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इराक़ ने अमेरिका से देश से अपने सैनिकों की वापसी में तेज़ी लाने के लिए कहा

साल 2003 में नाटो के नेतृत्व में आक्रमण के बाद तेल समृद्ध इस देश में अमेरिकी सैनिकों को तैनात किया गया था जिसे 2011 में वापस बुलाया गया लेकिन आईएसआईएस के उभार के बाद 2014 में फिर से तैनात किया गया।
इराक़ ने अमेरिका से देश से अपने सैनिकों की वापसी में तेज़ी लाने के लिए कहा

इराक की सरकार ने अमेरिकी सैनिकों की देश से वापसी के लिए एक निश्चित समयसीमा तय करने के अपने प्रयासों को बढ़ा दिया है। मीडिया की विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार मुस्तफा अल-कदीमी के नेतृत्व वाली सरकार चाहती है कि सभी विदेशी सैनिक इस साल अक्टूबर में निर्धारित चुनाव से पहले देश छोड़ दें।

देश की आधिकारिक समाचार एजेंसी इराकी न्यूज एजेंसी ने गुरुवार को बताया कि देश के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने सुरक्षा सहयोग का नए चरण और इराक के बाहर लड़ाकू सैनिकों की तैनाती के लिए अमेरिकी राजदूत से मुलाकात की ताकि ट्रांजिशन के संबंध में तीसरे दौर की रणनीतिक वार्ता के परिणामों को लागू करने के लिए उनकी बैठक में तेजी लाई जा सके।"

देश में अमेरिकी सेना की मौजूदगी लगातार परेशानी का सबब बन गई है क्योंकि कई मिलिशिया समूह रोजाना इन सैनिकों के ठिकानों पर मिसाइल से हमले करते हैं। बुधवार 14 अप्रैल को एक ड्रोन ने एक बेस पर विस्फोटक गिराया जो उत्तरी एरबिल शहर में अमेरिकी सैनिकों का ठिकाना था।

यह देश में विपक्ष के लिए रैली करने का स्थल बन गया है क्योंकि सैनिकों की वापसी की मांग को लेकर कई विरोध प्रदर्शन किए गए हैं। सैनिकों की उपस्थिति ईरान और इराक के बीच भी एक मुद्दा बन गई है क्योंकि ईरान ने बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में अपने रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (आईआरजीसी) के कमांडर की पिछले वर्ष हुई हत्या के बाद सभी विदेशी सैनिकों को इस क्षेत्र से हटाने के लिए मजबूर करने का संकल्प लिया है।

इराक ने इस ड्रोन हमले को अपनी संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया था और इसकी संसद ने एक प्रस्ताव पारित कर विदेशी सैनिकों को देश से बाहर करने को कहा था।

इन हमलों के बाद डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने बड़ी संख्या में अपने सैनिकों के "सुरक्षित ठिकानों" पर फिर से तैनात किया था और साथ ही सैनिकों की संख्या को घटाकर 2500 करने की घोषणा की थी।

जो बाइडन प्रशासन ने इस देश से सैनिकों को वापस लेने की इच्छा व्यक्त की थी और इसके लिए एक समयसीमा तय करने में विफल रहा।

8 अप्रैल को हुई बातचीत पर प्रतिक्रिया देते हुए मुस्तफा कादिमी ने ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा था कि इराकी लोग "शांति, सुरक्षा और समृद्धि में रहने के लायक हैं"।

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