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इज़रायली सेटलर को फ़िलिस्तीनी परिवार के तीन सदस्यों की हत्या के मामले में जेल की सज़ा

दोषी का संबंध इज़रायल में "हिलटॉप यूथ" समूह से है जो ऐतिहासिक फ़िलिस्तीन से ग़ैर-यहूदी का नस्लीय सफाया करना चाहता है।
इज़रायली सेटलर को फ़िलिस्तीनी परिवार के तीन सदस्यों की हत्या के मामले में जेल की सज़ा
हमले के बाद दवाबशेह परिवार का घर 

साल 2015 में इज़रायल के चरमपंथी सेटलर ने फिलिस्तीनी दवाबशेह परिवार के कई सदस्यों को नबलूस के निकट क़ब्ज़े वाले वेस्ट बैंक के गांव डूबा में स्थित उनके घर में मार दिया था। इस सेटलर को लेकर सोमवार 14 सितंबर को अदालत द्वारा तीन लाइफ सेंटेंस की सजा सुनाई गई थी। अमीराम बेन- उलियेल ने 31 जुलाई 2015 को मोलोतोव कॉकटेल के ज़रिए एक घर में आग लगा दी थी जिससे घर जल कर खाक हो गया और एक 18 महीने के शिशु अली दवाबशेह सहित दवाबशेह परिवार के तीन सदस्यों की हत्या कर दी थी। अली के माता-पिता, रिहम और साद ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया। इस आतंकवादी हमले का एकमात्र जीवित बच्चा चार वर्षीय अहमद था जो बमुश्किल गंभीर रूप से जले हुए घाव से बचने में कामयाब रहा।

25 वर्षीय अमीराम बेन-उलीयेल को इस साल मई महीने में हत्या के तीन मामलों और हत्या के प्रयास के दो मामलों में दोषी ठहराया गया था। तीन लाइफ सेंटेंस के अलावा उसे अन्य आपराधिक आरोपों के लिए और 40 साल की जेल की सजा मिली थी जिसके लिए उसे दोषी ठहराया गया था। इस सजा में घृणित अपराध करने की साजिश भी शामिल थी। जिन आरोपों से उसे बरी किया गया था उनमें से एक 'आतंकवादी संगठन से संबंधित' होने का मामला था हालांकि वह 'हिलटॉप यूथ' समूह का सदस्य हो जो एक कट्टरपंथी समूह जिसमें कट्टरपंथी, अतिराष्ट्रवादी यहूदी सेटलर शामिल हैं जो दावा करते हैं कि उन्हें फिलिस्तीन से सभी गैर- यहूदी को निकालने का अधिकार है। इस समूह के सदस्य फिलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ कई हिंसक कृत्यों में शामिल रहे हैं।

अमीराम का एक साथी जो इस हमले के समय नाबालिग था उसको एक आतंकवादी संगठन का सदस्य होने के साथ-साथ आगजनी की घटना को अंजाम देने की साजिश का दोषी ठहराया गया था। इसने अभियोजकों के साथ समझौता किया है और बुधवार को सजा सुनाए जाने की उम्मीद है। इस समझौते के अनुसार, अभियोजक उसके लिए सजा के तौर पर साढ़े 5 साल से अधिक जेल की सजा नहीं मांगेंगे।

अपने फैसले में अदालत ने कहा कि आतंकवादी की "ये कार्रवाई पूरी तरीके से योजनाबद्ध थी और कट्टरपंथी विचारधारा से उपजी थी और नस्लवादी थी।"

हालांकि, इज़रायल की एजेंसियों ने "यहूदी आतंकवाद के ख़िलाफ़ संघर्ष में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर" बताते हुए इस फैसले का स्वागत किया है। अहमद के दादा हुसैन दवाबशेह ने इस फैसले के बाद संवाददाताओं से कहा कि, "इससे उन्हें कुछ भी वापस नहीं मिलेगा"।

दोषसिद्धी और सज़ा देना भी अपवाद है क्योंकि अधिकतर मामलों में जिसमें फिलिस्तीनियों के ख़िलाफ़ इज़रायली आतंकवादी हमले और घृणित अपराध शामिल हैं उनमें दोषी की या तो दोषसिद्धी नहीं होती या तो मामूली सजा के तौर पर सामाजिक सेवा या कुछ महीनों के लिए जेल की सजा दी जाती है जो न्याय का पूरा मज़ाक है।

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