इज़रायल ने कहा, फ़िलिस्तीन में युद्ध अपराधों में आईसीसी जांच में सहयोग नहीं करेगा

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के कार्यालय ने गुरुवार 8 अप्रैल को एक बयान में कहा कि इज़रायल अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) की कब्जे वाले फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों में किए गए मानवाधिकारों के उल्लंघन और युद्ध अपराधों की जांच में सहयोग नहीं करेगा। इस बयान में कहा गया है कि आईसीसी के पास इजरायल के खिलाफ जांच करने का कोई अधिकार क्षेत्र या अधिकार नहीं है। आगे कहा कि यह "युद्ध के अपराधों के किए गए दावों को खारिज करता है।"
इज़रायल द्वारा आईसीसी जांच में सहयोग न करने का निर्णय उस सहयोग और समन्वय के पूरी तरह उलट है जिसे फिलिस्तीनी सरकार के अधिकारियों ने कब्जे वाले वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में जांच करने का आईसीसी से वादा किया था। इजरायल के साथ साथ फिलिस्तीन की भी इस मामले में जांच की जानी है।
हमास और इस्लामिक जिहाद जैसे फिलिस्तीनी प्रतिरोध समूह भी जांच के दायरे में होंगे और कथित मानवाधिकार उल्लंघनों और युद्ध अपराधों के संबंध में इनका इजरायली सेना के साथ साथ आईसीसी ने नाम लिया था।
बस्ती निर्माण और फिलिस्तीनी जमीनों को जब्त करना, विस्तार करना, फिलिस्तीनियों के घरों और अन्य संपत्तियों को नष्ट करना, साथ ही 2008-09, 2012 और 2014 में गाजा में किए गए हिंसक सैन्य हमलों के साथ साथ इजरायल द्वारा गाजा की वायु, भूमि और समुद्री नाकेबंदी, गाजा-इज़रायल की सीमा पर ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न को लेकर विरोध प्रदर्शन का दमन, वेस्ट बैंक में नियमित सैन्य कार्रवाई और छापे के चलते हजारों फिलिस्तीनी लोगों की हत्याएं हुई हैं और बड़ी संख्या में लोग घायल हुए हैं।
आईसीसी के मुख्य अभियोजक फतोऊ बेन्सौडा ने इस साल 3 मार्च को घोषणा की थी कि 13 जून 2013 से लेकर अब तक कब्जे वाले फिलिस्तीनी क्षेत्रों में युद्ध अपराधों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की जांच की जाएगी। एक आईसीसी के फैसले के बाद जिसमें कहा गया था कि वह इजरायल द्वारा कब्जे के अधीन फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर क्षेत्रीय अधिकार का उपयोग कर सकता है।
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