जहाँगीरपुरी हिंसा : "हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोज़र" के ख़िलाफ़ वाम दलों का प्रदर्शन

देशभर में बढ़ते सांप्रदायिक हिंसा और उसके साथ ही बीजेपी सरकारों के द्वारा अतिक्रमण के नाम पर मुसलमानों को निशाने बनाने की राजनीती के ख़िलाफ़ दिल्ली के वाम दलों ने संयुक्त रूप से प्रदर्शन किया। उन्होंने आरएसएस-भाजपा पर देश में विभाजनकारी सांप्रदायिक हमले करने का आरोप लगया। उसी के खिलाफ़ आज गुरुवार , 28 अप्रैल, को संसद से कुछ ही दूर जंतर मंतर में सीपीआई (एम), सीपीआई, सीपीआई (एमएल)-लिबरेशन, आरएसपी, एआईएफबी की दिल्ली राज्य कमेटियों द्वारा सैंकड़ो लोगों के साथ धरना प्रदर्शन किया गया। वाम दलों ने जहांगीरपुरी में भाजपा शासित उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा की गई तोड़फोड़ क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की योजना का हिस्सा बताया।
धरने को सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचूरी, सीपीआई (एम) पोलिट ब्यूरो सदस्य बृंदा करात, सीपीआई राष्ट्रीय सचिव अमरजीत कौर, सीपीआई (एमएल)-लिबरेशन पोलिट ब्यूरो सदस्य कविता कृष्णन व वामपंथी दलों के अन्य नेताओं ने संबोधित किया।
वक्ताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि जहांगीरपुरी में तोड़फोड़ की कार्रवाई इलाके में हनुमान जयंती के नाम पर हथियारबंद जुलूस के जरिये सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने की कड़ी का हिस्सा है। बुलडोजर केवल मजदूर वर्ग के परिवारों की संपत्ति पर नहीं चल रहा है, बल्कि संविधान की मूल भावना पर ही चल रहा है।
माले की राष्टीय नेता कविता कृष्णन ने अपने वकत्वय में कहा कि, "बीजेपी आरएसएस के लोग देश धर्म के नाम पर बाँट रहे हैं। हम इतने सालों से देख रहे हैं कि रामनवी भी होती थी और हनुमान जयंती भी मनाई जाती रही है। लेकिन मस्जिद के सामने ही जाकर हथियार बंद जुलुस ले जाकर और भड़काउ नारे देना कौन से ग्रंथ में है? हमारे देश में हम ईद, दीवाली और होली एक साथ मनाते थे परन्तु बीजेपी के लोग इसे तोडना चाहते हैं।"
कविता ने अपने वक्तव्य के बाद साम्प्रदायिक हिंसा के खिलाफ नारे लगाए और लोगों से अपनी एकता को और मज़बूत करने की अपील की। उन्होंने कहा हम हिंदुस्तान के भाईचारे पर बुलडोजर नहीं चलने देंगे।
इसी तरह सीपीआई(एम) की पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात ने वाम दलों की दिल्ली राज्य कमेटी को बधाई देते हुए कहा कि जिस तरह बीजेपी और आरएसएस के नफरती अभियान चलाया था और पूरे जहांगीरपुरी की घटना का एकतरफा चित्रण करने का प्रयास किया गया था, उन्होंने उसे तुरंत विफल किया और त्वरित कार्रवाई करते हुए घटनास्थल पर गए और एक फैक्ट फाइंडिंग कर एक रिपोर्ट जारी की। इससे बीजेपी और आरएसएस की इस घटना में मिलीभगत का पर्दाफाश हुआ।
बृंदा ने आरोप लगाते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस आज भी एकतरफ़ा कार्रवाई कर रही है। अभी भी जहाँगीरपुरी सी ब्लॉक से एक धर्म को मानाने वाले युवाओं को पूछताछ के लिए बुला रही है और उन्हें गिरफ़्तार कर रही है। लेकिन दूसरी तरफ सैकडों की संख्या में जो कथित शोभा यात्र में हथियारों और बंदूक लहरा रहे थे, उनमें से केवल पांच की ही पहचान हुई है। जबकि इसके आयोजक वीएचपी नेताओं को पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया।
बृंदा ने आगे कहा कि आज भी हम लोग वहां राहत अभियान चला रहे हैं। इस पूरे हिंसा में 120 परिवार सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं, जिनकी जीविका पर हमला हुआ है। परन्तु इस सबके बाद भी लोगों में एकता कायम है? लोग अब भी सोच में है कि कैसे इलाके में इतनी बड़ी साम्प्रदायिक हिंसा हो गयी जब वहां यह सभी लोग सालों से रहते आये हैं और कभी भी ऐसी कोई घटना नहीं हुई।
उन्होंने आगे कहा कि वाम दलों का प्रतिरोध उम्मीद पैदा करता है कि जब भी ऐसा हमला होगा तो ये उनका मुकाबला करेंगे। क्योंकि बीजेपी ये बलडोज़र किसी घर माकन या दुकान पर नहीं बल्कि देश के संविधान और उसके लोकतान्त्रिक ढांचे पर चला रही है।
माले के दिल्ली राजयसचिव रवि राय ने भाषण देते हुए कहा, "जिस तरह से दिल्ली में नफ़रती बुलडोजर को लेफ्ट पार्टियों ने रोका वो साहसिक कदम था। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी के लोग मुसलमानों को टारगेट कर के हमला कर रही है। लेकिन हम इसके खिलाफ लड़ रहे हैं और लड़ेंगे। "
सीपीआई (एम) महासचिव कामरेड सीताराम येचूरी ने अपने भाषण में कहा कि, "बढ़ती मंहगाई, बेरोज़गारी समेत हर क्षेत्र में अपनी विफलता से लोगों का ध्यान भटकाने के लिए सत्तासीन दल द्वारा सांप्रदायिक रणनीति का इस्तेमाल किया जा रहा है। सांप्रदायिकता के खिलाफ़ संघर्ष के साथ-साथ जनता के रोज़मर्रा के सवालों पर संघर्षों को तेज़ करना होगा।"
वाम दलों ने धरने में सांप्रदायिकता के खिलाफ़ व जनता की एकता, जीवन व जीविका की रक्षा में संघर्ष को तेज़ करने के संकल्प को भी दोहराया।
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