Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

पड़ताल : एनकाउंटर और 'हाफ एनकाउंटर' के आईने से झांकते गंभीर सवाल

आरोप 'हाफ एनकाउंटर' से लेकर हिरासत में मौत को लेकर भी हैं। आज़मगढ़ ज़िले की कुछ ऐसी ही केस स्टडीज़ को फिर खंगाला गया। पढ़िए यह ख़ास रिपोर्ट
encounter

अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस कस्टडी में हत्या को लेकर यूपी पुलिस पर संदेह की कई उंगलियां उठ रही हैं। इससे पहले भी यूपी पुलिस पर गंभीर आरोप लगते रहे हैं। आरोप 'हाफ एनकाउंटर' से लेकर हिरासत में मौत को लेकर भी हैं। हमने आज़मगढ़ जिले की कुछ ऐसी ही केस स्टडीज़ को फिर से खंगाला।

पिछले दिनों ईद से पहले हम पहुंचे आ़जमगढ़ जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर दूर पवई प्रखंड के हाजीपुर कुदरत गांव। शाम का वक्त था और ज़ियाउद्दीन का परिवार इफ्तार की तैयारी में जुटा था। जियाउद्दीन की मौत हुए दो साल का वक्त गुज़र चुका है, लेकिन परिवार अब भी सदमे से उबर नहीं पा रहा है। आरोप है कि दो बच्चों के पिता ज़ियाउद्दीन की मौत पुलिस कस्टडी में हुई। इस मामले में एसओजी टीम के प्रभारी समेत आठ अज्ञात पर मर्डर का केस दर्ज किया गया था। जिला प्रशासन की ओर से इस मामले की जांच

शहाबुद्दीन, ज़िया का भाई

एसडीएम से कराने के आदेश भी दिए गए थे। परिवार का आरोप है कि अंबेडकर नगर में पुलिस हिरासत में कथित तौर पर यातना की वजह से ज़ियाउद्दीन की मौत हो गई थी।

ज़ियाउद्दीन

उनके भाई शहाबुद्दीन को वो दिन अच्छी तरह याद है, वे बताते हैं कि - “24 मार्च 2021 को भाई रिश्तेदार के घर जाने के लिए निकले थे। लेकिन जब वो नहीं लौटे तो हमने रिश्तेदारियों में पता किया। वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला। इसके बाद 25/26 मार्च की दरम्यानी रात एक फोन आता है कि ज़िया की तबीयत ठीक नहीं है इतना कहने के बाद फोन कट जाता है। फोन की जानकारी तो नहीं कहां से आया लेकिन जब हमने ट्रू कॉलर पर चेक किया तो एसओजी का नंबर था।

इसके बाद हमारे यहां थाना पवई से फोन आया। जिसके बाद हमारे बड़े अब्बा के बेटे के साथ-साथ एक रिश्तेदार और पड़ोसी के घर फोन आया, बताया कि भाई की तबीयत ठीक नहीं है । जब स्पष्ट तरीके से कुछ पता नहीं चला तो यहां के विधायक के पास गए लेकिन उनका भी फोन किसी ने नहीं उठाया। थोड़ी देर बाद एसओजी का नंबर लगा तो उन्होंने बताया कि पूछताछ के लिए ज़िया भाई को पुलिस ने उठाया था। इसी दौरान उन्हें हार्ट अटैक आ गया है, वो सरकारी अस्पताल में भर्ती हैं। जब हम अस्पताल गए तो देखा कि उन्हें इतनी बुरी तरह से पीटा गया था कि उनकी पूरी बॉडी पर निशान थे।"

हालांकि इस इलाके में काम कर रहे कार्यकर्ताओं की मानें तो मामला ज्यादा संगीन है, रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने बताया, "घटना से डेढ़ महीने पहले से अंबेडकर नगर से लूट के एक मामले की जांच चल रही थी। पुलिस ने आजमगढ़ से चार लोगों को उठाया था और उनमें जियाउद्दीन भी था।" राजीव यादव का आरोप है कि "पुलिस चार्जशीट से उसका नाम हटाने के लिए जियाउद्दीन से करीब तीन लाख रुपये की मांग कर रही थी। उसने लगभग 1.2 लाख रुपये का भुगतान किया था और बाकी की राशि का भुगतान करने में असमर्थ था। चूँकि वह उन्हें अधिक पैसे देने में सक्षम नहीं था, इसलिए एसओजी टीम ने उसे तब उठाया जब वह जौनपुर जिले के बद्दोपुर गाँव में एक रिश्तेदार के यहाँ जा रहा था।”

अब इतने दिन बीत जाने के बाद भी इस केस में कोई गति देखने को नहीं मिली है। अभी तक मामले में कोई चार्जशीट तक दाखिल नहीं हुई है।

न्याय के इंतज़ार में आज़मगढ़ के ही मंगरावा के कामरान का परिवार भी है। खेतों से सटे घर को देखकर पता लगाया जा सकता है की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। एसटीएफ ने 27 अक्टूबर 2021 को लखनऊ के मड़ियांव में एक एनकाउंटर में दो अपराधियों को मारने का दावा किया था। जिनमें से एक की पहचान शेर खान के तौर पर हुई थी,जिस पर एक लाख का इनाम था। जबकि दूसरे की पहचान कामरान के रूप में हुई थी जिसे 25 हज़ार का इनामी बदमाश बताया गया।

कामरान को लेकर पुलिस की थ्योरी पर परिवार वाले गंभीर सवाल उठा रहे हैं। परिवार का दावा है कि कामरान की हत्या साजिश के तहत की गई और इसे एनकाउंटर की तरह दिखाया गया है। मृतक के भाई इमरान अपनी चारपाई पर सिकुड़ते हुए बताते हैं कि "कामरान की प्रधानी इलेक्शन के मामले को लेकर थोड़ी तू-तू मैं-मैं थी। मौत से 15 दिन पहले लड़कों से एक झगड़ा भी हुआ था लेकिन वो पानी का प्लांट चलाता था और उसका किसी भी तरह की आपराधिक गतिविधि से कोई लेना देना नहीं था।

इमरान, इमरान, कामरान का भाई

इमरान आगे कहते हैं कि "उस दिन मेला लगा हुआ था। पांच बजे कामरान यहीं पास के गांव के मैदान में वॉलीवॉल खेल रहा था। यहीं से पुलिस ने उसे पकड़ा और मार दिया।" इतना कहने पर इमरान थोड़ा ठहरते हैं और फिर बात पूरी करते हैं कि "वारदात के बाद थानेदार यहां आठ बजे आया और गांव से जुड़ी दुकान से पानी की बोतल मांगी, फिर बोला- तुम्हारा मंगरावा का जो कामरान है, उसका लखनऊ में एनकाउंटर हो गया है।'' इमरान मेरी ओर देखते हुए कहते हैं कि ऐसा कैसे संभव है। जो शख्स 5 बजे आजमगढ़ में हो, वो साढ़े आठ बजे लखनऊ में कैसे हो सकता है ?

कामरान

दरअसल वो एसटीएफ के उस दावे पर सवाल उठा रहे थे, जिसके मुताबिक अली शेर और कामरान को लखनऊ में जवाबी फायरिंग के दौरान एनकाउंटर में मार गिराया गया था।

एसटीएफ की टीम की अगुवाई कर रहे एसपीसी विशाल विक्रम सिंह ने दावा किया था कि ये दोनों लोग एक प्रमुख व्यापारी नेता को मारने की योजना बना रहे थे। गुप्त सूचना मिलने पर जब घेराव के बात दोनों से सरेंडर करने को कहा गया तो उन्होंने एसटीएफ टीम पर फायरिंग कर दी। जवाबी कार्रवाई में गोली लगने से दोनों को भाऊराव देवरस अस्पताल ले जाया गया जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया ।

इमरान कहते हैं - "जब वो कामरान का शव घर लेकर आए तो देखा कि उसकी कलाई टूटी हुई है। दो दांत टूटे हुए हैं। गले पर रस्सी बांधे जाने के निशान थे और आंखें फोड़ी गई थी, ये कैसा एनकाउंटर है ? परिवार इस मामले की जांच की मांग कर रहा है।"

कामरान का घर

'हाफ एनकाउंटर'

ज़िले में हाफ एनकाउंटर के केसों को लेकर भी कई तरह के आरोप हैं। हाफ एनकाउंटर यानी हाथ पैर में गोली मारे जाने के आरोप। आम लोग इसे इसी तरह देखते हैं।

मेंहनगर के दीपक यादव के पैर में लगी गोली की कहानी भी खासी जटिल है। पुलिस के मुताबिक 21 जनवरी 2023 को दीपक यादव को गिरफ्तार किया गया। पुलिस का कहना है कि बदरह थानाध्यक्ष चेकिंग कर रहे थे कि सूचना मिली कि दीपक लालगंज से बदरह की ओर आ रहा है, थोड़ी देर बाद एक बाइक सवार दिखाई दिया और पुलिस को देख उसने बाइक घुमाने की कोशिश की इसी दौरान दोनों ओर से हुई फायरिंग में उसके पैर में गोली लगी। बताया गया कि दीपक के पास से बिना नंबर की बाइक, देसी पिस्टल और 2500 रुपये भी मिले थे। हालांकि परिवार वालों का कुछ और ही कहना है। उसकी मां आशा देवी कहती हैं कि उनके बेटे को एसओजी ने उस वक्त उठाया जब इलाहाबाद से वापस आजमगढ़ के लिए निकला था। वो कुंभ नहाने गया था। आशा देवी कहती हैं कि बस रोककर एसओजी ने उठाया उस बस के ड्राइवर और कंडक्टर ने इस बात की तस्दीक की है।

आशा देवी

आशा देवी आरोप लगाती हैं कि पुलिस ने उसे 15 जनवरी को उठाया और सात दिन तक मुबारकपुर थाने में रखा। सातवें दिन लालगंज में मुठभेड़ दिखा कर गोली मारी। वे कहती हैं - "उसे पैर में गोली मारकर छह सात मर्डर केस लगा दिए हैं। गैंगस्टर भी लगा दिया है। लालगंज थाने में गई तो पुलिस ने कहा कि तुम्हारा बेटा सीसीटीवी कैमरे में आया है, मैंने कहा कि सड़क पर कोई भी सीसीटीवी कैमरे में दिखेगा तो अपराधी हो जाएगा क्या?” रोते हुए आशा देवी ने कहा, "उस का पैर हमेशा के लिए खराब हो गया है, बोला उठने बैठने में दिक्कत है। परिवार का कहना है कि उसके खिलाफ़ लगे आरोपों में से कई बिल्कुल फर्ज़ी हैं।

सरायमीर आज़मगढ़ के पवई लाडपुर के सतीराम ने भी अपने बेटे को तीन साल से नहीं देखा है। 11 मई 2018 का दिन उन्हें अच्छी तरह याद है। उस दिन खबर आई कि उनके बेटे को पैर में दो गोली लगी हैं। पुलिस के मुताबिक सरायमीर थाने के पास पुलिस ने अजय यादव को गिरफ्तार किया था। अजय पर 25 हजार का इनाम था। गौरतलब है कि पुलिस का दावा था कि अजय को जिस वक्त गिरफ्तार किया गया वो अपने दो साथियों के साथ किसी घटना को अंजाम देने के लिए जा रहा था । मीडिया में छपी रिपोर्ट्स के मुताबिक लॉकअप से भागने के दौरान उसने पुलिसवालो पर फायरिंग की जिसके बाद पुलिस ने जवाबी गोली चलाई, जो उसके पैर में लगी।

सतिराम यादव, अजय के पिता

हालांकि अजय के पिता सतिराम यादव कहते हैं कि वो सऊदी अरब में काम करता था। उसका मोबाइल चलाने को लेकर दूसरे लड़कों से झगड़ा हुआ था जिसके बाद उसे साजिशन पकड़वाया गया। परिवार का आरोप है कि उसे पैर में बोरा बांधकर गोली मारी है। बाद में जब वो जेल से बाहर आया तो पुलिस उस पर मुखबिर बनने का दबाव डाल रही थी। जिसके बाद वो घर से भागा तो आज तक नहीं आया। पैर हमेशा के लिए खराब हो चुका है और वो लंगड़ा कर चलता है।

उत्तर प्रदेश सरकार का खुद का आंकड़ा कहता है कि पिछले छह सालों में राज्य में पुलिस और अपराधियों के बीच 10 हजार से ज्यादा एनकाउंटर हुए जिनमें 178 लोग मारे गए हैं। बात अगर हिरासत में मौत की करें तो जुलाई 2022 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि साल 2021-22 में हिरासत में कुल 501 मौतें अकेले यूपी में हुईं, जो देश में कस्टोडियल डेथ (2544) का 1/5 हिस्सा है। जबकि इससे पहले यानी 2020-21 में हिरासत में मौत के 451 मामले दर्ज किए गए थे।

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

इसे पढ़ें: पड़ताल: क्या यूपी 'एनकाउंटर प्रदेश' बन गया है!

इसे देखें: Encounters और हत्याओं के बीच पुलिस पर उठ रहे सवाल

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest