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इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय में 9 से 11 जनवरी तक अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन

"हिंदी : वैश्विक परिदृश्य-भाषा, साहित्य और अनुवाद" विषय पर केंद्रित इस सम्मेलन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को देखने, पढ़ने और समझने के तरीके को समृद्ध करना है।
Indraprastha College for Women

दिल्ली विश्वविद्यालय का इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय 9 से 11 जनवरी के बीच "हिंदी : वैश्विक परिदृश्य-भाषा, साहित्य और अनुवाद" विषय पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन का आयोजन कर रहा है। यह सम्मेलन महाविद्यालय के अनुवाद तथा अनुवाद अध्ययन केंद्र, न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी के दक्षिण एशियाई भाषा कार्यक्रम तथा कोलंबिया यूनिवर्सिटी हिंदी-उर्दू भाषा कार्यक्रम के सहयोग से किया जा रहा है।

इस सम्मेलन का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी को देखने, पढ़ने और समझने के तरीके को समृद्ध करना है। इसके साथ ही विश्व साहित्य और हिंदी साहित्य के बीच अंतराल को पार करने में अनुवाद और अनुवाद अध्ययन की भूमिका को संबोधित करना भी है।

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इस सम्मलेन के चार मुख्य बिन्दुओं की दृष्टि से चार बीज वक्तव्यों की संकल्पना की गयी है। इनके विषय भाषा, भाषा शिक्षण की प्रविधियों, साहित्य और अनुवाद से सम्बद्ध होंगे।

इसमें विश्व के विभिन्न भागों से जैसे कोलंबिया विश्वविद्यालय, अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडियन स्टडीज, दिल्ली विश्वविद्यालय, सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ़ न्यूयॉर्क, इनाल्को (पेरिस), सोफ़िया विश्वविद्यालय(बुल्गारिया), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, कोपनहेगन विश्वविद्यालय (डेनमार्क), वेक फॉरेस्ट विश्वविद्यालय, ड्यूक विश्वविद्यालय, यूएसए, लखनऊ विश्वविद्यालय, ज़ाग्रेब विश्वविद्यालय (क्रोएशिया), मिलान विश्वविद्यालय (इटली), येल विश्वविद्यालय (यूएस) मिशिगन विश्वविद्यालय(यूएसए), नॉर्थ ईस्टर्न हिल विश्वविद्यालय, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय (वर्धा ), मिडिलबरी महाविद्यालय (यूएसए), न्यू यॉर्क विश्वविद्यालय (यूएसए), उपसाला विश्वविद्यालय, स्वीडन, न्यू यॉर्क विश्वविद्यालय (यूएसए), वर्धमान विश्वविद्यालय, मुंगेर विश्वविद्यालय, रबीन्द्रनाथ नाथ टैगोर विश्वविद्यालय आदि से शिक्षाविद्, भाषाविद्, साहित्यकार, अनुवादक, तकनीकी विशेषज्ञ, शोधार्थी, हिंदी सेवी भाग लेंगे।

इस सम्मेलन में वैश्विक संदर्भ में हिंदी, हिंदी-उर्दू अनुवाद के माध्यम से अंतर-सांस्कृतिक संवाद, दुनिया के विश्वाविद्यालयों में हिंदी/उर्दू विभागों की भूमिका, राष्ट्रवाद/अंतरराष्ट्रीयवाद और हिंदी/उर्दू साहित्य, प्रवासी संस्कृतियों में हिंदी/उर्दू भाषार्जन की प्रासंगिकता, मीडिया में हिंदी भाषा का प्रयोग, वैश्विक बाज़ार और हिंदी, शास्त्रीय हिंदी साहित्य और विश्व साहित्य, साहित्य में मानवतावाद और अस्मिता विषयों से सम्बद्ध पर्चे पढ़े जायेंगे।

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