा जोर महामारी से लड़ने और जनस्वास्थ्य को पहले रखने पर होगा। इसी दौरान चीन यह तय करेगा कि लंबे दौर के आर्थिक एजेंडा पर मार न पड़े।

पड़ोसी कमेटियां

एक अहम प्रतिक्रिया चीन के लोगों से आई, जिससे हमें वहां के समाज के बारे में पता चलता है। इस पर कम रिपोर्टिंग हुई है। 1950 के दशक में शहरी नागरिक संगठन- जुवेहुई बनाए गए ताकि आस-पड़ोस के लोग आपसी सुरक्षा और सहयोग पर मदद कर सकें। वुहान में जब शटडॉउन लागू हुआ, तो इन कमेटियों के लोगों ने घरों-घर जाकर तापमान जांच, खाद्यान्न पहुंचाना और दवाईयों की आपूर्ति जैसे काम किए। चीन के दूसरे हिस्सों में इन कमेटियों ने अपने इलाकों में तापमान जांच केंद्र बनाए, ताकि अंदर जाने और बाहर आने वालों के तापमान की जांच की जा सके। 9 मार्च तक इन कमेटियों में काम करने वाले 53 लोग जान गंवा चुके थे। इनमें से 49 कम्यूनिस्ट पार्टी के सदस्य थे।

कम्यूनिस्ट पार्टी के 9 करोड़ सदस्यों और ज़मीन पर मौजूद 46 लाख संगठनों ने चीन के 6,50,000 शहरी और ग्रामीण समुदायों की तरफ से जनता की प्रतिक्रिया को आकार देने में मदद की। पार्टी के ऐसे सदस्य, जो स्वास्थ्यकर्मी थे, वो वुहान पुहंचे, ताकि स्वास्थ्य मोर्चे पर सीधा मुकाबला कर सकें। दूसरे सदस्यों ने अपने पड़ोस में कमेटियों में काम किया या फिर वायरस के खिलाफ़ प्रतिक्रिया देने के लिए नए प्लेटफॉर्म बनाये।

विकेंद्रीकरण से सृजनात्मक प्रतिक्रियाओं का जनन हुआ। हुनान राज्य के चांग्साक्षेत्र में याहुआ जिले में स्थित तिओमा कस्बे के एक गांव तियानज़िनकियाओ में एक शख़्स, जिनका नाम यांग झिकियांग है, उन्होंने 26 स्पीकरों की तेज आवाज का इस्तेमाल कर लोगों से नये साल पर एक-दूसरे के घरों में न जाने और साथ में खाना न खाने की अपील की। गुआंगक्सी झुआंग स्वायत्त क्षेत्र के नानिंग में पुलिस ने ड्रोन का इस्तेमाल कर तुरही की आवाज पहुंचाई, यह लोगों को लॉकडाउन ऑर्डर न तोड़ने की याद दिलाने के लिए उठाया गया कदम था।

सिचुआन राज्य के चेंगड़ू में 4,40,000 नागरिकों ने टीम बनाकर वायरस रोकने के लिए अलग-अलग कदम उठाए। उन्होंने स्वास्थ्य नियामकों का प्रचार किया, तापमान जांच की, खाद्यान्न और दवाईयां पहुंचाईं और सदमें में जी रहे लोगों के मनोरंजन की व्यवस्था की। यहां कम्यूनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं ने नेतृत्व किया। यहां उन्होंने व्यापार, सामाजिक समूहों को एकसाथ इकट्ठा किया और स्थानीय प्रबंधन ढांचे में सहयोग किया। बीजिंग में लोगों ने एक एप बनाई, जो इसमें पंजीकृत लोगों को चेतावनी पहुंचाया करता है और एक डेटाबेस बनाता है, जिससे शहर में वायरस की आवाजाही को पहचानने में मदद मिलती है।

स्वास्थ्य हस्तक्षेप

ली लानजुआन वुहान जाने वाले शुरूआती स्वास्थ्यकर्मियों में से एक थीं। जब वो वहां पहुंचीं, तो याद करते हुए बताती हैं कि ''मेडिकल टेस्ट मिलना मुश्किल था और आपूर्ति भी खराब स्थिति में थी।'' उन्होंने बताया ''अगले कुछ दिनों में शहर में 40,000 स्वास्थ्यकर्मी पहुंच गए। हल्के लक्षण वाले मरीज़ों को अस्थायी केंद्रों में इलाज़ दिया गया, जबकि गंभीर तौर पर ग्रस्त लोगों को अस्पताल पहुंचाया गया। जल्द ही स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा उपकरण, टेस्ट, वेंटिलेटर और दूसरी आपूर्ति कर दी गई। इससे मृत्युदर में बड़ी गिरावट आई। सिर्फ दो महीने में वुहान में स्थिति नियंत्रण में आ चुकी है।''

पूरे चीन से 1,800 एपिडेमियोलॉजिकल टीम वुहान पहुंचीं। हर किसी में पांच सदस्य थे। इन्हें स्थानीय जनता का सर्वे करना था। जिलिन राज्य से आने वाले वांग बो, जो एक टीम के लीडर भी थे, वो बताते हैं कि उनकी टीम ने घर-घर जाकर एपिडेमियोलॉजिकल सर्वे किए। जो बेहद ख़तरनाकर पर जरूरी थे। जिलिन टीम के एक सदस्य याओ लैशुन बताते हैं कि कुछ ही हफ़्तों में उनकी टीम ने 374 लोगों को सर्वे किया और 1,383 करीबी संपर्कों को खोज निकाला। यह जानकारी उन लोगों की पहचान के लिए जरूरी थी, जिन्हें इलाज़ दिया जाना है, साथ में इससे उन लोगों के बारे में भी पता चला जिन्हें आइसोलेशन में डाला जाना था। 9 फरवरी तक स्वास्थ्य अधिकारियों ने वुहान में ही 42 लाख परिवारों (या 10 लाख 59 हजार लोगों) की जांच कर ली थी। इसका मतलब है कि वे 99 फ़ीसदी आबादी की जांच कर चुके थे। यह एक बहुत बड़ी कवायद़ थी।

स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सुरक्षा उपकरणों का जिस तेजी से उत्पादन किया गया, वो बहुत राहत पहुंचाने वाला था। 28 जनवरी को चीन प्रतिदिन करीब 10,000 पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (पीपीई) का उत्पादन कर रहा था। 24 फरवरी को उसकी क्षमता दो लाख पीपीई उत्पादन प्रतिदिन की पहुंच गई। एक फरवरी को सरकार 7,73,000 टेस्टि किट्स का प्रतिदिन उत्पादन कर रही थी। 25 फरवरी को हर दिन का उत्पादन 17 लाख किट पहुंच गया। 31 मार्च को यह आंकड़ा बढ़कर 42 लाख 60 हजार किट प्रतिदिन पहुंच गया।  अधिकारियों ने औद्योगिक ईकाईयों को प्रोटेक्टिव गियर, एंबुलेंस, वेंटिलेटर, इलेक्ट्रोकॉर्डियोग्राफ मॉनिटर, रेसपिरेटरी मशीनें, ब्लड गैस एनालाइज़र, एयर डिसइंफैक्टेंट मशीनें और हेमोडॉयलिसिस मशीने बड़े पैमाने पर बनाने का निर्देश दिया। सरकार ने तय किया कि स्वास्थ्य उपकरणों की कोई कमी न होने पाए।

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एक फरवरी को गुआंगडोंग राज्य के ज़िनहुई जिले में स्थित नियंत्रण केंद्र में दो महिला स्वास्थ्यकर्मी आराम कर रही हैं। (फोटो: चेन लिवु/चाइना डेली के लिए)

चेन वेई, चीन की एक प्रमुख वॉयरोलॉजिस्ट हैं। उन्होंने 2003 में सार्स महामारी के दौरान काम किया है। 2015 में चेन वेई सिएरा लियोन गईं, जहां पहली इबोला वैक्सीन विकसित की गई थी। वेई तुरंत अपनी टीम के साथ वुहान पहुंच गईं थीं। उन्होंने वहां एक पोर्टेबल टेस्टिंग लेबोरेटरी का गठन 30 जनवरी को ही कर दिया था। 16 मार्च को उनकी टीम ने पहला नोवेल कोरोनावायरस का वैक्सीन बना दिया, जो क्लीनिकल ट्रॉयल में पहुंच गया। चेन उन लोगों में से थीं, जिन पर इस वैक्सीन का पहला ट्रॉयल किया गया।

राहत

दो महीने तक एक ऐसे राज्य को पूरी तरह बंद करना जिसमें 6 करोड़ लोग रहते हों, एक ऐसे देश में बड़े स्तर पर शटडॉउन करना, जिसमें 140 करोड़ लोग रहते हों, आसान नहीं था। इसका सामाजिक और आर्थिक प्रभाव काफ़ी बड़ा था। लेकिन चीन की सरकार ने शुरूआत में ही साफ कर दिया था कि आर्थिक नुकसान का महामारी पर प्रतिक्रिया में कोई असर नहीं पड़ेगा। किसी भी नीति के निर्माण में लोगों का स्वास्थ्य प्राथमिकता रहेगा।

22 जनवरी को नेतृत्वकारी समूह को बनाने से पहले, सरकार ने एक सर्कुलर जारी कर निर्देश दिए थे कि कोरोना से ग्रस्त मरीज़ का गारंटी से इलाज़ किया जाएगा। जो पूरी तरह मुफ़्त होगा। इसके बाद एक स्वास्थ्य अदायगी नीति बना दी गई। इसके तहत दवाईयों और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हुए पैसे को पूरी तरह बीमा से कवर किया जाएगा। किसी भी मरीज़ को पैसे देने की जरूरत नहीं होगी।

लॉकडाउन के दौरान सरकार ने एक ऐसा तंत्र बनाया, जिससे खाद्यान्न और ईंधन को सामान्य दामों पर ही उपलब्ध कराया जा सके। राज्य के स्वामित्व वाली औद्योगिक ईकाईयां, जैसे ''चाइना ऑयल एंड फूडस्टफ कॉर्पोरेशन'',''चाइना ग्रेन रिजर्व ग्रुप'' और ''चाइना नेशनल साल्ट इंडस्ट्री ग्रुप'' ने चावल, आटे, तेल, मांस और नमक की आपूर्ति बढ़ा दी। ऑल चाइना फेडरेशन ऑफ सप्लाई एंड मार्केंटिंग कोऑपरेटिव्स ने दुकानों को किसान सहकारिता संगठनों के साथ सीधे संबंध उपलब्ध कराए। चाइना एग्रीकल्चर इंडस्ट्री चेंबर ऑफ कॉमर्स ने आपूर्ति बनाए रखने के साथ-साथ दामों को स्थिर रखने का वायदा किया।

3 फरवरी को सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय की जमाखोरी पर कार्रवाई के लिए बैठक हुई। 8 अप्रैल तक चीन में 3,158 मामले में महामारी से संबंधित आपराधिक अपराधों की जांच हो चुकी थी। राज्य ने छोटे और मध्यम औद्योगिक ईकाईयों को मदद भी उपलब्ध कराई। बदले में व्यापारियों ने अपना काम जरूरी सावधानियों के साथ शुरू कर दिया। जैसे- गुआंगझू लिंगनान केबल कंपनी ने अपने कर्मचारियों के तापमान की जांच, इलाके को निश्चित समय में सेनेटाइज़, वेंटिलेटर के सुचारू रखने जैसे कदम उठाए। साथ में अपने स्टॉफ को प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट जैसे- मास्क, गोगल्स, हैंड लोशन और एल्कोहल आधारित सेनेटाइज़र उपलब्ध कराए।) कंपनी ने कर्माचारियों के दोपहर के खाने को भी नियंत्रित किया, यह वो वक़्त होता है, जब लोग एक-दूसरे के साथ ज़्यादा संपर्क में आते हैं।

लॉकडाउन

लांसेट में प्रकाशित चार एपिडेमियोलॉजिस्ट के एक अध्ययन में बताया गया है कि जनवरी के आखिरी में वुहान में लागू किए गए शटडॉउन से संक्रमण हुबेई राज्य के बाहर नहीं फैला। बीजिंग, शंघाई, शेनझेन और वेंझू में दो हफ़्तों के आंशिक लॉकडाउन के बाद ही मामलों में बड़ी संख्या में गिरावट आने लगी। लेकिन स्कॉलर बताते हैं कि हर्ड इम्यूनिटी के आभाव और COVID-19 के बेहद संक्रामक होने के चलते वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर भी आ सकती है। यही बात चीन की सरकार को चिंतित करती है, इसलिए वह अब भी इसे लेकर सतर्क है।

जब वुहान से लॉकडाउन हटाया गया, तो उत्सव का प्रकाश पूरे शहर में छा गया। स्वास्थ्यकर्मियों और वॉलेंटियर्स ने राहत की सांस ली। चीन ने अपनी सामाजिक संस्कृति और संस्थानों जैसे संसाधनों का बेजा इस्तेमाल कर कोरोना वायरस की चेन को तोड़ने में कामयाबी हासिल की है।

(यह तीन हिस्सों वाली सीरीज़ एक हिस्सा है। पहला हिस्सा यहाँ और दूसरी यहाँ उपलब्ध है।)

विजय प्रसाद एक भारतीय इतिहासकार, संपादक और पत्रकार हैं। वो इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट के प्रोजेक्ट Globetrotter के मुख्य संवाददाता भी हैं। विजय प्रसाद लेफ्टवर्ड बुक्स के मुख्य संपादक हैं और ट्राईकांटिनेंटल: इंस्टीट्यूट फ़ॉर सोशल रिसर्च के डॉयरेक्टर हैं।

दू शाओजुन शंघाई में रहते हैं और एक अनुवादक के तौर पर काम करती हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय संबंधों, परा-सांस्कृतिक संचार और एप्लाइड लिंग्विस्टिक्स में शोध किया है।

वियान ज़ू बीजिंग में रहने वाली एक वकील हैं। उनका सामाजिक और राजनीतिक विषयों में रुझान है।

यह लेख इंडिपेंडेंट मीडिया इंस्टीट्यूट के प्रोजेक्ट Globetrotter द्वारा प्रकाशित किया गया था।

अंग्रेज़ी में लिखे मूल आलेख को आप यहाँ पढ़ सकते हैं।

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