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किस तरह JSW अपने पूर्व कर्मचारियों के ज़रिये भूषण पावर का प्रबंधन कर रही है?

क़र्ज़ तले दबी भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड को JSW द्वारा फिर खड़ा किया जाना था। हालांकि सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाली फ़र्म ने BPSL की नीलामी राशि 19,350 करोड़ रुपये को अब भी जारी नहीं किया है। JSW का कहना है कि कंपनी तय रेज़ोल्यूशन प्लान को तब तक लागू नहीं करेगी, जब तक सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक मामले में फ़ैसला नहीं आ जाता। अब सवाल उठ रहे हैं कि कैसे JSW के पुराने कर्मचारी BPSL में फ़ैसले ले रहे हैं, इससे IBC कोड के शब्दों और भावना को ठेस पहुंचती है।
 JSW

JSW स्टील लिमिटेड (JSW) के पूर्व कर्मचारियों के एक समूह ने कर्ज़ के तले दबी और पतली हालत वाली भूषण पॉवर एंड स्टील लिमिटेड (BPSL) में वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियां ली हैं, इन कर्मचारियों का नेतृत्व सज्जन जिंदल कर रहे हैं। यह नियुक्तियां तब ली गई हैं, जब JSW ने BPSL के उधार देने वालों को 19,350 करोड़ रुपये की बकाया राशि नहीं दी है। इन उधारदाताओं में दो दर्जन भारतीय और विदेशी बैंक, वित्तीय संस्थान और देश-विदेश के निजी संस्थान शामिल हैं। 

BPSL बहुत बड़े कर्ज़ के तले दबी बेहद बीमार कंपनी है। ओडिशा के झारसुगुडा, कोलकाता और चंडीगढ़ के इसके तीन संयंत्रों समेत दिल्ली, कोलकाता सहित 32 जगहों पर इसके ब्रॉन्च ऑफिसों में करीब 19,000 कर्मचारी काम करते हैं।

JSW के वरिष्ठ कर्मचारियों की BPSL में नियुक्ति, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT), नई दिल्ली में चली लंबी दिवालिया प्रक्रिया के बाद हुई हैं। यह नियुक्तियां BPSL के मॉनिटरिंग प्रोफेशनल महेंद्र कुमार खंडेलवाल और अकाउंटिंग फर्म "अर्नेस्ट एंड यंग" द्वारा प्रबंधित और नियोजित नज़र आती हैं। अर्नेस्ट एंड यंग (EY) को जनवरी में BPSL के संचालन और प्रबंधन (O&M) की देखरेख करने वाली एजेंसी के तौर पर नियुक्त किया गया था।

यह नियुक्तियां BPSL की संचालन समिति की सहमति के बाद हुई हैं। यह कमेटी BPSL के लिए बनाए गए रेज़ोल्यूशन प्लान के क्रियान्वयन को देख रही है। तो यहां दिक्कत क्या है?

इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड (IBC) 2016 के तहत, जब निर्णय करने वाली संस्था रेज़ोल्यूशन प्लान पर सहमति दे देती है, तो प्रस्ताव पर काम करने वाले पेशवरों की भूमिका ख़त्म हो जाती है। लेकिन इस मामले में, जो दस्तावेज़ लेख के लेखक के पास आए हैं, उनसे इशारा मिलता है कि BPSL के पुराने रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल खंडेलवाल ने बतौर रेजोल्यूशन प्रोफेशनल सर्कुलर जारी और ई-मेल भेजना करना चालू रखा। यह स्वाभाविक नहीं लगता। यह अनियमित, यहां तक कि अवैधानिक भी हो सकता है।

12 अगस्त की शाम में लेखक ने इलेक्ट्रॉनिक मेल के ज़रिए एक प्रश्नावली 28 सार्वजनिक और निजी बैंकों, वित्तीय संस्थानों और निजी संस्थानों को भेजी। इनमें देश और विदेश दोनों जगह के संस्थान शामिल थे। यह प्रश्नावली उन संस्थाओं को भेजी गई जिन्होंने अतीत में BPSL को कर्ज़ दिया था। एक दूसरी प्रश्नावली खंडेलवाल को ई-मेल की गई। अगली सुबह, मतलब 13 प्रश्नावलियां सज्जन जिंदल, चेयरमैन, JSW स्टील समूह और EY इंडिया के चेयरमैन और क्षेत्रीय प्रबंध साझेदार राजीव मेमानी को भेजी गईं। 

EY के एक प्रवक्ता की तरफ से ई-मेल के ज़रिए एक छोटा सा वक्तव्य आया, जिसे इस लेख के बाद के हिस्से में दर्शाया गया है। लेख में JSW समूह के "ग्रुप जनरल काउंसल" की तरफ से भेजा गया छोटा सा वक्तव्य भी शामिल किया गया है। एक्सिस बैंक के कॉरपोरेट कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट के हेड ने एक पंक्ति में जवाब देत हुए कहा कि बैंक की नीति के मुताबिक़, "बैंक अपने मुवक्किल से जुड़ी जानकारियों पर टिप्पणी नहीं करता।"

इस लेख के प्रकाशित होने तक, उपरोक्त बताई गई प्रतिक्रियाओं के अलावा किसी ने जवाब नहीं दिया है। जब इन लोगों के जवाब आएंगे, तो उन्हें लेख में शामिल कर दिया जाएगा।

BPSL की इंसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन प्रक्रिया

2017 में पंजाब नेशनल बैंक ने BPSL के खिलाफ़ IBC कोड के तहत दिवालिया प्रक्रिया चालू की। 26 जुलाई, 2017 को NCLT ने BPSL के खिलाफ़ दिवालिया याचिका को स्वीकार कर लिया और कंपनी के खिलाफ़ दिवालिया प्रक्रिया औपचारिक तरीके से शुरू हो गई। 5 सितंबर 2019 को ट्रिब्यूनल ने JSW के पक्ष में रेज़ोल्यूशन प्लान को सहमति दे दी, जिसे BPSL को उधार देने वाले देनदारों की समिति (CoC) ने भी स्वीकार कर लिया।

JSW ने इसके बाद नेशनल कंपनी लॉ एपीलेट ट्रिब्यूनल (NCALT) के सामने रेज़ोल्यूशन प्लान रखा। 17 फरवरी, 2020 को एपीलेट ट्रिब्यूनल ने NCLT के आदेश को कुछ बदलावों के साथ मान्यता दी। NCLAT ने निर्देश दिया कि रेज़ोल्यूशन प्लान को तुरंत NCLT द्वारा बताए गए निर्देशों और सुझाए गए नए बदलावों के साथ लागू किया जाना चाहिए।

नियम के हिसाब से JSW को देनदारों की समिति (CoC) सामने नीलामी मूल्य जारी करना था, यह NCLAT द्वारा दिए गए आदेश के एक महीने के भीतर किया जाना ता। लेकिन JSW ने राशि जमा करने के पांच महीने होने के बाद भी 19,350 करोड़ रुपये की राशि जारी नहीं की है।

टेलीविज़न न्यूज़ चैनल CNBC-TV18 को दिए एक स्टेटमेंट में JSW ने बताया कि क्यों कंपनी रेज़ोल्य़ूशन प्लान को लागू नहीं करेगी: "मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने विचाराधीन है, पिछली सुनवाई में सभी पक्षों को दो हफ़्ते के भीतर, JSW स्टील द्वारा दिए गए आवेदन की प्रतिक्रिया में जवाब देने को कहा गया है। सुप्रीम कोर्ट के सामने अपील और CoC आवेदन का फ़ैसला लंबित है, ऊपर से BPSL की संपत्तियों को ED (एनफोर्समेंट डॉयरेक्टोरेट) ने अटैच कर रखा है, इन वजहों से रेज़ोल्यूशन प्लान को पूरा कर पाना संभव नहीं है।"

रेज़ोल्य़ूशन प्लान को लागू ना करने के पीछे JSW ने जो तर्क दिया है, उस पर सवाल उठाए जा सकते हैं। पहली बात, किसी भी भारतीय कोर्ट ने रेज़ोल्यूशन प्लान का क्रियान्वयन नहीं रोका है और NCLAT का आदेश सुचारू है। यह सही है कि NCLAT ने अपील लेने के वक़्त रेज़ोल्य़ूशन प्लान को रोका था, लेकिन जब 17 फरवरी को अंतिम आदेश दिया गया, तो रोक को हटा लिया गया।

दूसरी बात, विवाद अभी सुप्रीम कोर्ट के सामने जो विवाद लंबित पड़ा है, वह एक दूसरे मामले से जुड़ा है। उस मामले में BPSL में वित्तीय अनियमित्ताओं की ED से जांच कराने से छूट मांगी गई है। वह अनियमित्ताएं कथित तौर पर BPSL के पूर्व प्रायोजक संजय सिंघल और उनकी पत्नी आरती सिंघल ने की थीं। ED ने सिंघल दंपत्ति और दूसरे पूर्व निदेशकों के खिलाफ़ प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज किया था। इन लोगों पर अलग-अलग बैंकों से 2,348 करोड़ रुपये की लांड्रिंग करने का आरोप है।

वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी 6 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में हाजिर हुए और वित्तीय देनदारों की तरफ से भरोसा दिलाया कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला ED के पक्ष में आता है, तो देनदार JSW से प्राप्त पैसे को वापस कर देंगे।

अंतरिम प्रबंधन तंत्र?

पूरे मामले से जुड़े सूत्रों के मुताबिक़, एक तरफ जहां JSW रेज़ोल्यूशन प्लान को लागू करने या नीलामी की राशि वित्तीय देनदारों को देने की अनिच्छुक लग रही है, तो दूसरी तरफ अपने पूर्व कर्मचारियों और EY टीम के ज़रिए JSW, BPSL में अपने हिसाब से फ़ैसले करवाना चाहती है।  रेज़ोल्य़ूशन प्लान में प्लान पर सहमति की तारीख़ से इसे लागू करने की अंतिम तारीख के बीच, BPSL के प्रबंधन के लिए तंत्र का उल्लेख किया गया है। NCLAT आदेश के पैराग्राफ 140 में रेजोल्य़ूशन प्लान का उल्लेख है। रेज़ोल्यूशन प्लान के पार्ट A में पैराग्राफ 2(a) में बताया गया है कि BPSL का बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर्स, रेज़ोल्यूशन प्लान को सहमति मिलने की तारीख के बाद से ही खाली हो जाएगा और इसे BPSL के अंतरिम प्रबंधन में किसी तरह का हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं है।

रेज़ोल्य़ूशन प्लान में BPSL पर चढ़े कर्ज़ में सबसे बड़े हिस्सेदार, तीन वित्तीय देनदारों के प्रतिनिधियों को एक संचालन कमेटी बनाने को कहा गया है, जो अंतरिम समय में BPSL को चलाने के लिए नया बोर्ड बनाएगा। खंडेलवाल, जो पहले BPSL के रेज़ोल्य़ूशन प्रोफेशनल थे, उन्हें अंतरिम समय में देखरेख के लिए मुख्य अधिकारी बनाया गया है। लेकिन NCLT और NCLAT के आदेश में अंतरिम समय में खंडेलवाल की स्पष्ट भूमिका और उनके द्वारा किए जाने वाले क्रियाकलाप साफ़ नहीं हैं।

खंडेलवाल अंतरिम समय में ज़्यादा से ज़्यादा  BPSL का प्रबंधन देख सकते हैं, एक देखरेख करने वाले अधिकारी के तौर पर उनकी भूमिका किसी भी तरह से अंतरिम मुख्य कार्यपालन अधिकारी नहीं हो सकती है, ना ही वे एक ऐसे अधिकारी हो सकते हैं, जो अपने द्वारा नियुक्त कर्मचारियों द्वारा BPSL के फ़ैसले ले सकता है।

IBC के सेक्शन 23 के मुताबिक़, जैसे ही रेज़ोल्य़ूशन प्लान को फ़ैसला देने वाली संस्था मान्यता देती है, वैसे ही रेज़ोल्य़ूशन प्रोफेशनल के अधिकार खत्म हो जाते हैं। इस तरह खंडेलवाल को बतौर देखरेख अधिकारी जिस तरह दर्जा प्राप्त है, वह कानूनी तौर पर सही नहीं है। अब सवाल उठता है कि आखिर क्यों खंडेलवाल BPSL के कर्मचारियों को देखरेख अधिकारी की अपनी भूमिका में प्रत्यक्ष आदेश जारी कर रहे हैं।

NCLAT के आदेश में पैराग्राफ 140 में बताया गया है कि देखरेख करने वाले अधिकारी को अपने कर्तव्यों के वहन के लिए JSW  के साथ एक "जरूरी समझौता" कर लेना चाहिए। लेकिन खंडेलवाल को किन शर्तों पर नियुक्त किया गया है, उनकी जानकारी सार्वजनिक नहीं है। ना ही खंडेलवाल ने इस बारे में "इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंसाल्वेंसी प्रोफेशनल्स (IIP)" की वेबसाइट पर जानकारी दी है। IIIP, इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड प्रोफेशनल्स का हिस्सा है, जहां खंडेलवाल ने खुद को इंसॉल्वेंसी प्रोफेशनल के तौर पर दर्ज करवाया है। यह इस बिंदु पर गौर करने की जरूरत है कि खंडेलवाल को अपने कर्तव्यों को पालन करने के लिए नए बोर्ड ऑफ डॉयरेक्टर्स पर निर्भर रहना था, जिसे अब तक बनाया ही नहीं गया है।

 

JSW के पूर्व कर्मचारी ले रहे हैं BPSL में फैसले?

7 जनवरी को खंडेलवाल ने IIIP की वेबसाइट पर एक जानकारी सार्वजनिक की, जिसमें बताया गया, "एक जनवरी से EY रिस्ट्रक्चरिंग LLP (लिमिटेड लॉयबिलिटी पार्टनरशिप) को O&M एजेंसी नियुक्त किया गया है।"

BPSl में जो चल रहा है, उससे काफ़ी अच्छे से परिचित एक सूत्र ने न्यूज़क्लिक को पहचान ना जाहिर करने की शर्त पर बताया कि रेजोल्यूशन प्लान में BPSL कारखानों के "ऑपरेशन और मेंटेनेंस" के लिए स्वतंत्र ठेकेदार की नियुक्ति का प्रावधान था, ना कि "ऑपरेशन और मैनेजमेंट" के लिए कोई बात कही गई थी।

एक और सूत्र ने बताया कि 'मेंटेनेंस (देखरेख)' और 'मैनेजमेंट (प्रबंधन)' शब्दों का दस्तावेज़ों में अदला-बदली कर खूब उपयोग किया गया है, इसलिए एजेंसी का दर्जा अस्पष्ट हो गया है।

एक जनवरी, 2020 को जब EY को O&M कांट्रेक्टर नियुक्त किया गया, उस दिन तक NCLT आदेश के खिलाफ़ अपील NCLAT में लंबित पड़ी हुई थी। रेज़ोल्यूशन प्लान को लागू करने की बात ठंडे बस्ते में चली गई।

पहले बेनाम सूत्र ने यह भी बताया कि EY ने SR बाटिलबोई के साथ साझा उपक्रम से SRBC & Co LLP का निर्माण किया है, जो फिलहाल JSW की ऑडिटर है। सूत्र ने आश्चर्य जताते हुए पूछा कि क्या यह हितों का टकराव नहीं है। सूत्र ने यह भी बताया कि इन तथ्यों को खंडेलवाल ने IIP के सामने जाहिर नहीं किया है। खंडेलवाल द्वारा जो जानकारियां सार्वजनिक की गई हैं, उनमें भी नियुक्त किए गए लोगों के नाम समेत दूसरी अन्य बातें भी नहीं बताई गई हैं।

जैसा इस लेख के लेखक ने सर्कुलर देखा है, EY टीम में कुछ व्यक्ति हैं। उनमें से कम से कम 6 ने अतीत में JSW में वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति ली है, अब वे EY टीम का हिस्सा बन गए हैं। यह लोग हैं:

पूचप्पन ससिंद्रन, JSW के पूर्व चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर

रंगाराव R V रामाचंद्रुनी, JSW के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट (कमर्शियल)

बिद्युत कुमार दास, JSW के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट (प्रोजेक्ट)

पोय्यामोझी वेंकटचलम्, JSW के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट

रविंद्रनाथ कोल्ली, JSW के पूर्व वाइस प्रेसिडेंट (प्रोजेक्ट)

मेजर प्रशांत कुमार दास, JSW के पूर्व प्रमुख (मानव संसाधन)

यह सभी 6 लोग, जिन्हें BPSL कारखानों तक EY के बैनर तले पहुंच मिली है, यह लोग अप्रैल 2020 के आसपास अलग-अलग BPSL ऑफिस में नौकरी पर थे। ऐसा लगता है कि BPSL में यही लोग कामकाज चला रहे हैं, बैठक कर रहे हैं और अलग-अलग मुद्दों पर BPSL के कर्मचारियों को निर्देश और सर्कुलर जारी कर रहे हैं।

दूसरे बेनाम सूत्र ने दाावा किया कि उपरोक्त 6 लोगों में से आखिरी (पी के दास) मुख्य प्रबंधक टीम का हिस्सा नहीं थे, पहले तीन (ससिंद्रन, रामाचंद्रुनी और बी के दास) की नियुक्ति EY और खंडेलवाल के द्वारा की गई है, वहीं दो (वेंकटचलम् और कोल्ली) को BPSL ने संचालन समिति से स्वीकृति के बाद नियुक्त किया है।

सूत्र ने बताया कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि JSW से रिटायर हो चुके पूर्व कर्मचारियों को BPSL में अहम प्रबंधन नियुक्तियां मिली हैं। सूत्र ने कहा, "भारतीय स्टील उद्योग पर चंद लोगों का कब्ज़ा है, इसमें JSW, टाटा स्टील और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) शामिल हैं। इसलिए यह अनुभवी अधिकारियों में इन कंपनियों के बीच घूमना कोई बहुत बड़ा संयोग नहीं है।"

सूत्र ने कहा कि जब तक BPSL के क्रियान्वयन की कमान EY के हाथ में है, वह तय करेगी कि केवल अनुमति प्राप्त कर्मचारी ही देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थित कारखानों में जा पाएं। इनमें JSW के पूर्व कर्मचारी भी शामिल हैं।

लेखक को EY के एक प्रवक्ता ने यह ईमेल भेजा है: "EY रिस्ट्रक्चरिंग LLP को भूषण पॉवर एंड स्टील लिमिटेड की देखरेख कमेटी ने नियुक्ति किया है, कमेटी में BPSL को कर्ज़ देने वाले अहम देनदार और रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल मौजूद थे। हमारा काम कंपनी की देखरेख करना है और हम हमें दिए गए इस काम के लिए सभी जरूरी क्षमताओं को लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

JSW समूह के ग्रुप जनरल काउंसल रवि सभरवाल ने ईमेल में लिखा: "हमने आपके खत का परीक्षण किया और वहां जो अवलोकन दर्शाए गए हैं, उनसे रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल मिस्टर एम।के। खंडेलवाल व्यवहार कर सकते हैं। इसलिए आपको सलाह दी जाती है कि आप अपने सवाल रेज़ोल्य़ूशन प्रोफेशनल को भेजें।"

जैसा पहले ही बताया जा चुका है, खंडेलवाल से अभी तक कोई भी जवाब नहीं आया है।

संचालन समिति की भूमिका पर सवाल

संचालन समिति, जिसे रेज़ोल्य़ूशन प्लान को लागू करते वक़्त देखरेख करने का जिम्मा दिया गया था, उसमें देश के बड़े बैंकों- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, पंजाब नेशनल बैंक और दो वित्तीय देनदारों के प्रतिनिधि हैं। इनकी BPSL को दिए कर्ज़ में सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे बैंक, जो खुद भी वित्तीय देनदार हैं, उनके नाम इस तरह हैं:

बैंक ऑफ बड़ोदा

बैंक ऑफ इंडिया

कैनरा बैंक

इलाहाबाद बैंक

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया

आंध्रा बैंक

इंडियन बैंक

यूको बैंक

पंजाब नेशनल बैंक

कॉरपोरेशन बैंक

साउथ इंडियन बैंक

सिंडिकेट बैंक

इंडियन ओवरसीज़ बैंक

ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स

बैंक ऑफ महाराष्ट्र

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया

यूनाईटेड बैंक ऑफ इंडिया

विजया बैंक

IDBI बैंक

इनमें से कुछ बैंक एक-दूसरे में विलय कर चुके हैं। दूसरी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां जिन्होंने BPSL को कर्ज दिया है, उनमें जीवन बीमा निगम भी शामिल है। वहीं ICICI और एक्सिस बैंक जैसे निजी बैंक भी देनदारों की सूची में शामिल हैं। विदेशी और घरेलू बैंक और वित्तीय संस्थान, जिन्होंने BPSL को कर्ज़ दिया है, उनमें  बैंक ऑफ ऑस्ट्रिया, बैंक ऑफ अमेरिका, एसेट्स केयर एंड रिकंस्ट्रक्शन एंटरप्राइज़ (ACRE), बेयर्न LB, KfW, बैंक ऑफ जर्मनी और भारतीय निजी देनदार एडेलवीज़ फायनेंशियल सर्विसेज़ शामिल हैं।

IBC के तहत प्रावधान किया गया है कि देनदार, अपने कॉरपोरेट कर्जदार (इस मामले में BPSL) पर नज़र रखें और कोशिश करें कि वो जल्द से जल्द उबर जाए। कॉरपोरेट इंसॉल्वेंसी प्रक्रिया के वक़्त CoC को रेज़ोल्य़ूशन प्रोफेशनल को नियुक्त करने और हटाने का अधिकार प्राप्त है। रेज़ोल्य़ूशन प्रोफेशनल को हमेशा समिति (CoC) के निर्देशों के तहत ही काम करना चाहिए।

जैसे ही रेज़ोल्य़ूशन प्लान को सहमति मिली, तबसे BPSL में नई नियुक्तियां नहीं की जा सकतीं। यह नियुक्तियां तब तक नहीं हो सकतीं, जब तक प्रबंधन में बदलाव ना हो जाए और नीलामी की राशि वित्तीय देनदारों तक ना पहुंच जाए। दूसरे शब्दों में कहें, तो इस मामले में वरिष्ठ अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार सिर्फ़ संचालन समिति के पास है।

शुरुआत में हमने जिन बेनाम सूत्रों की चर्चा की थी, उनमें से एक का कहना है कि BPSL के मामले में संचालन समिति ने कंपनी के प्रबंधन और रेज़ोल्य़ूशन प्लान को लागू करने में "ढीली-ढाला और नजरंदाज़ करने वाला रवैया" अपना रखा है। यह जो नियुक्तियां हुई हैं, वह मार्च में संचालन समिति द्वारा लिखे गए ख़त के खिलाफ़ जाती हैं। तब संचालन समिति ने ख़त में लिखा था कि अगर JSW खत मिलने के एक हफ़्ते के भीतर नीलामी की राशि जारी नहीं करता, तो BPSL में JSW के कर्मचारियों को जो प्रवेश दिया जा रहा है, उसे रोक दिया जाएगा।

देनदारों से नहीं आई कोई प्रतिक्रिया

इस लेख के लेखक को एक भी बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थानों से अपनी प्रश्नावली का जवाब नहीं मिला। यहां हम प्रश्नावली को शब्दश: पेश कर रहे हैं:

प्रिय...

मैं अपना परिचय एक स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर देता हूं, जिसके पास 43 साल के काम का अनुभव है, जिसे भारत सरकार के प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो से मान्यता मिली है।

5 सितंबर 2019 को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली ने JSW स्टील लिमिटेड के पक्ष में भूषण पॉवर एंड स्टील लिमिटेड (कॉरपोरेट कर्ज़दार के तौर पर पहचानी जाने वाली) के रेज़ोल्य़ूशन प्लान पर सहमति दी थी। जैसा आप जानते होंगे कि अभी तक JSW स्टील लिमिटेड ने नीलामी राशि 19,300 करोड़ को जारी नहीं किया है। JSW ने एक सार्वजनिक वक्तव्य भी दिया है कि एक मुकदमे में जब तक सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला नहीं आ जाता, तब तक रेज़ोल्यूशन प्लान को लागू नहीं किया जाएगा।

जहां JSW स्टील लिमिटेड ने रेज़ोल्यूशन प्लान को लागू करने और देनदारों को पैसा देने से इंकार कर दिया है, वहीं कंपनी ने BPSL के पश्चिम बंगाल और ओडिशा संयंत्रों में अर्नेस्ट एंड यंग के बैनर तले प्रवेश पा लिया है, जिसे मॉनिटरिंग प्रोफेशनल महेंद्र कुमार खंडेलवाल द्वारा एक जनवरी, 2020 को ऑपरेशन एंड मैनेजमेंट (O&M) घोषित किया गया था।

मुझे निम्नलिखित पांच सवालों के समूह पर आपकी प्रतिक्रिया चाहिए, ताकि मैं उन्हें अपने लेख में शामिल कर सकूं। मैं न्यूज़क्लिक वेब पोर्टल पर इन्हें प्रकाशित करने के लिए लिख रहा हूं।

मॉनिटरिंग प्रोफेशनल एम के खंडेलवाल की नियुक्ति पर किसने अनुमति दी? यह अनुमति कब दी गई थी?

क्या आपके संगठन/संस्थान/बैंक/वित्तीय संस्थान ने E&Y रिस्ट्रक्चरिंग LLP के बतौर O&M एजेंसी नियुक्त होने पर सहमति दी थी?

क्या आप जानते हैं कि JSW स्टील लिमिटेड के 6 पूर्व कर्मचारियों को अप्रैल, 2020 से BPSL में वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया गया है? क्या आप जानते हैं यह लोग BPSL में बैठकें आयोजित करवा रहे हैं और BPSL कर्मचारियों को सर्कुलर/ई-मेल भेज रहे हैं? (फिर JSW के उन 6 पूर्व कर्मचारियों के नाम लिखे गए।)

क्या आपके बैंक/संस्थान का संबंधित अधिकारी/प्रबंधक, जो BPSL रेजोल्यूशन प्लान की निगरानी कर रहा है, वह खंडेलवाल के संपर्क में है? क्या संबंधित व्यक्ति ने आपके सामने जिन अनियमित्ताओं का आरोप लगाया जा रहा है, उनसे संबंधित बात रखी। अगर हां, तो उस पर क्या कार्रवाई की गई?

इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्टसी कोड, 2016 के अंतर्गत, रेज़ोल्य़ूशन प्रोफेशनल की भूमिका फ़ैसला देने वाली संस्था द्वारा रेज़ोल्य़ूशन प्लान को अनुमति देने के बाद खत्म हो जाती है। लेकिन, जिन दस्तावेज़ों को मैंने देखा, उनके मुताबिक BPSL के पूर्व रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल खंडेलवाल ने बतौर रेज़ोल्यूशन प्रोफेशनल सर्कुलर देना जारी रखा है। क्या यह चीज आपकी जानकारी में है?

देनदारों द्वारा नहीं की गई कोई कार्रवाई?

19 मार्च को संचालन समिति ने JSW को सात दिन के भीतर रेज़ोल्य़ूशन प्लान को लागू करने की बात कहते हुए ख़त लिखा, ऐसा न कर पाने की स्थिति में बैंक गारंटियों को वापस ले लिया जाता। 20 जून को संचालन समिति ने JSW को फिर ख़त लिखा और कंपनी को पैसा जारी करने और IBC की धारा 74 के तहत दंडात्मक कार्रवाई से बचने के लिए दो हफ़्ते का वक़्त और दिया। इस धारा में उन लोगों को दंडित किया जाता है, जो रेज़ोल्यूशन प्लान लागू न करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।

रिऑर्ग (Reorg) वेबसाइट ने जुलाई में अपनी रिपोर्ट में कहा कि संचालन समिति ने JSW को ख़त में कहा कि रेज़ोल्यूशन प्लान को सही वक़्त पर लागू न करने की दिशा में मुआवज़े के तौर पर ब्याज़ लगाया जाएगा। लेकिन आज तक देनदारों के द्वारा JSW के खिलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

जब तक प्रबंधन समूह नहीं बदल जाता और कर्ज़ देनदारों को नीलामी की राशि नहीं दे दी जाती, JSW की BPSL के अंतरिम प्रबंधन में कोई भूमिका नहीं होनी थी। यह NCLT और NCLAT द्वारा अनुमति दिए गए रेज़ोल्यूशन प्लान के अध्ययन से भी स्पष्ट हो जाता है, जिसमें साफ़ तौर पर BPSL के अंतरिम प्रबंधन के लिए तंत्र की व्यवस्था की गई है।

अब सवाल यह उठता है कि संचालन समिति की निगरानी के बावजूद JSW के पूर्व कर्मचारियों को औपचारिक तरीके से BPSL में नियमित कर्मचारियों के तौर पर वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति कैसे मिल गई। यह लोग बीमार और भारी कर्ज़ के तले दबी कंपनी के ऑपरेशन और प्रबंधन का प्रभार लेंगे। जिस तरीके से यह चीजें की गई हैं, उससे IBC कोड के शब्दों और भावना को नीचा दिखाया गया है।

लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

How JSW is Managing Bhushan Power Through Former Employees

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