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गुइलियो रेगेनी अपहरण व हत्या मामले में ईजिप्ट के अधिकारियों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्यवाही की इटली का मांग

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के पीएच.डी. के छात्र रेगेनी ईजिप्ट के ट्रेड यूनियनों पर शोध कर रहा था और साल 2016 में ईजिप्ट में क्षेत्रीय दौरे के दौरान रेगेनी का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी।
गुइलियो रेगेनी

इटली के सरकारी वकील ने मिस्र के चार राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की। इन अधिकारियों में मेजर जनरल तारिक सेबर, कर्नल आसर कामेल मुहम्मद इब्राहिम, कर्नल हुसाम हेलमी और मेजर इब्राहिम अब्देल अल-शरीफ शामिल हैं जिनको 2016 में इटली के एक छात्र गुइलियो रेगेनी के अपहरण व हत्या के लिए जिम्मेदार के रूप में पहचाना गया।

आरोपी के रुप में मिस्र के इन चारों अधिकारियों की पहचान पिछले साल दिसंबर में एक संसदीय समिति की जांच के आधार पर की गई। इटली के जांचकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि मिस्र के चार जनरल इंटेलिजेंस सर्विस कर्मियों ने रेगेनी के शरीर के अंग के कुछ हिस्सों को जलाकर और उसकी हत्या करने से पहले अन्य शारीरिक यातनाएं पहुंचाकर कम से कम चालीस दिनों तक प्रताड़ित किया।

इटली के छात्र गुइलियो रेगेनी को अज्ञात हमलावरों द्वारा जनवरी 2016 में उस समय अपहरण कर लिया गया था जब वह मिस्र के ट्रेड यूनियन आंदोलनों और स्ट्रीट वेंडर के बीच उनकी गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए काहिरा में उतरा था। वह उस समय कैंब्रिज विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रहा था और अपने शोध के लिए मिस्र की ट्रेड यूनियनों में काम कर रहा था।

हालांकि मिस्र की सरकार ने इस जांच रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और देश में आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने या उन्हें इटली में प्रत्यर्पित करने की अनुमति से इनकार कर दिया था। मिस्र के सरकारी वकील ने दिसंबर के आखिरी सप्ताह में दावा किया था कि मामले को आगे बढ़ाने का कोई मतलब नहीं है क्योंकि जांच इस अपराध के अपराधियों की पहचान करने में विफल रही है। इसने इटली द्वारा नामित चार अधिकारियों को आरोपी के रूप में मानने से इनकार कर दिया।

इटली के विदेश मंत्रालय ने इस मामले को बंद करने से इनकार कर दिया था और मिस्र की सरकार से सहयोग की मांग की थी। इटली में संसदीय समिति के प्रमुख ने इस जांच को बंद करने के मिस्र के फैसले को "शर्मनाक" करार दिया था। मिस्र की सरकार द्वारा चार अधिकारियों के खिलाफ मामले को बंद करने के फैसले की यूरोपीय संसद और कई मानवाधिकार संगठनों ने भी आलोचना की है।

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