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पड़ताल: आंबेडकर के बारे में एबीपी न्यूज़ की एंकर रुबिका लियाक़त का दावा ग़लत

7 अक्टूबर को एबीपी न्यूज़ के कार्यक्रम हुंकार में एंकर रुबिका लियाक़त ने डिबेट कराई, जिसका शीर्षक था “नफरत वाली शपथ”। कार्यक्रम में रुबिका ने इस बात पर आपत्ति जाहिर की कि दस हज़ार लोग एक साथ शपथ क्यों ले रहे हैं और दावा किया कि आंबेडकर ने ये प्रतिज्ञाएं और दीक्षा अकेले ली थी।
ambedkar

इन दिनों बाबा साहेब द्वारा ली गई 22 प्रतिज्ञाएं चर्चा में हैं। असल में दिल्ली में हुए बौद्ध महासभा के एक कार्यक्रम में ये 22 प्रतिज्ञाएं दोहराई गई, जिसके बाद से विवाद शुरू हो गया। न सिर्फ भाजपा, हिंदूत्ववादी संगठन, आइटी सेल बल्कि गोदी मीडिया भी इन शपथ को सुनकर अपना आपा खो बैठा।

इसी सिलसिले में 7 अक्टूबर को एबीपी न्यूज़ के कार्यक्रम हुंकार में इस मुद्दे पर एंकर रुबिका लियाकत ने डिबेट कराई, जिसका शीर्षक था रत वाली शपथ। कार्यक्रम में रुबिका लियाकत ने इस बात पर आपत्ति जाहिर की कि दस हज़ार लोग एक साथ शपथ क्यों ले रहे हैं और दावा किया कि आंबेडकर ने ये प्रतिज्ञाएं और दीक्षा अकेले ली थी।

इस लिंक पर क्लिक करके आप वीडियो देख सकते हैं, 41 मिनट के आस-पास वो ऐसा कह रही हैं।

पूरी बहस में तर्क दिया जा रहा था कि धर्म परिवर्तन तो व्यक्तिगत मामला है अगर दस हज़ार लोग इसमें शामिल हो रहे हैं तो ये किसी रणनीति का हिस्सा लगता है। हिंदू धर्म को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। इसी तर्क की पुष्टि करने के लिए रुबिका लियाकत ने कहा कि मैं एक तथ्य बताना चाहती हूं कि आंबेडकर ने जब ये काम किया तो अकेले किया। उन्होंने दस हज़ार लोगों को शपथ नहीं दिलवाई। ये उनकी अपनी आस्था थी

अब सवाल उठता है कि क्या ये सच है? क्या सचमुच बाबा साहेब आंबेडकर ने अकेले दीक्षा और प्रतिज्ञाएं ली थीं?आइये पड़ताल करते हैं। लेकिन पहले मामले को समझते हैं।

क्या है मामला?

गौरतलब है कि पांच अक्टूबर को को दिल्ली में बौद्ध महासभा का आयोजन किया गया जिसमें दिल्ली के तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम भी शरीक हुए। कार्यक्रम में वही 22 प्रतिज्ञाएं ली गईं जो बौद्ध धर्म अपनाते हुए 1956 में बाबा साहेब आंबेडकर ने ली थीं। कार्यक्रम में लगभग दस हज़ार लोगों ने ये प्रतिज्ञाएं ली और मंच पर दिल्ली सरकार के उस समय के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम भी मौजूद थे और शपथ ले रहे थे। उनका शपथ लेते हुए ये वीडियो तेजी से वायरल होने लगा और आपत्तियां आने लगीं। इन 22 प्रतिज्ञाओं में से शुरु की आठ प्रतिज्ञाओं पर हिंदूत्ववादी संगठनों और भाजपा को गहरी आपत्ति हुई और कहा जाने लगा कि हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया है। ये प्रतिज्ञाएं इस प्रकार हैं-

  • मैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश में कोई विश्वास नहीं रखूंगा और  ही इनकी पूजा करूंगा।
  • मैं राम और कृष्ण में कोई विश्वास नहीं रखूंगा और न ही इनकी पूजा करूंगा।
  • मैं गौरी, गणपति और हिंदू धर्म के अन्य देवी-देवताओं में कोई विश्वास नहीं रखूंगा और न ही इनकी पूजा करूंगा।
  • मैं भगवान के अवतार के सिद्धांत में कोई विश्वास नहीं रखूंगा।
  • मैं इस बात पर विश्वास नहीं करता कि भगवान बुद्ध विष्णु के अवतार हैं। ये एक दुष्टतापूर्ण और झूठा प्रचार है।
  • मैं न श्राद्ध करूंगा और न ही पिंडदान।
  • मैं कोई भी आयोजन ब्राह्मणों द्वारा नहीं कराऊंगा।

प्रतिज्ञाएं 14 अक्टूबर 1956 को बाबा साहेब आंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाते हुए अपने लाखों समर्थकों के साथ ली थीं। अगर आप सभी 22 प्रतिज्ञाएं पढ़ना चाहते हैं तो बाबा साहेब अंबेडकरः लेख और भाषण, भाग-तीन पुस्तक के पृष्ठ संख्या 530 पर सभी प्रतिज्ञाएं पढ़ सकते हैं। इस पुस्तक को भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय द्वारा प्रकाशित किया गया है।

इस घटना के बाद भाजपा ने आम आदमी पार्टी और राजेंद्र पाल गौतम को निशाना बनाया। राजेंद्र पाल गौतम पर आरोप लगाया कि उन्होंने हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया है। भाजपा के प्रवक्ता हरीश खुराना सहित, भाजपा सांसद मनोज तिवारी और कपिल मिश्रा ने भी राजेंद्र पाल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। यहां तक कि आम आदमी पार्टी ने भी किनारा कर लिया। राजेंद्र पाल गौतम के खिलाफ एफआइआर दर्ज़ करा दी गई और उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

रुबिका लियाक़त के दावे की पड़ताल

पहली बात तो ये है कि अगर इस दावे का भी आपको फ़ैक्ट-चेक पढ़ना पड़े तो ये काफी दुख की बात है। क्योंकि आंबेडकर द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा एक बहुत ही पॉपुलर घटना थी और सामाजिक-राजनैतिक मुद्दों में दिलचस्पी रखने वाले सब लोग जानते हैं कि आंबेडकर ने जब नागपुर में बौद्ध धर्म की दीक्षा ली तो उस वक्त लाखों लोग मौजूद थे। बाबा साहेब ने हिंदू धर्म का त्याग करते हुए और देवी-देवताओं के जंजाल को तोड़ते हुए एक मुक्त इंसान की कल्पना की थी।

'आज तक' की एक रिपोर्ट के अनुसार आंबेडकर के साथ 3 लाख 80 हज़ार दलितों ने हिंदू धर्म को त्याग कर बौद्ध धर्म की दीक्षा ली थी। एनसीईआरटी के एक अध्ययन के अनुसार बाबा साहेब आंबेडकर की दीक्षा के दौरान 6 लाख लोग मौजूद थे। क्या रुबिका लियाकत इस महत्वपूर्ण तथ्य को नहीं जानतीं? या फिर उन्होंने जानबूझकर ऐसा झूठ इसलिये बोला है कि वाट्सऐप पर एक और फेक प्रोपेगंडा वायरल करने के लिए आइटी सेल को कंटेट मिल सके? या फिर ये तथ्य उन्होंने खुद वाट्सऐप यूनिवर्सिटी से उठाया है? क्या उनके शोध का स्तर का यही है?

निष्कर्ष

एनसीईआरटी के एक अध्ययन के अनुसार उस कार्यक्रम में 6 लाख लोग शरीक हुएथे। आज तक की एक रिपोर्ट में लिखा है कि बाबा साहेब के साथ 3 लाख 80 हज़ार लोगों ने धर्म परिवर्तन किया था। इसे दुनिया का सबसे बड़ा धर्म परिवर्तन भी कहा गया है। इस प्रकार स्पष्ट है कि रुबिका लियाकत का ये दावा कि आंबेडकर ने अकेले शपथ ली थी बिल्कुल ग़लत है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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