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मज़दूरों-किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए इप्टा की गीतों के ज़रिये अपील

कोविड-19 महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के दौरान, लोकशिल्पी का ज़्यादातर काम ऑनलाइन ही हुआ है। हालांकि संगठन के साथ जुड़े एक गायक सोमनाथ मुखर्जी का कहना है कि हड़ताल से पहले ऑफ़िस में कुछ गायकों ने ताज़ी ऊर्जा भरने का काम किया है।
मज़दूरों-किसानों के अधिकारों की रक्षा के लिए इप्टा की शाब्दिक अपील

81 साल के लोकशिल्पी(जन कवि) देवीदास तरफ़दार के अनुसार 26 नवंबर की देश्वयापी हड़ताल की तैयारी में सलिल चौधरी, हेमंगा विश्वास और हेमंता के हिंदी जनवादी गाने और साथ ही परंपरागत संगीत हवाओं में गूँज रहे हैं।

रोचक बात यह है कि 40, 50 और 60 के दशकों में इंडियन पीपल्स थिएटर एसोसिएशन(इप्टा) के सलिल चौधरी और मंटू रॉयचौधरी जैसे गायकों ने तेभागा आंदोलन का नेतृत्व किया था और अपने ज़ोरदार गीतों से जनता में जोश भरने का काम किया था।

न्यूज़क्लिक से बात करते हुए तरफ़दार ने कहा कि केंद्र की सरकार ने उनकी जीवनचर्या और अर्थव्यवस्था को छीन कर कसाई जैसा काम किया है। उन्होंने कहा, "ऐसे हालात में हमारी आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता, हम हमेशा आंदोलन से जुड़े रहेंगे।"

कोविड-19 महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन के दौरान, लोकशिल्पी का ज़्यादातर काम ऑनलाइन ही हुआ है। हालांकि संगठन के साथ जुड़े एक गायक सोमनाथ मुखर्जी का कहना है कि हड़ताल से पहले ऑफ़िस में कुछ गायकों ने ताज़ी ऊर्जा भरने का काम किया है।

तरफ़दार ने पूर्व सीपीआईएम पोलिट ब्यूरो सदस्य मोहम्मद अमीन साहब के 'सारे जहाँ से पूछा' जैसे क्रांतिकारी गीतों के बारे में बात की, और साथ ही फ़ैज़ अहमद फ़ैज़, कैफ़ी आज़मी और इक़बाल के गानों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने आगे बताया कि जनता की मांग पर कई बंगाली गानों को भी पिछले 2 साल में गाया गया है और उनकी सीडी पर सकारात्मक रवैया देखने को मिला है।

अक्षरपत साहित्यिक पत्रिका के संपादक अरिंदम मुखर्जी जो कि जनवादी गीतों के प्रोग्राम के आयोजकों में से एक हैं, ने बताया कि इप्टा की लोकशिल्पी विंग ने हाल ही में अपने 60वें साल की तरफ़ बढ़ते हुए गोल्डन जुबली मनाई है।

इप्टा के हावड़ा शिवपुर क्षेत्र के एक और संगीतकार अमल नायक ने भी ऐसे रोचक गाने तैयार किये हैं जो मज़दूरों-किसानों की मांग ज़ाहिर करने के कैंपेन में इस्तेमाल किये जा सकते हैं। उन्होंने 'धोर्मोघोटे चोलो धोर्मोघोटे, श्रोमिक क्रिशोकर धोर्मोघोटे, बचर दबिते धोर्मोघोटे' गीत का उदाहरण भी दिया।

इप्टा के राज्य सेक्रेटरी दिव्येन्दु चट्टोपाध्याय ने न्यूज़क्लिक को बताया कि हड़ताल से पहले मौजूदा हालात 2 डॉक्यूमेंट्री फ़िल्में भी तैयार की गई हैं जिन्हें ऑनलाइन प्रसारित किया जाएगा। उन्होंने कहा, "हमारी अपील दो डॉक्यूमेंट्री फ़िल्मों और गानों में हैं जिन्हें ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुँचाने के लिए ऑनलाइन और ऑफ़लाइन दोनों माध्यम से प्रसारित किया जा रहा है।" इप्टा के गायकों ने हाल ही में बुर्दवान और सिलीगुड़ी में प्रोग्राम किये थे जिनको रिपोर्ट के अनुसार व्यापक प्रतिक्रिया मिली थी।

ग़ौरतलब है कि हाल ही में नामी शिक्षाविदों पवित्र सरकार हर रजत बंदोपाध्याय ने पश्चिम बंगाल के लेखकों और कलाकारों की जानिब से एक खुले ख़त में 26 नवंबर की हड़ताल के लिए समर्थन मांगा था, क्योंकि हड़ताल के मुद्दे ज़्यादातर जनता से जुड़े हुए हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

IPTA’s Lyrical Appeal to Protect Workers’ and Farmers’ Rights

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