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कोविड-19 टीकों के उत्पादन के लिए पेटेंट अधिकारों को छोड़ने की अंतर्राष्ट्रीय मांग बढ़ी

विश्व व्यापार संगठन के टीआरआईपीएस समझौतों ने कोविड-19 टीकों के उत्पादन को सीमित कर दिया है जिससे पूरे विश्व में पहुंच असमान हो गई है। इससे सबसे ज़्यादा ग़रीब देश प्रभावित हैं जिन्हें अपने देश के लोगों का टीकाकरण करने के लिए एक भी खुराक प्राप्त नहीं हुई है या अपर्याप्त मात्रा में खुराक उपलब्ध हुई है।
कोविड-19 टीकों के उत्पादन के लिए पेटेंट अधिकारों को छोड़ने की अंतर्राष्ट्रीय मांग बढ़ी

COVID-19 टीकों के असमान पहुंच के मुद्दे को उठाते हुए करीब सौ से अधिक विकासशील देशों ने अस्थायी रूप से इसके उत्पादन के लिए पेटेंट अधिकारों को छोड़ने को लेकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को लिखा है। इन देशों ने दावा किया है कि पेटेंट के कारण गरीब देश कम लागत में इन टीकों का उत्पादन नहीं कर सकते हैं और अपनी जनता का टीकाकरण नहीं कर सकते हैं।

इस महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए टिके के उत्पादन और अन्य आवश्यक उपकरण के उत्पादन में वृद्धि करने के लिए तकनीक और विज्ञान के ज्ञान को गरीब देशों को बड़े पैमाने पर मुहैया कराने के उद्देश्य के साथ पिछले साल अक्टूबर महीने में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका और भारत द्वारा कोरोनावायरस महामारी की अवधि के दौरान ट्रेड रिलेटेड अस्पेक्ट्स ऑफ इंटेलेक्चूअल प्रोपर्टी राइट्स (टीआरआईपीएस) को लेकर डब्ल्यूटीओ के समझौते स्थगित करने का प्रस्ताव पेश किया गया था।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के महानिदेशक टेड्रोस एडेनम गेब्रियेसस ने भी इस महीने की शुरुआत में इस निर्णय का समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि पेटेंट नियंत्रण के लिए अस्थायी तरीके से छोड़ने का यह सही समय है।

गेब्रियेसस और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस कई देशों के उन नेताओं और अधिकार समूहों में शामिल हो गए हैं जिन्होंने अमीर देशों द्वारा COVID-19 टीकों की जमाखोरी और उनके "वैक्सीन नेशनलिज्म" की आलोचना की है। ये जमाखोरी और वैक्सीन नेशनलिज्म का मामला ऐसे समय में सामने आया है जब अधिकांश देशों ने इस वैक्सीन की एक भी खुराक प्राप्त नहीं की है।

डब्ल्यूएचओ के प्रमुख के अनुसार अमीर देश अपने धन का उपयोग और प्रौद्योगिकी पर नियंत्रण करते हुए इन टीकों की आवश्यक खुराक की तुलना में अधिक मात्रा में प्राप्त कर लिया है जिसके कारण गरीब देशों के लिए इसकी अनुपलब्धता बढ़ गई है। यहां तक कि डब्ल्यूएचओ का COVAX पहल इन टीकों की कमी और इस "वैक्सीन नेशनलिज्म" के कारण प्रभावी ढंग से काम करने के मुद्दे को हल करने में विफल रही है।

विश्व व्यापार संगठन के प्रमुख नगोजी ओकेंजो-ल्विला ने पदभार संभालने के बाद “वैक्सीन नेशनलिज्म” की भी निंदा करते हुए कहा था कि “कोई भी तब तक सुरक्षित नहीं है जब तक सभी सुरक्षित नहीं हैं”। अफ्रीकी संघ ने भी कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और अधिकार समूहों जैसे कि अंतरराष्ट्रीय पीपल्स असेंबली के यूरोपीय सचिवालय के पेटेंट छोड़ने की मांग का समर्थन किया है।

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